हाल ही में भारतीय सेना के जवान अमृतपाल सिंह का गोली लगने के कारण निधन हुआ। इसके बाद विपक्षी दल ओछी राजनीति पर उतर कर तरह-तरह के दावे करने लगे। अमृतपाल सिंह की सेना में भर्ती ‘अग्निवीर’ के रूप में हुई थी। उनके निधन के बाद सेना के 2 जवान पार्थिव शरीर को उनके घर छोड़ने आए थे। मानसा के कोटली गाँव में उनका अंतिम संस्कार हुआ। हालाँकि, उन्हें ‘गार्ड ऑफ ऑनर’ न दिए जाने का आरोप लगाते हुए विपक्षी दलों के नेताओं ने राजनीति शुरू कर दी।
कॉन्ग्रेस पार्टी ने अमृतपाल सिंह की अंतिम यात्रा की तस्वीर शेयर करते हुए अपने आधिकारिक सोशल मीडिया हैंडल से लिखा, “पंजाब के रहने वाले अमृतपाल सिंह ‘अग्निवीर’ के तौर पर सेना में भर्ती हुए। वो कश्मीर में तैनात थे, 10 अक्टूबर को गोली लगने से वे शहीद हो गए। दुखद ये है कि देश के लिए शहीद होने वाले अमृतपाल जी को सैन्य सम्मान के साथ अंतिम विदाई भी नहीं दी गई। उनका पार्थिव शरीर एक आर्मी हवलदार और दो जवान लेकर आए।”
भारतीय सेना पर कॉन्ग्रेस, AAP और ‘अकाली दल’ की ओछी राजनीति
कॉन्ग्रेस ने ये आरोप भी लगाया कि इसके अलावा आर्मी की कोई यूनिट तक नहीं आई। पार्टी ने लिखा कि यहाँ तक कि उनके पार्थिव शरीर को भी आर्मी वाहन के बजाए प्राइवेट एंबुलेंस से लाया गया। साथ ही इसे देश के बलिदानियों का अपमान करार दिया। अब भारतीय सेना ने आधिकारिक बयान जारी कर के सब कुछ क्लियर कर दिया है, जिसके बारे में हम आगे जानेंगे। लेकिन, उससे पहले देखिए कैसे सेना के एक जवान की मौत के बाद लाश के ऊपर गंदी राजनीति की गई।
पंजाब के रहने वाले अमृतपाल सिंह अग्निवीर के तौर पर सेना में भर्ती हुए।
— Congress (@INCIndia) October 14, 2023
वो कश्मीर में तैनात थे, 10 अक्टूबर को गोली लगने से वे शहीद हो गए।
दुखद ये है कि देश के लिए शहीद होने वाले अमृतपाल जी को सैन्य सम्मान के साथ अंतिम विदाई भी नहीं दी गई।
उनका पार्थिव शरीर एक आर्मी हवलदार और दो… pic.twitter.com/WtgUopfSXR
बठिंडा से सांसद और अकाली दल की नेता हरसिमरत कौर बादल ने भी इस मामले पर बयान दिया। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने लिखा, “जम्मू कश्मीर के पूँछ में अमृतपाल सिंह के बलिदान के बाद व्यथित हूँ। प्राइवेट एम्बुलेंस में बॉडी लाकर परिवार को दे दिया गया, गार्ड ऑफ ऑनर तक नहीं दिया गया। बताया जा रहा है कि ये सब इसीलिए हुआ, क्योंकि अमृतपाल सिंह ‘अग्निवीर’ थे। हमें सभी सैनिकों को समान नज़र से देखना चाहिए। उन्हें सैन्य सम्मान दिया जाना चाहिए।”
Shocked to learn that Agniveer Amritpal Singh, who was martyred in the line of duty in Poonch in J & K was cremated without an Army guard of honour & even his body was brought to his native village in Mansa in a private ambulance by his family! It is learnt that this happened… pic.twitter.com/j83czasAsp
— Harsimrat Kaur Badal (@HarsimratBadal_) October 14, 2023
पंजाब की सत्ताधारी ‘आम आदमी पार्टी’ (AAP) इन सबमें कहाँ पीछे रहने वाली थी। मुख्यमंत्री भगवंत मान ने मदद की घोषणा तो की, लेकिन उस दौरान भी भारतीय सेना को निशाना बनाया। उन्होंने लिखा कि अमृतपाल सिंह के बलिदान को लेकर भारतीय सेना की जो भी नीति हो, पंजाब सरकार की सभी बलिदानियों को सम्मान देने की नीति है। साथ ही उन्होंने इस मामले को केंद्र सरकार के समक्ष उठाने की भी बात कही। एक तरह से उन्होंने पंजाब सरकार की नीति को अच्छा और भारतीय सेना की नीति को खराब कह दिया बिना सोचे-समझे।
ਸ਼ਹੀਦ ਅੰਮ੍ਰਿਤਪਾਲ ਸਿੰਘ ਜੀ ਦੀ ਸ਼ਹੀਦੀ ਬਾਰੇ ਫੌਜ ਦੀ ਨੀਤੀ ਜੋ ਵੀ ਹੋਵੇ ਪਰ ਪੰਜਾਬ ਸਰਕਾਰ ਦੀ ਨੀਤੀ ਓਹੀ ਰਹੇਗੀ ਜੋ ਹਰੇਕ ਸ਼ਹੀਦ ਲਈ ਹੁੰਦੀ ਹੈ..ਸ਼ਹੀਦ ਅੰਮ੍ਰਿਤਪਾਲ ਸਿੰਘ ਦੇਸ਼ ਦਾ ਸ਼ਹੀਦ ਹੈ..1 ਕਰੋੜ ਰੁਪਏ ਸਨਮਾਨ ਰਾਸ਼ੀ ਪੰਜਾਬ ਸਰਕਾਰ ਵਲੋਂ ਪਰਿਵਾਰ ਨੂੰ ਦਿੱਤੀ ਜਾਵੇਗੀ..ਕੇਂਦਰ ਸਰਕਾਰ ਕੋਲ ਸਖ਼ਤ ਇਤਰਾਜ਼ ਵੀ ਉਠਾਇਆ ਜਾਵੇਗਾ..
