वैश्विक स्तर पर भारत को एक और कूटनीतिक सफलता मिलती दिख रही है। यूरोपियन यूनियन में मसूद अज़हर को ग्लोबल आतंकी घोषित कराने के लिए जर्मनी ने पहल किया है। बता दें कि पुलवामा में हुए हमले के बाद से भारत लगातार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान को घेरने की जुगत में लगा हुआ है। इसमें उसे सफलता भी मिलती दिख रही है। पहले सुरक्षा परिषद के सभी देशों द्वारा संयुक्त रूप से पुलवामा हमले की निंदा करना और फिर पाकिस्तान को मिले एमएफएन का दर्जा वापस लेना – भारत ने एक से बढ़ कर एक पहल कर के पाकिस्तान को सबक सिखाया। भारत द्वारा पाकिस्तान स्थित आतंकी कैम्पों पर की गई एयर स्ट्राइक के बदले पाकिस्तान ने एफ-16 से भारतीय सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया, जिसके लिए अमेरिका भी उस से नाराज़ है।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में चीन के अड़ंगे के कारण जैश सरगना अज़हर को ग्लोबल आतंकी घोषित नहीं किया जा सका लेकिन यूरोपियन यूनियन में ऐसा प्रस्ताव आने के बाद अब चीन पर भी दबाव बढ़ेगा। जर्मनी का अगर ये प्रस्ताव काम करता है तो यूरोप के क़रीब 28 देशों में मसूद अजहर के यात्रा करने पर बैन लग जाएगा। जर्मनी ने इस प्रस्ताव को अभी सिर्फ़ पेश किया है, इसी पर किसी तरह के समाधान का प्रस्ताव अभी पास नहीं हुआ है।
#Breaking: जर्मनी ने की मसूद अजहर को EU में ग्लोबल आतंकी घोषित करने की मांग pic.twitter.com/9kC0akHNku
— News18 India (@News18India) March 20, 2019
ख़बरों के अनुसार, जर्मनी का कहना है कि सभी 28 देश अपनी तरफ से इस बात के लिए पूरी कोशिश करेंगे कि पाकिस्तानी आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करे। इसे भारत की बड़ी कूटनीतिक जीत के तौर पर देखा जा रहा है। फ्रांस पहले ही मसूद अज़हर पर प्रतिबन्ध लगा चुका है। फ्रांस ने अन्य देशों से भी जैश पर आर्थिक प्रतिबन्ध लगाने की अपील की थी। अड़ंगा लगाने पर अमेरिका ने चीन को फटकारते हुए बयान जारी किया था।
अमेरिका की ओर से जारी बयान में मसूद अज़हर को साफ तौर पर ग्लोबल आतंकी कहा गया था। तीखे शब्दों का प्रयोग करते हुए अमेरिकी बयान में इस तथ्य को उभारा गया था कि चौथी बार चीन ने मसूद अज़हर को ग्लोबल आतंकी घोषित होने से बचाया है। और, उसे सुरक्षा परिषद को अपना काम करने देने में बाधक नहीं बनना चाहिए। दक्षिण एशिया में शांति और स्थायित्व के लिए चीन अगर प्रतिबद्ध है तो उसे पाकिस्तान या किसी भी देश के आतंकियों को संरक्षण नहीं देना चाहिए। अंत में बयान की भाषा और सख्त हो गई, जब चीन को एक तरह की वॉर्निंग देते हुए कहा गया कि यदि आतंकियों को संरक्षण देने की आपकी नीति में बदलाव नहीं आता है तो सुरक्षा परिषद के सदस्य देश अन्य कड़े कदम उठाने के लिए मजबूर होंगे।
संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद की 1267 अलकायदा प्रतिबंध कमिटी के तहत अज़हर पर प्रतिबन्ध का प्रस्ताव रखा गया था। यह प्रस्ताव पुलवामा आतंकी हमले के बाद फ्रांस, इंग्लैंड और अमेरिका की ओर से पेश किया गया था। पुलवामा आतंकी हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गए थे। जिस तरह से सभी शक्तिशाली देश अज़हर को आतंकी घोषित करने की पहल में लगे हुए हैं, भारत को पाकिस्तानी आतंकी गतिविधियों के ख़िलाफ़ बड़ी सफलता मिलती दिख रही है।