भारत के नीरज चोपड़ा ने टोक्यो में हुए ओलंपिक खेलों में स्वर्ण पदक जीत कर पूरे देश का नाम रोशन कर दिया। लेकिन, हरियाणा के पानीपत के मतलौडा इलाके में स्थित खंडरा गाँव के लोगों की ख़ुशी का ठिकाना नहीं है। आखिर यही तो वो गाँव है, जहाँ का ‘निज्जू’ दुनिया के सबसे बड़े खेल टूर्नामेंट से गोल्ड मेडल लेकर आ रहा है। जी हाँ, नीरज चोपड़ा इस गाँव के लिए ‘निज्जू’ ही हैं। 2000 कि जनसंख्या वाले ये गाँव खुशी से झूम रहा है।
गाँव के कई लोगों ने उसके लिए शिवरात्रि का व्रत रखा था और भोला बाबा से प्रार्थना की थी कि उनका ‘निज्जू’ सबसे दूर भाला फेंके। लोगों का पहले ही कहना था कि अगर वो गोल्ड लेकर आते हैं तो पूरे गाँव की तस्वीर बदल जाएगी। युवा इसीलिए खुश हैं क्योंकि प्रदेश सरकार बड़े स्टेडियम या कोई अन्य सौगात गाँव को दे सकती है। किसी ने शिवरात्रि का व्रत रखा तो किसी ने उनकी सफलता के लिए शिवलिंग पर जल चढ़ाया।
गाँव के लोगों का कहना था कि नीरज चोपड़ा सेना का जवान है, इसीलिए अनुशासन मे रहते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी उन्हें बिना दबाव के अपना शत-प्रतिशत देने को कहा था। अब ग्रामीण अपने ‘निज्जू’ का इंतजार कर रहे हैं, ताकि ‘चूरमा’ खिला कर उसका स्वागत कर सकें। खंडरा गाँव के अधिकतर लोग किसान हैं। जिस दिन नीरज चोपड़ा का फाइनल मुकाबला था, उस दिन इस गाँव में किसी शहर की तरह चहल-पहल थी।
दो दर्जन से भी अधिक मीडिया की गाड़ियाँ यहाँ लगी हुई थीं और एक बड़े से स्क्रीन पर पूरा गाँव ये मुकाबला देख रहा था। नीरज के पहले कोच जयवीर भी प्रफुल्लित थे। उनकी माँ का कहना था कि गाँव में ऐसा नजर उन्होंने कभी नहीं देखा। नीरज के चाचा का कहना था कि ये उनके भतीजे व परिवार कि वर्षों की मेहनत का परिणाम है। यहाँ तक कि गाँव के लोगों ने इस मुकाबले में नीरज चोपड़ा के विरोधी खिलाड़ियों को लेकर भी पूरी रिसर्च की हुई थी।
Still processing this feeling. To all of India and beyond, thank you so much for your support and blessings that have helped me reach this stage.
— Neeraj Chopra (@Neeraj_chopra1) August 8, 2021
This moment will live with me forever 🙏🏽🇮🇳 pic.twitter.com/BawhZTk9Kk
500 परिवारों वाले इस गाँव में एक अदद पलेग्राउंड तक नहीं है। यहाँ के युवा या तो खेतों में काम करते हैं, या फिर कमाने शहर चले जाते हैं। लेकिन, नीरज चोपड़ा के स्वर्ण पदक जीतने के मौके पर पटाखों की आवाज दूर-दूर तक जा रही थी और लोग आपस में मिठाइयाँ बाँटते नजर आए। एक ग्रामीण ने बताया कि एक दिन नीरज को उनके पिता ने एक कुर्ता दिया। खुश होकर वो वही पहन कर स्कूल चले गए, जिसके बाद क्लास के लड़के उन्हें ‘सरपंच’ बुलाने लगे।
नीरज चोपड़ा का पालन-पोषण एक संयुक्त परिवार में हुआ है, जिसमें 17 सदस्य हैं। उनकी दादी उन्हें भरपूर दूध, घी और मक्खन खाने के लिए दिया करती थीं। उनका वजन बढ़ जाने के बाद परिवार ने उन्हें जिम करने भेजा। परिवार का कहना है कि बाल सुलभ नीरज काभी स्टारडम की चकाचौंध में नहीं आएँगे। उनका कहना है कि घर आकर वो खेतों में ही काम करेंगे, क्योंकि सफलता उनके माथे पर नहीं चढ़ती।