बिहार के किशनगंज में एक परिवार ने आरोप लगाया है कि हिन्दू देवी-देवताओं की पूजा करने और भगवा ध्वज में आस्था रखने के कारण ‘भीम आर्मी’ ने न सिर्फ़ उन पर हमला किया बल्कि स्थानीय मंदिर में भी तोड़फोड़ मचाई। उधर ‘भीम आर्मी’ की भी स्थानीय यूनिट ने उक्त परिवार के ख़िलाफ़ मामला दर्ज कराया है। इस मामले में दोनों ही पक्ष दलित समुदाय से ताल्लुक रखते हैं। ख़ुद को दलितों का संगठन बताने वाले ‘भीम आर्मी’ का मुखिया चंद्रशेखर आजाद उर्फ़ ‘रावण’ है।
चंद्रशेखर ‘आजाद समाज पार्टी’ का गठन कर के राजनीति में भी कूद चुका है। दिसंबर में उसने अपने राजनितिक दल का गठन किया था। उसी महीने उसे सीएए विरोधी प्रदर्शन में हिंसा फैलाने का आरोप में गिरफ़्तार भी किया गया था। दिल्ली पुलिस ने उसके ख़िलाफ़ ये कार्रवाई की थी। ‘भीम आर्मी’ पर कई मौकों पर हिंसा भड़काने के आरोप लग चुके हैं। किशनगंज वाली घटना मई 13, 2020 की है। सबसे पहले जानते हैं कि दोनों पक्षों ने अपनी-अपनी एफआईआर में क्या आरोप लगाए हैं।
क्या कहना है ‘भीम आर्मी’ का?
‘स्वराज्य मैग’ में प्रकाशित स्वाति गोयल शर्मा की ख़बर के अनुसार, भीम आर्मी की तरफ से 27 वर्षीय दीपचंद रविदास ने मामला दर्ज कराया है। वो ‘भीम आर्मी एकता मिशन’ का टाउन अध्यक्ष है। उसका आरोप है कि 13 मई को साढ़े 3 बजे ठाकुरबाड़ी रोड मंदिर के पास उस पर तलवार से हमला बोल दिया गया। उसका ये भी आरोप है कि जब उसकी बहन उसे बचाने आई तो हमलावरों ने उसकी बहन पर भी हमला किया।
उसने कुल 8 लोगों के ख़िलाफ़ प्राथमिकी दर्ज कराई है। इनमें से 7 दलित हैं, जबकि एक अमित त्रिपाठी उर्फ़ चिंटू सामान्य वर्ग का है। पुलिस ने एससी-एसटी एक्ट सहित कई अन्य धाराओं में मामला दर्ज किया है। आरोपितों में 55 वर्षीय ग्यानी राम और उनके चार में से तीन बेटे भी शामिल हैं। उनके नाम हैं- संतोष, श्याम और वीरेंद्र राम। कहा गया है कि घटना के समय वहाँ पुलिस का एक जवान भी मौजूद था।
मंदिर पक्ष का क्या कहना है?
28 वर्षीय संतोष राम ने भी दिलीप चंद राम सहित 4 लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई है। संतोष का बयान कहता है कि 13 मई को साढ़े 4 बजे कुछ लोग स्थानीय शिव मंदिर के भीतर घुस गए और जम कर तोड़फोड़ मचाने लगे। शिव मंदिर के बगल में ही संतोष का घर भी है। उनका आरोप है कि लोहे की छड़ें, ईंटें और पत्थर लेकर मंदिर में घुसे हमलावरों ने मंदिर को वहाँ से हटाने की माँग की। साथ ही उन्होंने पवित्र शिवलिंग को भी तोड़ डालने की कोशिश की।
संतोष का कहना है कि जब उनके परिवार ने इस पर आपत्ति जताई तो उन पर भी हमला किया गया और हत्या का प्रयास किया गया। प्राथमिकी में दर्ज बयान के अनुसार, हमलावरों ने संतोष के पिता, बहनों और भाइयों पर हमले किए। चार लोगों सहित कुछ अज्ञात के ख़िलाफ़ भी मामला दर्ज किया गया है। इस मामले में सेक्शन 295 (धार्मिक स्थल में तोड़फोड़) भी लगाया गया है।
क्या कहती है पुलिस?
