दिल्ली हाई कोर्ट ने मंगलवार (15 जून 2021) को राष्ट्रीय राजधानी में हिंदू विरोधी दंगों के आरोपित पिंजड़ा तोड़ की नताशा नरवाल, देवांगना कलीता और जामिया मिल्लिया इस्लामिया के छात्र नेता आसिफ इकबाल तन्हा को जमानत दे दी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अदालत में इस मामले की सुनवाई जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल और जस्टिस ए जे भमभानी ने की। हाई कोर्ट की बेंच ने दिल्ली दंगों के मुख्य साजिशकर्ता इन आरोपितों को 50 हजार के निजी बॉन्ड पर जमानत दी है।
इसके साथ ही कोर्ट ने UAPA के तहत गिरफ्तार किए गए तीनों आरोपितों आसिफ इकबाल तन्हा, नताशा नरवाल और देवांगना कलिता को अपने-अपने पासपोर्ट जमा करने, भविष्य में गवाहों को प्रभावित न करने और सबूतों के साथ छेड़खानी न करने का भी निर्देश दिया है।
पिछले साल फरवरी में दिल्ली की सड़कों पर हिंदू विरोधी दंगे फैलाने में इन तीनों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी। उच्च न्यायालय ने हिंदू विरोधी दंगों के मामले में दिल्ली पुलिस द्वारा दर्ज एफआईआर संख्या 59 के सिलसिले में तीनों आरोपितों को जमानत दे दी है। एफआईआर संख्या 59/2020 में दिल्ली पुलिस ने आसिफ तन्हा, नताशा नरवाल और देवांगना कलिता समेत कुल 15 लोगों को नामजद किया था। पुलिस ने दावा किया है कि तन्हा ने नागरिकता संशोधन अधिनियम, 2019 (CAA) के विरोध में दिल्ली में दंगे कराने में सक्रिय भूमिका निभाई थी।
जामिया मिल्लिया इस्लामिया के छात्र और 2014 से छात्र व इस्लामवादी संगठन SIO के सदस्य आसिफ को मई 2020 में गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत पूर्वी दिल्ली के दंगों के पीछे एक बड़ी साजिश का हिस्सा होने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। इकबाल ने निचली अदालत के 26 अक्टूबर 2020 के उस निर्णय को उच्च न्यायालय में चुनौती दी है, जिसमें निचली अदालत ने उसे जमानत देने से इनकार कर दिया था।
दरअसल, आसिफ इकबाल ने 12 दिसंबर 2020 को जामिया मिल्लिया इस्लामिया के गेट नंबर 7 से दंगे कराने और 2500-3000 लोगों के मार्च करने की बात स्वीकार की थी। उसने खुलासा किया था कि शरजील इमाम ने प्रदर्शनकारियों को 13 दिसंबर को चक्का जाम करने के लिए उकसाया और भड़काऊ भाषण दिया था।
आसिफ इकबाल ने आगे यह भी कहा कि शरजील ने कोलकाता, कोटा, लखनऊ, कानपुर, उज्जैन, इंदौर, जयपुर, पटना, सब्जीबाग, अररिया, समस्तीपुर, अहमदाबाद समेत देश में कई हिस्सों में भड़काऊ भाषण दिए। कथित तौर पर, उसने मुसलमानों से भारतीयों के खिलाफ विरोध करने और जरूरत पड़ने पर हिंसा में शामिल होने से गुरेज नहीं करने का आग्रह किया था।
हिंदू विरोधी दिल्ली दंगे के मामले में पिंजरा तोड़ की नताशा नरवाल और देवांगना कलिता 23 मई 2020 को गिरफ्तार किया था। सीलमपुर, जाफराबाद और ट्रांस-यमुना के स्थानीय लोगों ने पिंजरा तोड़ कार्यकर्ताओं पर राष्ट्रीय राजधानी में दंगे भड़काने का आरोप लगाया था। पिंजड़ा तोड़ की स्थापना 2015 में हुई थी। इनका दावा है कि ये संस्था छात्रावासों और पेइंग गेस्ट में छात्राओं के लिए पाबंदियों को खत्म करना चाहता है।
बता दें कि नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ 24 फरवरी 2020 में हुए प्रदर्शन के दौरान भड़की हिंसा में 53 लोगों की मौत हो गई थी और लगभग 400 से अधिक लोग घायल हो गए थे। इस मामले में खालिद, इशरत जहाँ, ताहिर हुसैन, मीरान हैदर, नताशा नरवाल, देवांगना कलिता, आसिफ इकबाल तन्हा और शिफा उर रहमान का नाम सामने आया था।