चुनाव व्यवस्था और ईवीएम में विश्वास बहाली की तरफ एक बड़ा कदम उठाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने औचक VVPAT मिलान की संख्या एक से बढ़ाकर पांच कर दी है। यानि अब हर लोकसभा सीट के एक नहीं बल्कि पाँच बूथों पर चुनाव आयोग का उड़न दस्ता छापा मारकर औचक जाँच करेगा कि वहाँ ईवीएम ठीक से काम कर रही है या नहीं। अभी तक यह केवल एक बूथ प्रति लोकसभा क्षेत्र होता था। इसके अलावा अदालत ने इसे आगामी लोकसभा चुनावों से ही लागू करने का भी आदेश केन्द्रीय चुनाव आयोग को दिया है।
विपक्षी नेताओं की याचिका पर हो रही थी सुनवाई
ईवीएम की शुचिता पर कई मौकों पर सवालिया निशान खड़े कर चुके दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल समेत विपक्ष के कई नेताओं ने याचिका दायर की थी, जिस पर सर्वोच्च न्यायालय सुनवाई कर रहा था। अन्य याचिकाकर्ताओं में थे तेदेपा (तेलुगु देशम पार्टी) के चंद्रबाबू नायडू, द्रमुक नेता एमके स्टालिन, नेशनल कॉन्फ्रेंस के फारुख अब्दुल्ला, सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और तृणमूल नेता डेरेक ओ’ब्रायन।
‘हम वर्तमान प्रणाली में कोई दोष नहीं घोषित कर रहे’
विपक्षी नेताओं के उलट उच्चतम न्यायलय ने ईवीएम सहित चुनाव आयोग की वर्तमान प्रणाली में कोई दोष निकालने या पाने से साफ़ इंकार कर दिया। उसे अपनी जाँच का दायरा बढ़ाने का आदेश देने के बावजूद भारत के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने यह साफ़ किया कि उसे वर्तमान प्रणाली में कोई खोट नहीं दिखता और यह एक से पाँच की बढ़ोतरी केवल चुनाव प्रणाली में भरोसा बढ़ाने के लिए हो रही है।
विपक्षी नेताओं की माँग लगभग खारिज
याचिका में विपक्षी नेताओं ने माँग की थी हर लोकसभा क्षेत्र के 50% बूथों पर VVPAT ऑडिट किया जाए। चुनाव आयोग ने इसे अव्यवहारिक बताते हुए इसका विरोध किया था और यह कहा था कि इससे तो मानवीय भूल द्वारा गलत नतीजे आने की सम्भावना बढ़ जाएगी। इसके अलावा इससे चुनावों के नतीजे आने में भी लगभग एक सप्ताह तक की देर हो सकने का अंदेशा आयोग ने जताया था।
अभी तक एक बूथ प्रति लोकसभा क्षेत्र के हिसाब से 0.44% बूथों की जाँच होती थी, जिसे उच्चतम न्यायलय के आदेश के बाद बढ़ाकर 2% करना होगा। इसके बाद भी नतीजे एक दिन के भीतर आने का चुनाव आयोग को भरोसा है।
अब तक कहीं नहीं निकली गड़बड़ी
चुनाव आयोग ने अपने जवाब में यह भी साफ़ किया कि उसने अब तक जिन 1,500 बूथों पर जाँच की है, उनमें से एक में भी उसे गड़बड़ी नहीं मिली है।