पुलवामा आतंकी हमले में मध्य प्रदेश के जबलपुर स्थित खुड़ावाल के अश्वनी कुमार काछी भी वीरगति को प्राप्त गए। सेना की गाड़ी से शहीद अश्विनी के पार्थिव शरीर को उनके पैतृक गाँव लाया गया, जहाँ पूरे राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार संपन्न हुआ। उनके अंतिम संस्कार के दौरान मुख्यमंत्री कमलनाथ भी उपस्थित रहे। अंतिम यात्रा में पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शहीद की अर्थी को कन्धा दिया। अश्विनी के अंतिम दर्शन के लिए हज़ारों लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी। राज्य सरकार के कई मंत्री भी इस दौरान वहाँ उपस्थित थे। मुख्यमंत्री ने अश्वनी के परिजनों से मुलाक़ात कर उन्हें सांत्वना दी।
अमर शहीद अश्विनी को कंधा देते वक़्त मन भाव से भर गया। आप जैसे वीरों की वजह से ही भारत माता पूरी तरह सुरक्षित है।
— ShivrajSingh Chouhan (@ChouhanShivraj) February 16, 2019
दिल से एक संकल्प उठा, “अश्विनी, आप का बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा। इन आतंकियों किसी भी क़ीमत पर छोड़ा नहीं जाएगा।” pic.twitter.com/OYWfCRTr9o
अश्वनी कुमार काछी परिवार के सबसे छोटे बेटे थे। चार भाइयों में सबसे छोटे अश्वनी की पहली पोस्टिंग साल 2017 में श्रीनगर में हुई थी। उनके बुज़ुर्ग पिता ने कहा कि उन्हें अपने बेटे की मृत्यु पर गर्व है लेकिन यक़ीन नहीं होता कि वो अब इस दुनिया में नहीं है। उन्होंने सरकार से ‘ख़ून के बदले ख़ून’ की माँग की। अश्वनी की माँ ने भी सरकार से बदला लेने की माँग की। उनके बड़े भाई भी अश्वनी की याद में ग़मगीन हैं, लेकिन साथ ही उन्हें अपने भाई के बलिदान पर फ़ख़्र भी है।
अश्वनी कुमार घर के एकमात्र कमाऊ पूत थे। उनके पिता ने मज़दूरी कर बेटों को पढ़ाया- लिखाया। कॉलेज के समय से ही एनसीसी में रहे अश्वनी काफ़ी पहले से ही सीआरपीएफ में भर्ती होना चाहते थे। इसी वर्ष उनकी शादी भी तय होने वाली थी। साल के आख़िर में वह लम्बी छुट्टी लेकर घर आने वाले थे। अश्वनी की माँ अपने पाँचों बच्चों के भरण-पोषण के लिए बीड़ी बनाने का कार्य किया करती थी। जब अश्विनी की नौकरी लगी, तब उन्होंने अपनी माँ से बीड़ी बनाने वाला कार्य छुड़वा दिया था।
मुख्यमंत्री कमल नाथ ने शहीद के परिजनों को ₹1 करोड़, एक आवास और परिवार के सदस्य को शासकीय नौकरी देने की घोषणा की है। परिवार वालों के अनुसार अश्वनी अक़्सर कहा करते थे कि वो तिरंगे में लिपट कर आना चाहते हैं। स्वर्गीय अश्वनी चार भाई व एक बहन हैं। उनके पिता ने कहा कि उनकी कामना है की गाँव का हर युवा सेना में भर्ती होकर देश की सेवा करें।
वीरगति को प्राप्त अश्वनी का पार्थिव शरीर हवाईमार्ग से प्रयागराज तक लाया गया और वहाँ से सड़क मार्ग द्वारा उसके पैतृक ग्राम खुड़ावल तक लाया गया। उनके कोच खड़ग सिंह पटेल ने कहा कि मेरे शिष्य ने देश के लिए जान दी है, मैं उसे सलाम करता हूँ। इस बीच गर्व से भरे बुजुर्ग माता-पिता ने वीर सपूत अश्वनी के सिर पर तिलक लगाकर माला पहनाई। उनके बड़े भाई ने शहीद को मुखाग्नि दी।