Thursday, November 14, 2024
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1.75 करोड़ लोगों को वैक्सीन का दोनों डोज, इनमें सिर्फ 5700 लोग संक्रमित, मरीज के गंभीर होने की संभावना कम: ICMR

"टीका लगने के बाद भी अगर लोग संक्रमित हुए हैं तो यह उन्हें गंभीर हालात में नहीं ले जाता है। वैक्सीन का सेकेंड डोज लेने के 10 से 15 दिन के भीतर ही व्यक्ति में पर्याप्त मात्रा में एंटीबॉटी बन जाती है।"

देशभर में कोरोना वायरस के कहर के बीच इससे बचाव के लिए वैक्सीनेशन का तीसरा फेज भी शुरू हो गया है। इस बीच कई सारे ऐसे मामले भी सामने आ रहे हैं, जिसमें टीका लगवाने के बाद भी लोग संक्रमित हो रहे हैं। इसी संक्रमण की स्थिति को सरकार ने स्पष्ट किया है।

इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) ने बुधवार को कहा कि टीकाकरण के बाद 10,000 में से केवल 2-4 लोग ही कोरोना से संक्रमित हो रहे हैं।

आईसीएमआर के डायरेक्टर बलराम भार्गव ने वैक्सीनेशन को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि टीकाकरण के बाद संक्रमित होने वालों की संख्या बहुत कम परसेंटेज में है। उन्होंने जानकारी दी कि कोवैक्सीन का दूसरा डोज लेने के बाद करीब 0.04 फीसदी लोग संक्रमित पाए गए। जबकि, कोविशील्ड की दूसरी खुराक के बाद 0.03 प्रतिशत लोग इन्फेक्टेड मिले हैं।

साभार (टाइम्स ऑफ इंडिया)

वैक्सीनेशन के बाद अगर हम संक्रमित होते हैं तो इसे “ब्रेक थ्रू इन्फेक्शन” कहते हैं। आईसीएमआर के डेटा के मुताबिक 1.1 करोड़ कोवैक्सीन के डोज का उपयोग किया गया है, जिसमें 93,56,436 लोगों ने टीके का पहला डोज लिया।

पहले डोज के बाद 4,208 (0.04%) लोग संक्रमित हुए थे। इसी क्रम में 17,37,178 लोगों ने कोवैक्सीन का दूसरा डोज लिया था, जिसमें से 695 (0.04%) संक्रमित हुए।

कोवैक्सीन से अलावा कोविशील्ड के 11.6 करोड़ डोज दिए गए थे। इसमें से 10,03,02,745 लोगों को इसका पहला डोज लगा था, जिसमें 17145 (0.03%) संक्रमित हुए। फिर 1,57,32,754 लोगों ने इसका दूसरा डोज लिया था, जिसमें से 5,014 (0.03%) संक्रमित हुए।

जी न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक, नीति आयोग के हेल्थ मेंबर वीके पॉल ने कहा है कि टीका लगने के बाद भी अगर लोग संक्रमित हुए हैं तो यह उन्हें गंभीर हालात में नहीं ले जाता है। उन्होंने जानकारी दी कि कोविशील्ड कोरोना में 70 फीसदी तक असरदार रही है, जबकि कोवीशील्ड टेस्टिंग के थर्ड फेज की शुरुआत में 81 फीसदी तक इफेक्टिव रही है।

हेल्थ एक्सपर्ट के मुताबिक, वैक्सीन का सेकेंड डोज लेने के 10 से 15 दिन के भीतर ही व्यक्ति में पर्याप्त मात्रा में एंटीबॉटी बन जाती है।

30 साल से कम उम्र के लोगों पर दूसरी लहर का कम है असर

सरकार ने ये भी जानकारी दी है कि कोरोना की दूसरी लहर में 30 साल से कम उम्र के लोगों पर इसका असर कम हो रहा है। सरकार के मुताबिक, कोविड की पहली लहर के दौरान 10 से 20 वर्ष की आयुवर्ग में 8.07 प्रतिशत केस सामने आए थे। जबकि, सेकेंड वेव में 8.50 फीसदी केस ही सामने आए थे। वहीं 20-30 साल आयुवर्ग में कोरोना के पहले फेज में 20.41 प्रतिशत केस सामने आए, जबकि दूसरी लहर के दौरान 19.35 फीसदी केस ही थे।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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