हाल ही में, ऐसी ख़बरें सामने आई थीं कि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) लंबे समय में पहली बार अपने भंडार से सोना बेच रहा है। इकोनॉमिक टाइम्स (ET) की रिपोर्ट के मुताबिक़, जुलाई की शुरुआत से RBI ने 5.1 बिलियन डॉलर का सोना ख़रीदा और करीब 1.15 बिलियन डॉलर येलो मेटल (सेना) की बिक्री हुई। हालाँकि, अपनी हेडलाइन को थोड़ा मोड़ते हुए, ET ने बताया कि RBI ने अपने कुछ सोने को फिर से बेचना शुरू कर दिया है, बावजूद इसके कि उनकी रिपोर्ट ने सुझाव दिया है कि RBI ने अपने भंडार से बेचने के बजाय अधिक सोना ख़रीदा है।
RBI has begun to sell some of its gold again https://t.co/4zuOM5P9QN
— ET Commodities (@ETCommodities) October 25, 2019
वहीं, रविवार (27 अक्टूबर) को भारतीय रिज़र्व बैंक ने सोने की ब्रिकी को लेकर स्पष्ट किया कि वह न तो सोना बेचते हैं और न ही इसमें व्यापार करते हैं। बता दें कि मीडिया में कुछ ऐसी ख़बरें थीं जिनमें कहा जा रहा था कि RBI सोने की बिक्री कर रहा है।
Reports have appeared in certain sections of media that RBI has been selling/ trading in gold of late. It is clarified that RBI has not sold any gold or trading in it. (1/1)
— ReserveBankOfIndia (@RBI) October 27, 2019
केंद्रीय बैंक ने आगे कहा, “साप्ताहिक सांख्यिकीय अनुपूरक (WSS) में दर्शाए गए मूल्य में उतार-चढ़ाव मासिक से साप्ताहिक आधार पर पुनर्मूल्यांकन की आवृत्ति में परिवर्तन के कारण होता है और यह सोने और विनिमय दरों के अंतरराष्ट्रीय मूल्यों पर आधारित है।”
RBI की यह प्रतिक्रिया ET की उस ख़बर के बाद सामने आई है जिसमें कहा गया था कि केंद्रीय बैंक ने बिमल जालान की रिपोर्ट को अपनाने के बाद से सोने में अधिक सक्रिय रूप से कारोबार करना शुरू कर दिया है। जालान समिति की स्थापना पिछले साल RBI की अधिशेष आय को सरकार के साथ साझा करने की बहस के मद्देनज़र की गई थी ताकि इसकी कमी को पूरा किया जा सके।
भारतीय रिज़र्व बैंक और मोदी सरकार को एक तरफ़ ले जाने की जल्दबाजी में, मीडिया के कुछ वर्गों और विपक्षी दलों के नेताओं ने इस ख़बर का ग़लत इस्तेमाल कर यह भ्रम फैलाने की कोशिश की कि देश आर्थिक संकट से गुज़र रहा है और इसलिए RBI को अपने भंडार से सोना बेचना पड़ रहा है।
तथाकथित ‘अर्थशास्त्री’ और ‘पत्रकारों’ ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था की हालत इतनी ख़राब है कि भारतीय रिज़र्व बैंक मंदी से लड़ने के लिए अन्य संसाधनों का मुद्रीकरण करने के लिए देश के सोने के भंडार को बेचने पर नज़र गड़ाए हुए है।
In 2009, the RBI had bought back from IMF all the gold that Yashwant Sinha had sold during the 1991 crisis. But the RBI (to be able to remit larger dividends to Modi Govt perhaps?) has begun selling from its gold reserves again. pic.twitter.com/t3oBXVzSyx
— Puja Mehra (@pujamehra) October 25, 2019
एक पत्रकार से ट्रोल होने बनी स्वाति चतुर्वेदी ने ज़ोर देकर कहा कि RBI अपने भंडार को बेचने का सहारा ले रही है, जो स्वाति के अनुसार ख़राब आर्थिक स्थिति का संकेत है।
Yashwant Sinha was subjected to feral attacks by the Bjp when gold reserves were mortgaged to the Bank of England. How bad is the economic situation now that the RBI resorts to this? https://t.co/Mh4QV8FhXD
— Swati Chaturvedi (@bainjal) October 26, 2019
विवादास्पद वामपंथी वकील, प्रशांत भूषण, जो कि अक्सर फ़र्ज़ी ख़बरों के लिए भी जाने जाते हैं, ने भी कहा कि सरकार RBI के भंडार से 1.76 लाख करोड़ रुपए लेने के बाद RBI अपने स्वर्ण भंडार को बेच रही है।
After the govt takes away 1.76L Cr of its reserves, RBI starts selling its gold reserves! BPCL, other profitable PSUs & Railways, a bankrupt government is now on a selling spree of our assets! pic.twitter.com/7G0KHW5iI7
— Prashant Bhushan (@pbhushan1) October 25, 2019
For the first time in 30 years, the RBI has been selling some of its gold. The last time India had to tap into its gold reserves was during the 1991 balance of payments crisis when India ran out of money to service its imports. How bad is the current economic situation really? ? https://t.co/KJQUYQ2vBn
— Rupa Subramanya (@rupasubramanya) October 26, 2019
अब, भारतीय रिज़र्व बैंक ने ET की ख़बर का खंडन कर दिया है, इसी के साथ यह देखना अभी बाक़ी है कि आख़िर जिन-जिन पत्रकारों ने फ़र्ज़ी ख़बरों से जनता को भ्रमित करने की कोशिश की थी। क्या वे माफ़ी माँगते हैं।