पश्चिम बंगाल में डॉक्टरों की जारी हड़ताल और उनकी सुरक्षा आश्वासन देने की माँग न मानने के ममता बनर्जी के हठ ने एक मासूम को लील लिया। बंगाल में 3 दिन के एक बच्चे की जान इलाज के अभाव में चली गई है। उसके पिता के अनुसार वह उसे जहाँ-जहाँ लेकर गए, डॉक्टरों ने इलाज करने से मना कर दिया। खबर सोशल मीडिया पर सबसे पहले आनंद बाजार पत्रिका की फोटो जर्नलिस्ट ने ब्रेक की है।
मासूम का शव हाथ में ले फफकता पिता
आनंद बाजार पत्रिका की छायाकार दमयंती दत्ता ने सफ़ेद कफ़न में लिपटे मासूम के शव को लिए हुए फफकते पिता की फ़ोटो शेयर करते हुए लिखा, “#Savethedoctors और #SaveBengal के बीच यह एक पिता है जिसने अपने नवजात को इसलिए खो दिया क्योंकि डॉक्टरों ने शिशु का इलाज नहीं किया। आज का @MyAnandBazar चित्र।” (अनूदित)
Between #Savethedoctors and #SaveBengal, here is a father who lost his newborn because doctors wouldn’t treat the baby. Today’s @MyAnandaBazar pix. pic.twitter.com/xyGsZi92GS
— Damayanti Datta (@DattaDamayanti) June 14, 2019
फर्स्टपोस्ट की खबर के अनुसार शिशु के पिता अभिजित मलिक का बयान है, “उसे (उनके बेटे को) डॉक्टरी सहायता की ज़रूरत थी। मैं उसे कई अस्पतालों में लेकर गया। किसी ने सहायता नहीं की। उसकी गलती क्या थी? इस हड़ताल ने मेरे बेटे की जान ले ली।”
मालूम हो कि पश्चिम बंगाल में एनआरएस अस्पताल में एक समुदाय विशेष मरीज की हृदयघात से मृत्यु हो जाने के बाद उसके तीमारदारों द्वारा भीड़ जुटाकर जूनियर डॉक्टरों पर हमला बोल दिया गया था। पुलिस ने भी सक्षम तरीके से डॉक्टरों की सहायता नहीं की (जिसके पीछे कारण ममता बनर्जी की मुस्लिम तुष्टिकरण की नीति माना जा रहा है), और दो डॉक्टरों को इतनी गंभीर चोटें आईं कि उन्हें आईसीयू में भर्ती करना पड़ा। इसके बाद इसके विरोध में पहले तो एनआरएस के और फिर पूरे प्रदेश में जूनियर डॉक्टर बड़ी तादाद में हड़ताल पर चले गए हैं। डॉक्टरों की माँग है कि ममता बनर्जी हमले के आरोपितों को तुरंत गिरफ़्तार करवाएँ और डॉक्टरों की अस्पताल में सुरक्षा सुनिश्चित करें।
वहीं मुख्यमंत्री ने उनकी माँगें माँगने की बजाय पहले तो उन्हें हड़ताल से दिक्कतें और इलाज के आभाव में मौत का खतरा झेल रहे मरीजों का हवाला दे कर मनाने की कोशिश की। लेकिन जब वह नहीं माने तो बनर्जी ने उन्हें हड़ताल खत्म करने का अल्टीमेटम और न करने पर गंभीर परिणाम की चेतावनी दी। इसके अलावा पूरे मामले में उन्होंने भाजपा और माकपा पर भी प्रदेश में साजिश करने का आरोप लगाया है।
उच्च न्यायालय की अपील
कलकत्ता उच्च न्यायालय ने मामले में एक जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए तरफ़ डॉक्टरों को मरीज की भलाई को सर्वोपरि रखने की अपनी व्यवसायिक शपथ (हिप्पोक्रेटिक ओथ) याद दिलाई, और दूसरी ओर सरकार से आग्रह किया कि डॉक्टरों की सुरक्षा सुनिश्चित करे और मामले का शांतिपूर्ण हल निकाले। उच्च न्यायालय ने जनहित याचिका की सुनवाई के लिए एक हफ़्ते बाद 21 जून की तारीख़ मुकर्रर की है।