सदियों के इंतजार के बाद भगवान रामलला अयोध्या के भव्य राममंदिर में प्रतिष्ठित हो गए। प्रधानमंत्री मोदी और यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सहित अन्य यजमान गर्भगृह में प्राण प्रतिष्ठा का कार्य संपन्न करा चुके हैं। इससे पहले रामलला की मूर्ति बनाने वाले मूर्तिकार अरुण योगीराज ने कहा कि वे अपने आप को दुनिया के सबसे सौभाग्यशाली व्यक्ति मान रहे हैं।
#WATCH | Ayodhya, Uttar Pradesh: Ram Lalla idol sculptor, Arun Yogiraj says "I feel I am the luckiest person on the earth now. The blessing of my ancestors, family members and Lord Ram Lalla has always been with me. Sometimes I feel like I am in a dream world…" pic.twitter.com/Eyzljgb7zN
— ANI (@ANI) January 22, 2024
अरुण योगीराज ने कहा, “मुझे यह भावना आ रही है कि मैं विश्व का सबसे सौभाग्यशाली व्यक्ति हूँ। मेरे साथ हमेशा मेरे पुरखों, मेरे परिवार और भगवान रामलला का आशीर्वाद रहा है। मुझे लगता है कि मैं सपनों की दुनिया में हूँ। यह मेरे जीवन का सबसे बड़ा दिन है।” योगीराज ने ही इस मंदिर में स्थापित होने वाली रामलला की मूर्ति बनाई है।
अरुण योगीराज ने रामलला के पाँच वर्षीय क्षत्रिय राजकुमार वाले स्वरुप की श्यामल प्रतिमा बनाई है। यह प्रतिमा कुछ दिन पहले ही गर्भगृह में स्थापित की गई थी। उन्होंने यह मूर्ति कर्नाटक से लाए गए पत्थर से बनाई है। यह पत्थर मैसूर के एक दलित किसान रामदास के खेत से लाए गए थे। रामदास ने जहाँ से यह पत्थर निकला है, उस जमीन को राम मंदिर बनाने के लिए दे दी है।
अरुण योगीराज को प्रतिमा बनाने के दौरान मुश्किल का सामना करना पड़ा। मूर्ति बनाने के दौरान उनकी आँख में एक पत्थर का नुकीला टुकड़ा घुस गया था। इसके बाद उनकी सर्जरी हुई। कई दिनों तक उन्हें एंटीबायोटिक और पेनकिलर्स पर रखा गया। हालाँकि, रामलला की भव्य प्रतिमा गढ़ने से उन्हें कुछ भी नहीं रोक सका। उनकी पत्नी विजेता ने ‘न्यू इंडियन एक्सप्रेस’ को ये जानकारी दी।
मैसूर के रहने वाले अरुण योगीराज साल 2008 में मैसूर यूनिवर्सिटी से MBA कर चुके हैं और कुछ समय तक निजी कंपनी में नौकरी भी की। हालाँकि, इस नौकरी को छोड़कर उन्होंने अपने पारिवारिक पेशे को चुना। मैसूर के गुज्जेगौदाना पुरा स्थित एक जगह से पत्थर लाया गया, जिससे रामलला की प्रतिमा गढ़ी गई है। ये दक्षिण भारत के सबसे प्राचीन पत्थरों में से एक है।
उत्तराखंड स्थित केदारनाथ धाम में जगद्गुरु शंकराचार्य की जिस प्रतिमा का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अनावरण किया था, उसे भी उन्होंने ही बनाया था। इतना ही नहीं, दिल्ली के इंडिया गेट पर पीएम मोदी ने ही नेताजी सुभाषचंद्र बोस की जिस प्रतिमा का अनावरण किया था, उसे भी अरुण योगीराज ने ही गढ़ा था। प्रतिमा बनाने के दौरान योगीराज सात्विक आहार पर थे।