भारत ने सूर्य का अध्ययन करने वाले अपने पहले सोलर मिशन आदित्य एल-1 को सफलतापूर्वक लॉन्च कर दिया है। 2 सितंबर 2023 को लॉन्चिंग से पहले वैज्ञानिकों ने इस मिशन को सफल बनाने के लिए क्या-क्या किया, उनकी मेहनत के बारे में धीरे-धीरे जानकारी सामने आ रही है। रिपोर्ट के मुताबिक, आदित्य एल-1 की सफल लॉन्चिंग तक वैज्ञानिकों ने परफ्यूम लगाना छोड़ दिया था।
आदित्य एल-1 के मुख्य पेलोड पर काम करने वाले वैज्ञानिकों और इंजीनियरों के लिए परफ्यूम लागने की सख्त मनाही थी। मुख्य पेलोड विजिबल एमिशन लाइन कोरोनाग्राफ (VELC) का निर्माण निर्माण करने वाली इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स (IIA) की टीम को परफ्यूम या किसी तरह का स्प्रे से दूर रहने के लिए कहा गया था।
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, VELC को बेंगलुरु के पास होसकोटे में स्थित अत्याधुनिक वाइब्रेशन एंड थर्मोटेक फैसिलिटी सेंटर में बनाया गया था। यहाँ कंपोनेंट लेवल वाइब्रेशन डिटेक्टर्स और ऑप्टिकल एलिमेंट्स को इंटीग्रेट करने का काम किया गया था। इस काम को सफलतापूर्वक अंजाम देने के बाद इसे प्रदूषण से रहित किया गया था।
इसे बनाने वाली टीम ने भविष्य के खोजकर्ताओं से मिलते-जुलते फुल-सूट रिहर्सल में इलेक्ट्रोस्टैटिक डिस्चार्ज और प्रदूरषण फैलाने वाली चीजों को क्लीन रूम से दूर रखने का अभ्यास किया था। इस दौरान क्लीन रूम में परफ्यूम लगाकर आना भी प्रतिबंधित था। टीम के हर एक सदस्य को अल्ट्रासोनिक क्लीनिंग प्रोसेस से होकर गुजरना पड़ता था।
VELC तकनीकी टीम के प्रमुख नागाबुशाना एस ने बताया, “क्लीनरूम को अस्पताल के ICU से 1 लाख गुना अधिक साफ रखना पड़ता था।” दरअसल, वैज्ञानिकों ने जो सूट पहना था, वे सेंसर और ऑप्टिक्स की रक्षा करने वाली ढाल थे। इसके कारण क्लीन रूम में किसी तरह का प्रदूषण नहीं पहुँच पाता था।
IIA के VELC तकनीकी टीम के सदस्य सनल कृष्णा ने कहा, “हमने यह सुनिश्चित करने के लिए HEPA (उच्च दक्षता वाले पार्टिकुलेट एयर) फिल्टर, आइसोप्रोपिल अल्कोहल और कड़े प्रोटोकॉल का पालन किया, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई अन्य पार्टिकल्स हमारी प्रक्रिया में व्यवधान ना डाले। एक भी पार्टिकल के डिस्चार्ज से हमारी कई दिनों की मेहनत बर्बाद हो सकती थी।”
इस दौरान वैज्ञानिकों ने मेडिकल स्प्रे का भी इस्तेमाल करने से परहेज किया। इसलिए मिशन के दौरान उन्हें परफ्यूम लगाना भी छोड़ना पड़ा था। आदित्य एल-1 को किसी भी कीमत पर सफल बनाने के लिए वैज्ञानिकों ने कोई भी कसर नहीं छोड़ी और हर सावधानी बरती। इसका उत्साहजनक परिणाम भी सामने आया और आदित्य एल-1 सफलतापूर्वक अपने लक्ष्य की ओर बढ़ चला है।