Tuesday, September 17, 2024
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अमन सहरावत ने जीता कांस्य, भारत के खाते में कुल 6 मेडल: बचपन में माता-पिता की मौत भी नहीं तोड़ पाया हौसला, 10 घंटे में घटाया 5.6kg वजन

अमन सहरावत हरियाणा के झज्जर जिले के बीरोहार के रहने वाले हैं। वहीं से उन्होंने कुश्ती की शुरुआत मिट्टी में की थी। साल 2012 के समर ओलंपिक में सुशील कुमार की रजत पदक मिला था। इससे प्रेरित होकर अमन ने 10 साल की उम्र में उत्तरी दिल्ली के छत्रसाल स्टेडियम में दाखिला लिया। यहाँ वे कुश्ती के गुर सीखने लगे।

पेरिस ओलंपिक 2024 में भारत के नाम एक और उपलब्धि हासिल हुई है। पुरुषों की 57 किलोग्राम भार-वर्ग कुश्ती में अमन सहरावत ने कांस्य पदक जीता है। अमन ने प्यूर्टो रीको के डारियन क्रूज को 13-5 के अंतर से हराया है। भारत तरह पेरिस ओलंपिक्स 2024 में भारत के खाते में छठा मेडल मिल गया है। भारत को अभी तक एक रजत और पाँच कांस्य पदक मिल चुके हैं।

अमन ने इस मेडल को अपने दिवंगत माता-पिता को समर्पित किया है। अमन के माता-पिता उनके बचपन में ही स्वर्ग सिधार गए थे। सहरावत का पालन-पालन उनके दादा-दादी ने की है। जीत के बाद अमन सहरावत ने कहा, “मैं इस मेडल को अपने माता-पिता और देशवासियों को समर्पित करना चाहता हूँ। मेरी नजर मेडल पर थी।”

अपनी रणनीति के बारे में बताते हुए अमन ने कहा, “मैं इस मैच में यह सोचकर उतरा था कि शुरू से विपक्षी पर दबाव बनाना है और उसमें मैं कामयाब रहा।” सेमीफाइनल में अमन सहरावत जापान के रेइ हिगुची से 0-10 से हार गए थे। अमन सहरावत ने ट्रायल्स में रवि दहिया को हराकर पेरिस ओलंपिक में एंट्री मारी थी। रवि ने इसी कैटेगरी में ओलंपिक में सिल्वर मेडल जीता था।

कहा जा रहा है कि सेमीफाइनल मैच हारने के बाद अमन सहरावत का वजन 4.6 किलोग्राम बढ़ गया था। उन्होंने अपने कोच के साथ मिलकर इसे 10 घंटे में कम किया। अंतिम मुकाबले से पहले वे रात भर सोए नहीं और अपने वजन को कम करने में लगे रहे। ट्रेड मिल से लेकर उन्होंने वो हर प्रयास किए, जिससे उनका वजन कम हो जाए और आखिरकार उन्होंने कर दिखाया।

कौन हैं अमन सहरावत

अमन सहरावत हरियाणा के झज्जर जिले के बीरोहार के रहने वाले हैं। वहीं से उन्होंने कुश्ती की शुरुआत मिट्टी में की थी। साल 2012 के समर ओलंपिक में सुशील कुमार की रजत पदक मिला था। इससे प्रेरित होकर अमन ने 10 साल की उम्र में उत्तरी दिल्ली के छत्रसाल स्टेडियम में दाखिला लिया। यहाँ वे कुश्ती के गुर सीखने लगे।

अमन जब 11 साल के थे, तब अलग-अलग मेडिकल कारणों से उनके माता-पिता मृत्यु हो गई। यह दौर उनके लिए बेहद परेशानी भरा था। हालाँकि, उनके दादा-दादी ने उन्हें हौसला दिया था। इसके बाद अमन सहरावत अपने सपने को फिर से जीने लगे और आखिरकार वे आज इस मुकाम पर पहुँचे।

अमन सेहरावत ने साल 2021 में अपना पहला राष्ट्रीय चैम्पियनशिप खिताब जीता था। साल 2022 में अंडर-23 एशियाई चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतकर अंडर-23 विश्व चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतने वाले पहले भारतीय बन गए। उन्होंने 2022 के एशियाई खेलों में 57 किलोग्राम वर्ग में कांस्य पदक जीता। अप्रैल 2023 में उन्होंने अस्ताना में 2023 एशियाई कुश्ती चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता।

जनवरी 2024 में उन्होंने जाग्रेब ओपन कुश्ती टूर्नामेंट में पुरुषों की 57 किलोग्राम प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक जीता। सहरावत ने इस्तांबुल में 2024 विश्व कुश्ती ओलंपिक योग्यता टूर्नामेंट में भाग लिया था और पेरिस में 2024 पेरिस ओलंपिक के लिए भारत को कोटा स्थान दिलाया। WFI ने उन्हें 2024 ओलंपिक के लिए टोक्यो ओलंपिक के रजत पदक विजेता रवि दहिया के बजाय उन्हें चुना था। 

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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