मेघालय के री-भोई जिले में प्रतिबंधित संगठन हाइनीवट्रेप नेशनल लिबरेशन काउंसिल (HNLC) के स्लीपर सेल का भंडाफोड़ हुआ है। इस संगठन के चार सदस्यों को गिरफ्तार किया गया है। इनकी निशानदेही पर पुलिस ने भारी मात्रा में हथियार और गोला-बारूद जब्त किए गए हैं। माना जाता है कि यह संगठन पड़ोसी बांग्लादेशी से अपनी गतिविधियों को अंजाम देता है।
इन चारों सदस्यों को शिलॉन्ग के विवादित पंजाबी लेन इलाके में आईईडी ब्लास्ट के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया है। पुलिस अधीक्षक जगपाल धनोआ सिंह ने बताया कि बुधवार (13 मार्च 2024) को री-भोई जिले में एचएनएलसी के झंडे के साथ हथियार, जिलेटिन की छड़ें, डेटोनेटर और इग्निशन फ़्यूज़ जब्त किए गए।
बता दें कि 9 मार्च 2024 की रात री-भोई जिले के पंजाबी लेन इलाके में आईईडी विस्फोट हुआ था। इस विस्फोट में एक व्यक्ति के घायल हुआ था। इसके बाद 11 मार्च 2024 को चार आरोपितों को गिरफ्तार किया गया। चारों आरोपित अपने आकाओं के निर्देश पर काम कर रहे थे। गिरफ्तार आरोपितों में HNLC का सचिव टार्ज़न लिंबा भी शामिल है।
IED ब्लास्ट के बाद मेघालय के मुख्यमंत्री कॉनराड संगमा ने विस्फोट करने वाले अपराधियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई किए जाने की बात कही थी। उन्होंने कहा, “मामले में कड़ी कार्रवाई की जा रही है। हम यह सुनिश्चित करेंगे कि जिम्मेदार लोगों को सजा दी जाए।”
विवादित पंजाबी लेन मामला: लगभग 200 साल पहले ब्रिटिश आर्मी अपने कुछ सिख सैनिकों को शिलॉन्ग लाई थी। इन सिखों को यहाँ साफ-सफाई का काम दिया गया था। तब से सिखों के परिवार पंजाबी लेन में रह रहे हैं। हालाँकि, बाद में राज्य सरकार ने सिखों को दूसरी जगह रहने की पेशकश की थी।
हालाँकि, सिख जाना नहीं चाहते थे, लेकिन बाद में वे स्थानांतरण के लिए तैयार हो गए। उनकी माँग थी कि सरकार द्वारा उनके घरों के निर्माण की लागत वहन की जाए। इसको लेकर हाल ही में सिखों ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को भी पत्र लिखा था।
पत्र में लिखा गया कि पुनर्वास की प्रक्रिया को रोकने के मकसद से यह विस्फोट किया गया। साल 2018 में एक बस ड्राइवर पर सिखों द्वारा कथित तौर पर हमला किया गया। इसके बाद इलाके में हिंसा भड़की, एक महीने तक कर्फ्यू लगा रहा। तब से यहाँ पर तनाव की स्थिति बनी हुई है।