भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के चंद्रयान-2 ऑर्बिटर और अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के लूनर रिकॉनिसेंस ऑर्बिटर (LRO) के बीच 20 अक्टूबर 2021 को अंतरिक्ष में टकराने की आशंका पैदा हो गई थी। हालाँकि इसरो ने चंद्रयान-2 ऑर्बिटर के मार्ग में बदलाव कर इसे टालने में कामयाबी हासिल कर ली।
इसरो ने सोमवार (15 नवंबर 2021) को एक बयान जारी कर बताया कि 20 अक्टूबर को चंद्रयान-2 ऑर्बिटर (CH2O) और लूनर रिकॉनिसेंस ऑर्बिटर (LRO) भारतीय समयानुसार दिन के 11.15 बजे चंद्रमा के उत्तरी ध्रुव के पास एक-दूसरे के बेहद करीब आने वाले थे।
इसरो के बयान के अनुसार दोनों ही एजेंसियों ने एक सप्ताह पहले से स्थिति का विश्लेषण करना शुरू कर दिया था और इस नतीजे पर पहुँचे थे कि निर्धारित समय पर दोनों ऑर्बिटर के बीच रेडियल दूरी 100 मीटर से भी कम होगी और निकटतम दूरी उक्त समय पर मात्र 3 किलोमीटर रह जाएगी।
दोनों एजेंसियों ने माना कि दोनों के संभावित टक्कर को टालने के लिए CAM (Collision Avoidance Manoeuvre) की जरूरत है। दोनों एजेंसी इस बात पर सहमत थे कि इसरो का ऑर्बिटर उसी से गुजरेगा। इसके लिए CH2O की कक्षा को बदलना होगा। इसके बाद इसरो ने 18 अक्टूबर को भारतीय समयानुसार रात 8.22 बजे चंद्रयान-2 ऑर्बिटर की नई कक्षा निर्धारित की और ये भी सुनिश्चित किया कि निकट भविष्य में दोनों की ऐसी कोई निकटता न हो। बता दें कि चंद्रयान -2 और एलआरओ चंद्रमा की लगभग ध्रुवीय कक्षा में परिक्रमा करते हैं और इसलिए दोनों अंतरिक्ष यान चंद्र ध्रुवों पर एक दूसरे के करीब आते हैं।
उल्लेखनीय है कि पृथ्वी की कक्षा में उपग्रहों के मलबे और अन्य अंतरिक्ष वस्तुओं के कारण टकराव के जोखिम को कम करने के लिए अंतरिक्ष एजेंसियों के लिए CAM की कवायद सामान्य गतिविधि है। इसरो नियमित रूप से ऐसे महत्वपूर्ण करीबी दूरी के ऑब्जेक्ट्स की निगरानी करता है। हालाँकि, यह पहली बार है जब इसरो के एक महत्वपूर्ण अंतरिक्ष अन्वेषण मिशन के लिए इस तरह की कवायद करने की जरूरत पड़ी।