बिहार की राजधानी पटना के कुर्जी इलाके में स्थित दीघा मस्जिद से पकड़े गए 12 विदेशियों को क़्वारंटाइन कर दिया गया है। सोमवार को इन्हें हिरासत में लेने के बाद जाँच के लिए पटना एम्स भेजा गया। यहाँ स्क्रीनिंग के बाद इन्हें होटल पाटलिपुत्र अशोक भेजा गया। खुद एम्स के निदेशक डॉ प्रभात कुमार सिंह ने इस खबर की जानकारी दी।
उल्लेखनीय है कि सोमवार को ये सभी पटना पहुँचे थे। लेकिन, पहले इस बारे में किसी को सूचना नहीं थी। मगर, खुलासा होते ही आसपास के मोहल्ले में ये खबर फैल गई और लोगों ने इसका विरोध करना शुरू कर दिया। हँगामे की सूचना मिलते ही स्थानीय पुलिस भी फौरन इलाके में पहुँची और 12 विदेशियों को अपनी कस्टडी में ले लिया।
इनसे पूछताछ में पता चला कि सभी तजाकिस्तान (Tajikistan) के निवासी हैं और पटना में धार्मिक प्रचार प्रसार के लिए आए थे। दीघा थानेदार मनोज कुमार सिंह ने बताया कि एहतियातन जाँच के लिए सभी को एम्स भेजा गया। ये सभी चार महीने पूर्व धार्मिक प्रचार के लिए भारत आए थे और सोमवार की सुबह नमाज के लिए दीघा मस्जिद गए थे, पुलिस ने सूचना पर जाँच के लिए एम्स भिजवाया।
यहाँ बता दें कि स्थानीय लोगों का कहना है कि सरकार को इन विदेशियों के बारे में जानकारी होनी चाहिए थी लेकिन कुछ लोगों की मदद से इन लोगों को धार्मिक स्थल की आड़ लेकर छिपाया गया। साथ ही इन लोगों ने अपनी मेडिकल जाँच भी नहीं करवाई। इन पर ये भी आरोप लगा कि धार्मिक स्थल में छिपकर ये लोग बिहार में घूम-घूमकर धर्म विशेष का प्रचार करते हैं।
जानकारी के मुताबिक, ये सभी विदेशी पहले दिल्ली, फिर मुंबई में थे। इसके बाद 4 मार्च को पटना पहुँचे थे। लेकिन यहाँ इन्हें अपने काम (मजहब प्रचार) को करने के लिए अशोक राजपथ पर नूरी मस्जिद स्थित तबलिगी जमायत मुख्यालय जाना था। क्योंकि, वहीं से इन्हें किस मस्जिद में भेजना है, ये तय होता है।
दरअसल, बिहार में इस काम के लिए मुख्यालय से ही कमान कटता है। बताया जा रहा है कि इन लोगों का सोमवार की सुबह दीघा के गेट नंबर 74 पर स्थित मस्जिद में जाने के लिए कमान कटा था। मगर, सुबह करीब दस बजे किसी ने उन्हें देख हल्ला कर दिया कि बिना जाँच के दूसरे देश से पटना आए हैं।