पुलवामा में गुरुवार को आत्मघाती हमले में महाराष्ट्र के बुलढाणा जिले के दो जवान संजय राजपूत और नितिन राठौर हमेशा के लिए अपने घर, परिवार, शहर, जिले सबको अलविदा कह गए।
संजय राजपूत का परिवार जिले के मलकापुर के लखानी प्लॉट में रहता है। 20 साल की सेवा पूरी करने के बाद भी उन्होंने देश के लिए अपनी सेवा को पाँच वर्ष के लिए आगे बढ़वाया था। उन्हें क्या मालूम था उनका यह फ़ैसला उन्हें हमेशा के लिए परिवार से दूर कर देगा।
संजय के दो बच्चे हैं, जिनकी उम्र 13 और 10 साल है। उनके परिवार में चार भाई और एक बहन हैं। जिसमें से एक भाई को पहले ही परिवार एक्सिडेंट में खो चुका है।
इस हमले के कुछ देर पहले ही संजय ने अपने बड़े भाई राजेश से फोन पर बात की थी। राजेश ने उन्हें याद करते हुए कहा कि उन्हें नहीं मालूम था कि यह उनकी भाई से आखिरी बातचीत है।
राजेश ने बताया कि संजय श्रीनगर में 115 वीं बटालियन के साथ अपनी नई पोस्टिंग के लिए 11 फरवरी को नागपुर से कश्मीर गए थे। राजेश ने संजय को गुरुवार को सुबह करीब 9.30 बजे फोन किया, तब संजय ने उन्हें बताया कि वह अपनी नई पोस्टिंग में शामिल होने के लिए सुबह 3.30 बजे जम्मू से रवाना हुए हैं।
देश के नाम हुए बलिदान नितिन और संजय के लिए प्रभादेवी सिद्धीविनायक मंदिर ट्रस्ट ने परिवार को 51 लाख रुपए की सहायता राशि देने का ऐलान किया है। इसके अलावा मंदिर ट्रस्ट की तरह पुणे के मेरी टैक्निकल इंस्टिटयूट ने भी परिवारों को 25 लाख रुपए देने का ऐलान किया।
महाराष्ट्र सरकार ने भी वीर जवानों के परिवार को 50 लाख रुपए देने की घोषणा की है। साथ ही सरकार परिवार के पुनर्वास की जिम्मेदारी भी उठाएगी।