शिकागो में ‘काली बाड़ी’ द्वारा आयोजित सरस्वती पूजा में शामिल हुई डेमोक्रेट सांसद तुलसी गबार्ड ने पूजा के आयोजन के वक्त अपनी हिन्दू जड़ों को याद करते हुए कहा कि उन्हें संसद में जाने वाली पहली हिन्दू होने पर गर्व है। साथ ही, उन्होंने कहा कि संसद बनने की शपथ उन्होंने भगवद् गीता पर हाथ रखकर ली थी। 2020 में राष्ट्रपति चुनाव में अपनी दावेदारी पेश करने जा रहीं डेमोक्रैटिक पार्टी की सांसद तुलसी गबार्ड ने अपने छोटे भाषण में हिन्दू समुदाय द्वारा किए जा रहे कार्य को सराहा।
कुछ दिनों पहले तुलसी को कुछ अमेरिकी मीडिया संस्थानों और लोगों ने ‘हिन्दू’ होने को लेकर निशाना बनाया था जब उन्हें बार-बार ‘हिन्दू-अमेरिकन’ कहकर ऐसे दिखाया जा रहा था मानो हिन्दू होना अपराध हो। इस पर उन्होंने आलोचकों को आड़े हाथों लेते हुए कहा था कि किसी भी व्यक्ति को उसकी किसी भी तरह की पहचान को लेकर निशाना बनाना गलत है। गबार्ड ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उनकी मुलाकात को इस बात के साक्ष्य के लिए दर्शाया गया, जबकि किसी पीएम से मिलने वाले गैर हिंदू नेताओं पर कोई सवाल नहीं उठाया गया।
तुलसी ने कहा कि इससे पहले पीएम मोदी से राष्ट्रपति ओबामा, मंत्री (हिलेरी) क्लिंटन, राष्ट्रपति (डॉनल्ड ) ट्रंप और कॉन्ग्रेस के मेरे कई साथी मिल चुके हैं लेकिन उनको लेकर किसी ने कोई टिपप्णी नहीं की थी। यह दोहरे मापदंड को दर्शाता है। बता दें कि, 37 साल की तुलसी ने 2020 में राष्ट्रपति चुनाव लड़ने का फै़सला किया है, और ऐसा करने वाली वह अमेरिकी इतिहास में पहली हिंदू हैं।
अमेरिका कॉन्ग्रेस में चुनी गई पहली हिंदू महिला हैं तुलसी
बता दें कि तुलसी अमेरिकी कॉन्ग्रेस में चुनी जाने वाली न सिर्फ पहली हिन्दू महिला हैं बल्कि राष्ट्रपति की दावेदारी पेश करने वाली पहली हिंदू-अमेरिकी दावेदार भी हैं। उन्होंने कहा कि हिंदू-अमेरिकी दावेदार होने का मुझे गर्व है।
बता दें कि, ‘रिलिजियस न्यूस सर्विसेज’ में एक संपादकीय में उनके, समर्थकों एवं दानकर्ताओं को टार्गेट करते हुए उन्हें हिंदू अमेरिकी बताया गया था। जिसपर उन्होंने कहा कि उनको, और उनके समर्थकों को, टार्गेट करते हुए ‘हिंदू अमेरिकी’ का टैग लगाया जा रहा है। उन्होंने पूछा कि क्या धर्म के आधार पर हमें बाँटना ठीक है? कल क्या किसी को यहूदी या मुस्लिम अमेरिकी कहना सही होगा? इन सभी बातों से केवल धार्मिक भेदभाव की ही बात सामने आती है।