ओडिशा के तटीय जिलो में शुक्रवार (मई 3, 2019) को ‘फोनी’ तूफान ने अपना कहर बरपाया, मगर वॉर्निंग सिस्टम और युद्ध स्तर की तैयारियों की वजह से हजारों लोगों की जान बच गई। सरकार ने आधिकारिक तौर पर मृतकों की संख्या 6 बताई है जबकि न्यूज एजेंसियों की रिपोर्ट में मृतकों की संख्या 8 बताई जा रही है। ओडिशा में तबाही मचाने के बाद यह तूफान अब पश्चिम बंगाल से टकरा चुका है। तूफान की भीषण स्थिति को देखा जाए तो मौत का आँकड़ा काफी कम है, और ये सब कुछ भारतीय मौसम विज्ञान की सतर्कता, बेहतर वॉर्निंग सिस्टम, केन्द्र और राज्य सरकार के बीच बेहतर तालमेल और बड़ी राहत और बचाव दल टीम के होने के कारण संभव हो पाया।
New warning system, smooth evacuation limit casualties due to #CycloneFani‘s fury
— Times of India (@timesofindia) May 4, 2019
READ: https://t.co/l4xhiMSFd0 pic.twitter.com/YErdKp1imy
ऐसा भी नहीं था कि तूफान की गिरफ्त में आने वाले इलाके में सब कुछ सही ही रहा। तूफान के रास्ते में आने वाले क्षेत्र इससे अनछुए नहीं रहे। ओडिशा के पुरी जिले में कच्चे घरों को भारी नुकसान पहुँचा है और इस तूफान की चपेट में आए 160 लोगों को इलाज के लिए अस्पतालों में भर्ती करवाया गया है। तूफान से पुरी के डीएम और एसपी आवास भी क्षतिग्रस्त हुए हैं। तूफान आने से पहले ही बिजली की सप्लाई काट दी गई थी ताकि कोई अनहोनी न हो जिसके चलते वहाँ बिजली आपूर्ति पूरी तरह से बाधित रही। हालाँकि मौसम विभाग के नए क्षेत्रीय तूफान मॉडल (जो भारत की चक्रवातों में जीरो कैजुएलिटी का हिस्सा है) की मदद से हजारों लोगों की जान बचाने में मदद मिली और साथ ही इस सिस्टम ने ये भी दिखा दिया कि साल 1999 के भीषण चक्रवात के बाद से मौजूदा समय तक लैंडफॉल पर नजर रखने और पूर्वानुमान लगाने में हमने काफी तरक्की कर ली।
अक्टूबर 2013 में आए ‘फैलिन’ और अक्टूबर 2014 में आए ‘हुदहुद’ तूफान दौरान पाई गई सफलता के बाद केंद्रीय एजेंसियाँ और राज्य सरकारें बड़े पैमाने पर राहत और बचाव प्रबंधन में काफी ज्यादा सक्षम हो गई थीं लेकिन ‘फोनी’ तूफान से राहत और बचाव का अभियान काबिले तारीफ रहा। ‘फोनी’ तूफान के आने से पहले ही मौसम विभाग की तरफ से लगातार चेतावनी दे रहीं थी, जिसकी वजह समुद्र के किनारे और तूफान के रास्ते में आने वाली जगहों पर रहने वाले लोगों को समय रहते सुरक्षित स्थानों पर पहुँचाकर पहले की तुलना में ज्यादा आसानी से बचाया जा सका।
‘फोनी’ तूफान आने से पहले ओडिशा में स्थानीय आपदा प्रबंधन बल और NDRF की टीमें सक्रिय हो गई थीं। NDRF ने ‘फोनी’ तूफान से निपटने की लिए 65 टीमें उतारी थीं, जिसमें प्रति टीम 45 लोग थे। आपको बता दें कि यह अब तक किसी भी रेस्क्यू ऑपरेशन की सबसे बड़ी तैनाती है। पिछले तीन दिनों में ओडिशा, आंध्र प्रदेश और पश्चिम बंगाल से लगभग 11.5 लाख से अधिक लोगों को निकाल कर सुरक्षित स्थानों पर पहुँचाया गया। वहीं कानून व्यवस्था, भोजन और सड़कें दुरुस्त करने के लिए अतिरिक्त टीमें लगाई गई हैं।
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (Ministry of Earth Science) के सचिव माधवन राजीवन ने कहा कि यह IMD के लिए एक बहुत महत्वपूर्ण उपलब्धि है। उन्होंने इस बड़े संकट से निपटने के लिए इसके महानिदेशक के जे रमेश को बधाई दी है। उन्होंने कहा कि विभाग ने अन्य मौजूदा मॉडलों के अलावा अपने क्षेत्रीय तूफान मॉडल (Regional Hurricane Module) का सफलतापूर्वक उपयोग किया है। राजीवन ने टाइम्स ऑफ इंडिया से बात करते हुए बताया कि मौजूदा प्रणाली की समीक्षा 13 मई को की जाएगी, ताकि पूर्वानुमान एजेंसी अपने चक्रवात की पूर्व चेतावनी प्रणाली में और अधिक सुधार कर सके।
Majority of cyclones in India have their genesis over the Bay of Bengal and usually strike the east coast of India. On an average, five to six tropical cyclones form every year, of which two or three could be destructive.
— MoES GoI (@moesgoi) May 3, 2019
#CycloneFani #FridayFacts pic.twitter.com/mPM401qzT3
बता दें कि, ओडिशा में आए तूफान ‘फानी’ से निपटने के लिए वहाँ पर युद्धस्तर की तैयारियाँ की गई थी। नौ सेना ने राहत एवं बचाव के लिए 6 जहाजों को तैनात किया था और साथ ही मेडिकल और डाइविंग टीम अलर्ट पर थीं। भारतीय वायु सेना ने दो C -17, दो C -130 और चार AN-32 को स्टैंडबाय पर रखा था। वहीं, गोपालपुर में सेना की तीन टुकड़ी स्टैंडबाय पर थी और पनागर में इंजीनियरिंग टास्क फोर्स थी। इसी तरह कोलकाता, बैरकपुर, सिकंदराबाद और कांकिनारा में भी सेना तत्पर थी।