भारत सरकार के कई मंत्रालय अब आम लोगों की सुविधा के लिए भी तत्पर रहते हैं। फिलहाल इसी सूची में अब नाम आया है रेल मंत्रालय का। रेलवे ने एक आम नागरिक की मदद के लिए खुद आगे आकर सामान्य परिस्थितियों से ऊपर उठ कर काम किया।
एक छात्रा को परीक्षा देने के लिए वाराणसी जाना था। वो जिस ट्रेन से वाराणसी जा रही थीं, वह लगभग 2:30 घंटे देरी से चल रही थी। परीक्षा छूटने वाली थी। तभी उसने सोशल मीडिया की मदद ली, रेलवे से गुहार लगाई। रेल मंत्रालय ने मामले का संज्ञान लेते हुए सक्रियता दिखाई। ट्रेन की रफ़्तार बढ़ाई गई और ट्रेन समय से पहले वाराणसी पहुँच गई।
नाजिया तबस्सुम उत्तर प्रदेश के गाजीपुर की रहने वाली छात्रा हैं। वाराणसी के वल्लभ विद्यापीठ बालिका इंटर कॉलेज में उनकी डीएलएड (डिप्लोमा इन एलीमेंट्री एजुकेशन) की परीक्षा का केंद्र था। परीक्षा 12 बजे से शुरू होनी थी।
उनका आरक्षण (रिजर्वेशन) छपरा-वाराणसी सिटी एक्सप्रेस (05111) में उत्तर प्रदेश के मऊ से था। ट्रेन का मऊ पहुँचने का समय सुबह के 6:25 था लेकिन ट्रेन वहाँ 2 घंटे 53 मिनट की देरी से (9 बज कर 18 मिनट) पर पहुँची। नाजिया ने इस बारे में अपने भाई अनवर जमाल से बात की।
अनवर ने भारतीय रेलवे को टैग करते हुए ट्वीट किया। ट्वीट में उसने अपनी बहन की परीक्षा की समय सारिणी (टाइम टेबल) भी साझा की। उसने ट्वीट में अपनी समस्या भी लिखी और बताया कि ट्रेन लगभग ढाई घंटे देरी से चल रही है। ऐसे में उसकी बहन की परीक्षा छूट सकती है, उसकी मदद की जाए।
ट्वीट में ट्रेन और टिकट से जुड़ी जानकारी भी साझा की गई थी। रिपोर्ट्स के मुताबिक़ इसके ठीक बाद रेलवे के ट्विटर हैंडल ने अनवर से उससे संपर्क करने की जानकारी माँगी। संबंधित अधिकारियों ने आश्वासन देते हुए अनवर से कहा कि ट्रेन समय से पहुँच जाएगी। इस मामले को लेकर कंट्रोल रूम को सूचित किया गया और तत्काल प्रभाव से ट्रेन की रफ़्तार बढ़ाई गई।
नतीजा यह निकला कि जो ट्रेन ढाई घंटे की देरी से चल रही थी, वह समय से पहले (लगभग 11 बजे) ही वाराणसी पहुँच गई। जैसे ही नाजिया परीक्षा केंद्र पर पहुँच गई, उनके भाई ने ट्वीट करके भारतीय रेलवे का आभार जताया।
इस संबंध में उत्तर पूर्वी रेलवे के जनसंपर्क अधिकारी ने बताया कि छात्रा की मदद नियमानुसार की गई है। बलिया फेफना रेलखंड पर प्रस्तावित स्पीड ट्रायल के वजह से कम किया गया था।