वर्ल्ड बैंक की ईज़ ऑफ़़ डुईंग बिज़नेस में 14 रैंकिंग की सुधार के साथ भारत अब 63वें नंबर पर पहुँच गया है। इसका मतलब है कि भारत में अब कारोबार करना और भी आसान हो गया है। इससे पहले 2018-19 की लिस्ट में भारत की 77वीं रैंक थी। ईज़ ऑफ़ डूइंग बिज़नेस यानी कारोबार करने की सुगमता की रैंकिंग उस समय में आई है, जब देश में कथित तौर पर आर्थिक सुस्ती है।
India’s ease of doing business ranking improves, jumps 14 places to rank 63. pic.twitter.com/RcOj4Y1Jgk
— ANI (@ANI) October 24, 2019
वर्ष 2014 के दौरान जब केंद्र में प्रधानमंत्री मोदी की नेतृत्व में NDA सरकार बनी थी, तो उस समय भारत की रैंकिंग 190 देशों में से 142वें स्थान पर थी। केंद्र में मोदी सरकार बनने के बाद कारोबार के क्षेत्र पर लगातार ध्यान दिया गया। चार साल तक जारी सुधार के बाद साल 2017 में भारत की रैंकिंग सुधरकर 100 हो गई थी। इसके बाद, 2018 में भारत की स्थिति फिर सुधरी और ईज़ ऑफ़ डुईंग लिस्ट में 77वाँ स्थान बनाने में क़ामयाब रहा।
किसी भी बिज़नेस को शुरू करने संबंधी क़ानूनों को सरल बनाया गया और बैंकों से लोन लेने की व्यवस्था में सुधार लाया गया। इसी का परिमाम रहा है कि भारत इस रैंकिंग में बीते पाँच वर्षों में क़रीब 50 फ़ीसदी सुधार के साथ आगे बढ़ता रहा।
भारत इस सूची में लगातार तीसरे साल शीर्ष प्रदर्शन करने वाले देश में भी शामिल है। यह रैंकिंग ऐसे समय में आई है, जब भारतीय रिज़र्व बैंक, वर्ल्ड बैंक, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष और मूडीज सहित कई एजेंसियों ने कथित आर्थिक सुस्ती को देखते हुए जीडीपी में बढ़त के अनुमान को घटा दिया है।
ख़बर के अनुसार, ईज़ ऑफ़ डूइंग बिज़नेस में भारत के अलावा टॉप-10 सुधारक देशों में सऊदी अरब (62), जॉर्डन (75), टोगो (97), बहरीन (43), ताज़िकिस्तान (106), पाकिस्तान (108), कुवैत (83), चीन (31) और नाइजीरिया (131) शामिल हैं।
ईज़ ऑफ़़ डूइंग बिज़नेस होता क्या है?
अगर ‘ईज़ ऑफ़ डूइंग’ बिज़नेस में सुधार होता है तो विश्व की प्रमुख रेटिंग एजेंसियाँ भारत को बेहतर रेटिंग दे सकती है और भारत में FDI में भी वृद्धि हो सकती है। ‘ईज़ ऑफ़ डूइंग बिज़नेस’ का रिपोर्ट विश्व बैंक द्वारा जारी की जाती है। इस रिपोर्ट में मुख्य रूप से दस मानदंड हैं, जिनके आधार पर तय किया जाता है कि कौन-सा देश कारोबार की सुगमता के लिहाज़ से पहले स्थान पर है और कौन निचले पायदान पर है। कारोबार करने के लिए कंस्ट्रक्शन परमिट, रजिस्ट्रेशन, लोन और टैक्स पेमेंट की व्यवस्था पर भी ध्यान दिया जाता है।