उत्तर प्रदेश के बाराबंकी में अवैध निर्माण पर कार्रवाई के बाद सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड और सपा जैसे राजनीतिक दल ‘100 साल पुरानी मस्जिद’ ढहाने का प्रोपेगेंडा चला रहे हैं। अब रामसनेही घाट के तहसील परिसर में बने अवैध निर्माण में वक्फ बोर्ड का फर्जीवाड़ा सामने आया है। अवैध कब्जे को वक्फ संपत्ति घोषित करने के मामले में पुलिस ने बोर्ड के 8 सदस्यों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, बाराबंकी पुलिस ने जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी की शिकायत पर कार्रवाई करते हुए यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के निरीक्षक समेत 8 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। शिकायत में अधिकारी ने आरोप लगाया है कि 8 सदस्यों ने एक मस्जिद को वक्फ संपत्ति के रूप में पंजीकृत कराने के लिए दस्तावेजों में हेराफेरी की और धोखाधड़ी का सहारा लिया।
जिला प्रशासन के अधिकारियों ने बताया है कि आरोपितों ने वक्फ संपत्ति के रूप में पंजीकृत तहसील परिसर में अवैध रूप से एक ढाँचा बनवाया। उन्होंने दावा किया कि दस्तावेजों में हेराफेरी कर राजस्व विभाग की किसी रिपोर्ट के बिना उन्होंने सरकारी जमीन को वक्फ संपत्ति के रूप पंजीकृत कराया था।
रामसनेही घाट तहसील प्रांगण की सरकारी संपत्ति पर बने अवैध निर्माण को वर्ष 2019 में कूटरचित तरीके से वक़्फ़ बोर्ड से पंजीकृत करवा कर वक़्फ़ संपत्ति घोषित करवाने के संबंध में जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी (सहायक सर्वे आयुक्त, वक़्फ़) द्वारा आज FIR दर्ज करवाई गई। pic.twitter.com/LJ6SIwwIp7
— District Magistrate Barabanki (@BarabankiD) May 20, 2021
ऑल इंडिया मुस्लिम लॉ बोर्ड और यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने बाराबंकी में प्रशासन द्वारा मस्जिद गिराने का आरोप लगाते हुए न्यायिक जाँच की माँग की थी। ऑल इंडिया मुस्लिम लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) के कार्यकारी महासचिव मौलाना खालिद सैफुल्ला रहमानी ने एक बयान में कहा था, “रामसनेही घाट तहसील में सदियों पुरानी (100 वर्ष पुरानी) गरीब नवाज मस्जिद को प्रशासन ने बिना किसी कानूनी प्रक्रिया के सोमवार (17 मई 2021) की रात पुलिस की मौजूदगी में ध्वस्त कर दिया।
सुन्नी वक्फ बोर्ड ने भी बाराबंकी जिले की रामसनेही घाट तहसील में स्थित मस्जिद को ध्वस्त किए जाने का आरोप लगाते हुए कड़ी आपत्ति जताई थी। बोर्ड के अध्यक्ष जुफर अहमद फारूकी ने कहा कि ये मस्जिद सुन्नी वक्फ बोर्ड के तहत पंजीकृत थी। फारूकी ने कार्रवाई की निंदा करते हुए कहा था, “यह न सिर्फ कानून के खिलाफ है, बल्कि शक्तियों का दुरुपयोग भी है। साथ ही हाईकोर्ट द्वारा पारित अप्रैल 24, 2021 के आदेश का पूर्ण उल्लंघन है। उत्तर प्रदेश सुन्नी वक्फ बोर्ड इस मस्जिद का पुनर्निर्माण करने, उच्च स्तरीय जाँच कराकर दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई के लिए जल्द ही हाईकोर्ट में मामला दायर करेगा।”
विपक्षी दल कॉन्ग्रेस और समाजवादी पार्टी भी इस घटना को लेकर हमलावर हैं। समाजवादी पार्टी के जिलाध्यक्ष मौलाना अयाज अहमद ने भी दावा किया था कि रामसनेही घाट स्थित गरीब नवाज मस्जिद को ध्वस्त कर दिया गया है। उन्होंने इसे शर्मनाक घटना करार देते हुए कहा कि बाराबंकी हमेशा गंगा-जमुनी तहजीब का केंद्र रहा है। उन्होंने कहा कि पुलिस-प्रशासन ने सोमवार (मई 17, 2021) की रात कोरोना कर्फ्यू की आड़ में रामसनेही घाट की गरीब नवाज मस्जिद को ‘शहीद’ कर दिया। पुलिस ने इस मामले को सियासी रंग देने वाले कॉन्ग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू समेत कई कॉन्ग्रेसी नेताओं को गुरुवार (20 मई 2021) को हिरासत में लिया था।