महाराष्ट्र के पुणे में एक किशोर ने शराब पीने के बाद पोर्शे कार चलाते हुए 2 इंजीनियरों को कुचल दिया था। इस घटना में एक युवक और एक युवती की मौत हो गई थी। इस घटना के बाद कुछ ही घंटों के भीतर उसे लेख लिखने की शर्त पर जमानत मिल गई थी, जिसका खासा विरोध हुआ था। उसके मेडिकल टेस्ट की रिपोर्ट तक बदल दी गई थी, जिसमें डॉक्टरों को निलंबित भी किया गया। उसके पिता को गिरफ्तार किया गया, आपराधिक इतिहास वाले दादा से पूछताछ हुई।
अब बॉम्बे हाईकोर्ट में इस मामले की सुनवाई चल रही है। अब बॉम्बे उच्च न्यायालय ने कहा है कि 2 लोगों ने अपनी ज़िंदगी खोई है, ये दुःख की बात है लेकिन आरोपित किशोर भी सदमे में है। हाईकोर्ट ने कहा कि उक्त किशोर को भी समय देने की आवश्यकता है। जस्टिस भारती डांगरे और मंजुषा देशपांडे की पीठ ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए ये कहा। इस याचिका में उक्त किशोर को अवैध रूप से हिरासत में रखे जाने और लोगों के दबाव में ऐसे किए जाने का आरोप लगाया गया था।
बता दें कि इस घटना में मध्य प्रदेश के अनीश अवधिया और अश्विनी कोस्टा की मौत हो गई थी। लड़के की चाची ने अब हाईकोर्ट में हेबस कॉर्पस केस दायर किया है। उन्होंने लड़के को हिरासत में न रखे जाने की माँग की थी, हालाँकि हाईकोर्ट ने इस पर त्वरित राहत देने से इनकार कर दिया था। अधिवक्ता आबाद पोंडा ने परिवार की तरफ से पैरवी करते हुए कहा कि सार्वजनिक दबाव में की जा रही कार्रवाई सवालों के घेरे में है। साथ ही जमानत पर बाहर एक लड़के को ऑब्जर्वेशन होम में रखे जाने पर भी उन्होंने आपत्ति जताई।
There's no hope. https://t.co/RvlG0ix56i
— Shiv Aroor (@ShivAroor) June 21, 2024
उन्होंने इसे जुवेनाइल एक्ट का उल्लंघन बताया। कोर्ट ने भी पुलिस से पूछा था कि बेल के बावजूद किशोर को ऑब्जर्वेशन होम में क्यों रखा गया है। बता दें कि 19 मई को JJB (जुवेनाइल जस्टिस कोर्ट) ने ट्रैफिक नियमों के उल्लंघन पर 300 शब्दों का लेख लिखने की शर्त पर किशोर को जमानत दे दी थी। पोंडा ने कहा कि एक नागरिक की स्वतंत्रता का हनन किया गया है। बता दें कि आरोपित किशोर एक अमीर बिल्डर का बेटा है, परिवार रसूखदार है।