मज़बूत इरादे और सच्ची लगन से हर सपने को साकार किया जा सकता है। ऐसा ही कुछ कर दिखाया हैदराबाद के रहने वाले आर सत्यनारायण ने जो पेशे से बुनकर हैं। काफ़ी समय से उनकी आँखों में एक सपना था जिसे पूरा करने की ललक में वो अपना सर्वस्य न्योछावर कर चुके थे। उनका सपना था कि वो भारत के राष्ट्रीय ध्वज को बिना सिलाई के इस तरह से तैयार करें कि उसमें कोई जोड़ ना आए। एक ऐसा तिरंगा जो दुनिया में मिसाल बन सके, एक ऐसा तिरंगा जो सच्ची देशभक्ति का परिचय दे सके। ऐसा अनोखा तिरंगा बनाने का आईडिया उन्हें एक शॉर्ट फ़िल्म ‘लिटिल इंडियंस’ को देखकर आया। इस सपने को पूरा करने की चाहत में उन्हें घर से बेघर होना पड़ा।
दरअसल, सत्यनारायण ने जिस तिरंगे का सपना देखा था वह 8 गुणे 12 फीट के झंडे के रूप में सामने आया। इस तिरंगे को बनाने के लिए उन्हें 6 लाख रुपए की ज़रूरत थी जो तंग हालात की वजह से जुटाना लगभग नामुमकिन था। कोई उपाय न सूझता देख उन्होंने अपना घर बेच दिया। इसके बाद तक़रीबन 4 साल के लंबे इंतजार के बाद उन्हें अपने काम में सफलता मिली।
यूँ तो देश के हर नागरिक के मन में अपने तिरंगे के लिए बहुत मान-सम्मान है, लेकिन अगर कोई उसे एक ही कपड़े के पीस पर तैयार करने की ठान ले और इसके लिए अपना घर-बार तक दाँव पर लगा दे तो वह व्यक्ति आम नागरिक से ख़ास बन जाता है।
टाइम्स ऑफ़ इंडिया की ख़बर के अनुसार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विशाखापत्तनम रैली में सत्यनारायण ने उन्हें यह विशेष तिरंगा सौंपा था। उस समय पीएम मोदी को इस तिरंगे की ख़ास बातें बताने का मौक़ा उन्हें नहीं मिल पाया था। उन्होंने दावा किया कि अतीत में ऐसा कोई तिरंगा अब तक उपलब्ध नहीं था, लेकिन उन्होंने अपने सपने को पूरा कर दुनिया को दिखा दिया कि अगर सच्ची लगन हो और इरादे मज़बूत हों तो किसी भी मंज़िल पर पहुँचा जा सकता है। अभी जो तिरंगे बनते हैं उनके लिए केसरिया, सफेद और हरे कपड़े को आपस में सिलकर तैयार किया जाता है। जबकि सत्यनारायण ने जो तिरंगा तैयार किया वो सिंगल कपड़े पर बिना किसी जोड़ के बनाया गया है, जिसकी जितनी प्रशंसा की जाए वो कम है। अब उनकी दिली ख़्वाहिश है कि इस तिरंगे को लालक़िले पर फ़हराया जाए।