इस मामले की जाँच कर रहे पुलिस अधिकारी अरविन्द कुमार यादव ने ‘स्वराज्य मैग’ की स्वाति गोयल शर्मा से बातचीत करते हुए कहा कि दोनों पक्षों के दो-दो लोगों को गिरफ़्तार किया गया है। उन्होंने बताया कि ऐसे मामलों में दोनों ही पक्षों द्वारा प्राथमिकी दर्ज करा दी जाती है। उन्होंने बताया कि अब जाँच के बाद ही पूरी सच्चाई सामने आएगी। यादव ने बताया कि जाँच चल रही है। इससे आगे उन्होंने इस मामले के सम्बन्ध में कुछ भी बताने से इनकार कर दिया।
Poor family, one brother is injured so badly, another has jaw broken. pic.twitter.com/cP4UeW8T08
— Swati Goel Sharma (@swati_gs) May 19, 2020
वीरेंद्र राम का क्या कहना है?
वीरेंद्र राम के दो घायल भाई संतोष और गुड्डू फ़िलहाल हॉस्पिटल में हैं और उनका इलाज चल रहा है। उन्होंने ‘भीम आर्मी’ के आरोपों को नकारते हुए कहा कि सबसे पहले उन पर और उनके परिजनों पर हमला हुआ। उन्होंने बताया कि हमलावर किसी तरह उनसे पहले प्राथमिकी दर्ज कराने में सफल रहे। उन्होंने बताया कि भीम आर्मी के लोग हमेशा उनकी हिन्दू पूजा-पद्धति में आस्था का मजाक बनाते हैं। उनका भाजपा को वोट देना भी उनलोगों को पसंद नहीं आता। वीरेंदर ने बताया:
“वो बार-बार कहते हैं कि तुमलोग भी ‘भीम आर्मी’ में शामिल हो जाओ। वो कहते हैं कि हिन्दू देवी-देवताओं की पूजा करना बंद करो और बाबासाहब भीमराव आंबेडकर की पूजा करो। हमने उन्हें कितनी बार बताया कि बाबासाहब के प्रति हमारी पूर्ण श्रद्धा है। वो हमारे क़ानूनी भगवान हैं जबकि हमारे सांस्कृतिक भगवान तो हमेशा श्रीराम और हनुमान ही रहेंगे। जब हम ऐसा कहते हैं तो वो हमें गालियाँ बकते हैं। 10 मई को भी वो मंदिर में घुस कर भगवा ध्वज उखाड़ फेंकने को कह रहे थे।”
वीरेंद्र कहते हैं कि उन्होंने तो सार्वजनिक रूप से उनलोगों का समर्थन भी किया था क्योंकि वो भी उनके ही ‘समाज’ के हैं। लेकिन उन्होंने कहा कि तुम्हें ये दिखाना पड़ेगा कि तुम ‘झूठे भगवानों’ में विश्वास नहीं रखते हो और इसके लिए तुम्हें ये शिवलिंग तोड़ना पड़ेगा। इसके बाद वीरेंद्र गुस्से में वहाँ से निकल गए। उन्होंने कहा कि अगर यही शर्त है तो वो उनलोगों का कभी समर्थन नहीं कर सकते। उन्होंने बताया कि 14 अप्रैल को मंदिर के बगल में ही अम्बेडकर जयंती मनाई गई, जहाँ दूसरे मजहब के कई लोगों को भी बुलाया गया था।
वीरेंदर बताते हैं कि जब लोगों ने भीम आर्मी को कम्युनिटी रूम में अम्बेडकर जयंती मनाने को कहा तो वो लोग गुस्सा हो गए और कहने लगे कि मंदिर में लगी सभी देवी-देवताओं की प्रतिमाओं की जगह अम्बेडकर की प्रतिमा लगाओ। बकौल वीरेंद्र, उनलोगों ने गाली-गलौज शुरू कर दिया, जिसके बाद माहौल तनावपूर्ण हो गया। वीरेंद्र का कहना है कि उन्हें सिर्फ़ उनकी धार्मिक आस्था के लिए मारा-पीटा गया है। उन्होंने अमित त्रिपाठी पर लगे एससी-एसटी एक्ट पर भी दुःख जताया।
उन्होंने बताया कि अमित ने ही उनके घायल भाइयों को अस्पताल पहुँचाया था। वीरेंद्र बताते हैं कि अमित का इस झगड़े से कोई लेनादेना नहीं था। उन्होंने बताया कि उनके रिश्ते-नाते में भी कुछ लोग ‘भीम आर्मी’ से जुड़े हुए हैं।