— Bhagwant Mann (@BhagwantMann) October 14, 2023
अमृतपाल सिंह को लेकर सेना को जारी करना पड़ा बयान
इस तुच्छ राजनीति का असर ये हुआ कि इस पर भारतीय सेना को बयान जारी कर के सफाई देना पड़ा। बुधवार (11 अक्टूबर, 2023) को हुई इस घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए भारतीय सेना ने कहा कि इस संबंध में तथ्यों को गलत तरीके से पेश किया जा रहा है और कुछ ग़लतफ़हमी हुई है। भारतीय सेना ने बताया कि संतरी की ड्यूटी के दौरान अमृतपाल सिंह ने खुद को गोली मार कर आत्महत्या कर ली, जो उनके परिवार और देश की सेना के लिए एक बड़ी क्षति है।
इंडियन आर्मी ने बताया, “पहले से चले आ रहे नियमों के हिसाब से पार्थिव शरीर का मेडिकल कराए जाने और कानूनी प्रक्रिया पूरी करने के बाद अंतिम संस्कार के लिए उनके घर भेजा गया। साथ में सेना के लोग थे। सुविधाओं और प्रोटकॉल्स के मामले में ‘अग्निपथ योजना’ के पहले और बाद भर्ती हुए सैनिकों को लेकर कोई भेदभाव नहीं किया जाता है। आत्महत्या या खुद से चोट पहुँचने से हुईं मौतों की दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं के संबंध में भी मृतकों को उचित सम्मान दिया जाता है और उनके परिवार के प्रति हमारी गहरी संवेदना हमेशा रहती है।”
भारतीय सेना ने बताया कि ऐसे मामलों में 1967 के आदेश के हिसाब से सैन्य अंतिम संस्कार नहीं किया जाता है। इस नीति के तब से अब तक बिना किसी भेदभाव के पालन किया जा रहा है। 2001 से अब तक हर साल 100-140 ऐसे आत्महत्या या खुद से जख्मी होने के बाद हुई मौतों के मामले आते रहे हैं, और हर मामले में इस नियम का अनुसरण किया गया। लेकिन, इसका निधन के बाद दी जाने वाली वित्तीय सहायताओं पर कोई फर्क नहीं पड़ता और अंतिम संस्कार के लिए धनराशि उपलब्ध कराए जाने को प्राथमिकता दी जाती है।
भारतीय सेना ने दोहराया कि संस्था और परिवार पर ऐसी क्षति का गहरा असर पड़ता है। साथ ही कहा कि ऐसे शोक के समय में समाज को परिवार के सम्मान, प्राइवेसी और गरिमा बनाए रखते हुए उनके साथ संवेदना जतानी चाहिए। साथ ही स्पष्ट किया कि भारतीय सेना प्रोटोकॉल्स और और नीतियों के पालन के लिए जानी जाती रही है और आगे भी ये ऐसा करती रहेगी। इंडियन आर्मी ने कहा कि वो समाज के हर हिस्से का सम्मान करते हैं और स्थापित प्रोटोकॉल्स का पालन करते हुए ऐसा करते हैं।
Unfortunate Death of Agniveer Amritpal Singh on 11 Oct 2023.
— ADG PI – INDIAN ARMY (@adgpi) October 15, 2023
There has been some misunderstanding and misrepresentation of facts related to unfortunate death of Agniveer Amritpal Singh.
Further to the initial information given out by White Knight Corps on 14 Oct 2023,… pic.twitter.com/6rhaOu3hN8
यहाँ सोचने वाली बात ये है कि अगर इस मामले को लेकर कॉन्ग्रेस, AAP और अकाली दल ने गंदी राजनीति न की होती और भारतीय सेना पर उँगली न उठाई होती तो एक जवान के आत्महत्या वाली बात मीडिया में आती ही नहीं। ये परिवार के लिए कितना दुःखद होगा, ये सोचने वाली बात है। सेना इसे क्षति मानती है, इसे बलिदान के रूप में देखा जा रहा था – लेकिन इन राजनीतिक दलों ने मोदी सरकार और उसकी योजना को बदनाम करने के चक्कर में परिवार और मृतक के बारे में नहीं सोचा।