जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 निष्प्रभावी होने के बाद से जहाँ विपक्षी और पड़ोसी मुल्क भारत सरकार की आलोचना करते नहीं थक रहे। वहीं, जम्मू-कश्मीर की युवा पीढ़ी अपने सुनहरे भविष्य के लिए बड़ी तादाद में भारत सरकार की योजनाओं का लाभ उठा रही है।
इस वर्ष जम्मू और कश्मीर से लगभग 4,500 छात्रों ने प्रधानमंत्री स्पेशल स्कॉलरशिप योजना (पीएमएसएसएस) के तहत स्नातक में दाखिला लिया, जो कि पिछले 6 सालों में सबसे अधिक है। इसमें जम्मू क्षेत्र से 2,400 और कश्मीर से 1,474 छात्र हैं। शेष लद्दाख से हैं।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक इन 4,500 छात्रों में से सबसे अधिक बच्चों ने इंजीनियरिंग में दाखिला लिया है। इनकी संख्या 2,690 है। 800 के करीब बच्चों ने बीए और बीएससी जैसी डिग्री में एडमिशन लिया। 700 छात्रों ने नर्सिंग चुना है और लगभग 150 ने फार्मेसी।
बता दें कि जम्मू-कश्मीर पर हाल ही में आए सरकार के फैसले के बाद राज्य प्रशासन ने सर्वोच्च न्यायालय से पीएमएसएसएस के तहत चुने गए छात्रों की निर्धारित संस्थानों में रिपोर्ट करने की तारीख को बढ़ाने के संबंध में अनुरोध किया था। इसमें प्रशासन ने कहा था कि राज्यों में लगे प्रतिबंध के कारण चुने गए छात्र 15 अगस्त तक दाखिले के लिए मिले संस्थान में रिपोर्ट नहीं कर सकते, इसलिए समय सीमा को बढ़ाकर 15 सितम्बर कर दिया जाए। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने राज्य प्रशासन के इस अनुरोध को अपनी मंजूरी दे दी थी। बता दें कि इस वर्ष जम्मू-कश्मीर के सबसे अधिक बच्चों ने महाराष्ट्र में दाखिला लिया है। इसके बाद दिल्ली, पंजाब और उत्तर प्रदेश का नंबर आता है।
गौरतलब है कि जिस योजना के तहत जम्मू-कश्मीर के ये छात्र अलग-अलग क्षेत्रों में दाखिला ले रहे हैं, वह 2011-12 में शुरू किया गया था। इस योजना में जम्मू-कश्मीर के बच्चों को पूरे देश भर के कॉलेज, संस्थान और विश्वविद्यालयों में दाखिला देने का प्रस्ताव था। इसके अलावा उनकी ट्यूशन, बोर्ड, बुक और अन्य जरूरी सामान के भुगतान की बात भी इस योजना के अंतर्गत कही गई है।
पीएमएसएसएस का उद्देश्य जम्मू-कश्मीर के युवाओं को पूरे देश भर में समान रूप से अवसर प्रदान करना है। इस योजना में 5,000 स्कॉरलरशिप जम्मू-कश्मीर के छात्रों को हर वर्ष इंजीनियरिंग, मेडिकल, नर्सिंग, फार्मेसी और होटल मैनेजमेंट, कृषि, आर्किटेक्चर और कॉमर्स की पढ़ाई के लिए दी जाती है।