Friday, November 22, 2024
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20 साल की औरत 36 साल तक मर्द बन कर रही, पहनती थी शर्ट और लुंगी: शादी के 15 दिन बाद ही पति की हो गई थी मौत

तूतूकूड़ी शहर से 30 किलोमीटर दूर स्थित कट्टनायकनपट्टी गाँव की रहने वाली एस पेटीअम्मल ने अपने पति की आकस्मिक मौत के बाद इकलौती बेटी को पालने के लिए कई तरह के संघर्ष किए। इस दौरान उन्हें कई तरह की कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, जिनमें यौन ताने सुनना भी शामिल है।

मछली और मोतियों के उत्पादन के लिए प्रसिद्ध तमिलनाडु के तूतूकूड़ी (Thoothukudi, Tamil Nadu) में एक महिला ने दावा किया है कि उसने 36 साल एक पुरुष के वेश में जीवन जिया है। महिला का कहना है कि अपनी इकलौती बेटी को सुरक्षित रूप से पालने के लिए उसने ऐसा किया, ताकि बुरे लोगों से बचा जा सके।

तूतूकूड़ी शहर से 30 किलोमीटर दूर स्थित कट्टनायकनपट्टी गाँव की रहने वाली एस पेटीअम्मल ने अपने पति की आकस्मिक मौत के बाद इकलौती बेटी को पालने के लिए कई तरह के संघर्ष किए। इस दौरान उन्हें कई तरह की कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, जिनमें यौन ताने सुनना भी शामिल है। इस सब स्थितियों को देखते हुए उन्होंने एक निर्णय लिया और समाज के सामने ‘मुथु’ नाम की एक पुरुष बन गईं।

न्यू इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए पेटीअम्मल ने कहा, “शादी के 15 दिन बाद ही मैंने अपने पति शिव को खो दिया। तब मैं सिर्फ 20 साल की थी। इसी दौरान मैंने अपनी बेटी षडमुंगसुंदरी को जन्म दिया। मैंने फिर से शादी नहीं करने का फैसला किया, लेकिन अकेले बच्चे की परवरिश करना मुश्किल हो गया। मैंने निर्माण स्थलों, होटलों और चाय की दुकानों में काम किया, लेकिन मुझे इन सभी जगहों पर प्रताड़ना झेलनी पड़ी।”

एक युवा अकेली महिला के रूप में समाज के नजरिए और जीवन की कठिनाइयों को देखते हुए पेटीअम्मल तिरुचेंदूर मुरुगन मंदिर गई और वहाँ उन्होंने अपनी पूरी वेश-भूषा बदल ली। उन्होंने साड़ी को छोड़कर शर्ट और लुंगी पहन लिया और खुद का नाम मुथु देकर समाज के सामने एक पुरुष के रूप में सामने आई।

अपनी असली पहचान को छिपाए रखने की बात को लेकर पेटीअम्मल ने बताया, “हम 20 साल पहले कट्टुनायक्कनपट्टी में बस गए थे। केवल मेरे घर आने वाले करीबी रिश्तेदार और मेरी बेटी को पता था कि मैं एक महिला हूँ।”

पेटीअम्मल की बेटी षडमुंगसुंदरी की शादी हो गई, लेकिन पेटीअम्मल अब भी अपनी पहचान बदलना नहीं चाहती हैं। उनका कहना है कि इस पहचान ने उनकी बेटी को सुरक्षित जीवन दिया। इसलिए वह मरते दम तक वह मुथु ही रहेंगी। वहीं, उनका आधार कार्ड, राशन कार्ड और वोटर आईडी पुरुष के रूप में हैं। हालाँकि, अब उन्होंने मनरेगा जॉब में उन्होंने महिला पहचान दिया है, क्योंकि उनसे अब कड़ी मेहनत वाला काम नहीं हो पाता।

उन्होंने कहा कि उनके पास न घर है और ही बचत की कोई रकम। उन्होंने सरकार से सहायता की माँग की है। वहीं, कलेक्टर ने मामले की जाँच करने के बाद उन्हें किसी सामाजिक कल्याण योजना से जोड़ने की बात कही है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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