पुलवामा आतंकी हमले में वीरगति को प्राप्त हुए CRPF जवानों में एक नाम बिहार की राजधानी पटना स्थित मसौढ़ी के रहने वाले संजय कुमार सिन्हा का भी है। आतंकियों की इस कायरतापूर्ण कार्रवाई में बिहार के दो बहादुरों ने मातृभूमि की बलि-बेदी पर अपनी जान न्योछावर कर दी। संजय कुमार सिन्हा का पार्थिव शरीर शनिवार (फरवरी 16, 2019) दोपहर पटना एयरपोर्ट से मसौढ़ी पहुँचा, जहाँ उनके अंतिम दर्शन के लिए भरी मात्रा में लोग मौजूद रहे। फतुहा में मोक्षदायिनी गंगा तट पर स्थित त्रिवेणी घात पर उनका अंतिम संस्कार संपन्न हुआ। उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी भी इस दौरान वहाँ उपस्थित थे।
पुलवामा में शहीद संजय कुमार सिन्हा के परिवार के सदस्यों से मिलते हुए । pic.twitter.com/bLFSTFzx9H
— Sushil Kumar Modi (@SushilModi) February 16, 2019
माँ राजमणि देवी, पिता महेंद्र सिंह, पत्नी बेबी देवी, पुत्री रूबी कुमारी, टुन्नी कुमारी व पुत्र ओमप्रकाश समेत अन्य परिजनों ने शहीद संजय के अंतिम दर्शन किए। केंद्रीय मंत्रियों रविशंकर प्रसाद और रामकृपाल यादव ने भी श्रद्धांजलि अर्पित की। बीते आठ फ़रवरी को ही जवान संजय छुट्टी बिताकर ड्यूटी के लिये वापस आए थे। उन्हें अपनी बड़ी बेटी रूबी की शादी की फ़िक्र सता रही थी। वापस ड्यूटी पर जाते वक़्त उन्होंने घरवालों से दोबारा आने का वादा किया था। जब उनकी मृत्यु का समाचार आया, तब उनकी पत्नी बबीता भोजन कर रही थी। यह दुःखद सूचना मिलते ही थाली उनके हाथों से गिर पड़ी और वह दहाड़ मार कर रोने लगी।
पटना स्थित जय प्रकाश नारायण हवाई अड्डा पर पुलवामा आतंकवादी हमले में शहीद हुए बिहार निवासी सी0आर0पी0एफ0 के हवलदार संजय कुमार सिन्हा जी एवं शहीद सिपाही रतन कुमार ठाकुर जी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए।https://t.co/Nx8E9uIVul pic.twitter.com/uxgO4dmPvl
— Nitish Kumar (@NitishKumar) February 16, 2019
संजय ने कहा था कि वह घर लौटते ही बेटी के लिए लड़का देखने जाएँगे। घरवाले भी उनका बेसब्री से इंतज़ार कर रहे थे। लेकिन जब उनके वीरगति को प्राप्त होने की सूचना मिली, पूरा परिवार ही स्तब्ध रह गया और गाँव में मातम पसर गया। संजय की इच्छा थी कि उनका बेटा एक अच्छा डॉक्टर बने। बेटा सोनू मेडिकल की तैयारी भी कर रहा है। उनकी दोनों बेटियाँ स्नातक हैं। गाँववालों में आतंकियों के इस हरक़त पर भारी आक्रोश है। ग्रामीणों ने कहा कि सरकार को दोबारा सर्जिकल स्ट्राइक कर के आतंकियों का सफ़ाया करना चाहिए।
जब संजय की अंतिम यात्रा शुरू हुई तब पटना एयरपोर्ट से निकले सेना के वाहन के क़ाफ़िले पर सड़क के दोनों ओर खड़े होकर लोगों ने फूल बरसाये. लोगों ने शहीद संजय अमर रहे, पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारे लगाये। तिरंगा लिये लोगों ने उनके क़ाफ़िले पर जगह-जगह पुष्पों की वर्षा की और हाथ जोड़ कर श्रद्धांजलि दी। इस से पहले मुख्यमंत्री नितीश कुमार ने पटना में बिहार के दोनों वीरगति को प्राप्त जवानों को श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्हें राजकीय सम्मान के साथ सलामी देने के लिए सीआरपीएफ, एसएसबी और बिहार पुलिस के जवान उपस्थित थे। बिहार सरकार व सुरक्षा बलों के कई अधिकारियों ने नम आँखों के साथ शहीद के अंतिम दर्शन किए।
उधर एक अन्य ख़बर के मुताबिक़, संजय की पत्नी को अब तक मुआवज़े वाला चेक नहीं दिया जा सका है। उनके नाम में तकनीकी त्रुटि हो जाने के कारण ऐसा नहीं हो पाया। डीएम रवि कुमार ने कहा कि उनके परिजनों से शपथपत्र माँगा गया है, जिसके मिलते ही उन्हें मुआवज़े का चेक सौंप दिया जाएगा। सरकारी घोषणानुसार हुतात्मा संजय की पत्नी को कुल ₹36 लाख का चेक दिया जायेगा। इनमें से ₹11 लाख बतौर मुआवज़ा व ₹25 लाख शहीद की बेटियों की शादी और संतानों की पढ़ाई के लिए मुख्यमंत्री राहत कोष से दिए जाएँगे।
बेबटेक इंटरनेशनल लिमिटेड कंपनी (आइटी), कोलकाता के प्रबंधक सौरभ कश्यप भी शहीद के घर पहुँचे व परिजनों को ढांढ़स बँधाया। उन्होंने संजय की बड़ी पुत्री रूबी को ₹1 लाख का चेक दिया। उनके बेटे ओम प्रकाश की मेडिकल की पढ़ाई में मदद करने का आश्वासन देते हुए सौरभ ने तीनो भाई-बहनों को अपनी कम्पनी में नौकरी देने की भी पेशकश की। वे मोहल्ले के युवकों को दौड़ने के लिए प्रेरित करते थे ताकि वे सेना अथवा अर्द्धसैनिक बल में शामिल हो सकें। पड़ोसी बताते हैं कि छुट्टी में आते थे तो सामाजिक कार्यों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते थे। ग्रामीणों ने उनकी आदमकद प्रतिमा की भी माँग की है।
पुलवामा आतंकी हमले में शहीद हुए माँ भारती के अमर सपूत तथा मेरे संसदीय क्षेत्र के मसौढ़ी निवासी अमर शहीद संजय कुमार सिन्हा जी के परिजनों से मिलकर शोक की इस कठिन घड़ी में अपनी संवेदना व्यक्त किया।
— Ram Kripal Yadav (@ramkripalmp) February 15, 2019
संजय कुमार सिन्हा अमर रहें। #Pulwama #PulwamaAttack pic.twitter.com/vbxMgHucNR
स्वर्गीय संजय के दोस्तों के अनुसार, वह सिर्फ़ एक अच्छे जवान ही नहीं बल्कि एक अच्छे विचार वाले व्यक्ति भी थे। जब भी गाँव आते तो दोस्तों से ज़रूर मिलते थे। जिस वक़्त संजय के शहीद होने की सूचना मिली, उनकी माँ घर पर नहीं थी। सूचना मिलते ही जब वो घर पहुँची तो माहौल मातम में बदल गया। संजय के पिता को इस बात का मलाल है कि वह बेटी की शादी पूरी नहीं कर सके। उनका वादा अधूरा रह गया। संजय के पिता ने सरकार से इस हमले का बदला लेने की भी अपील की।