संविधान सभा की ड्राफ्टिंग कमिटी के चेयरमैन रहे दिवंगत नेता बाबासाहब आंबेडकर के मुंबई स्थति निवास स्थान ‘राजगृह’ में जम कर तोड़फोड़ मचाई गई है। महाराष्ट्र पुलिस ने इस मामले में जाँच भी शुरू कर दी है। बुधवार (जुलाई 8, 2020) को मुंबई पुलिस ने इस संबंध मे जानकारी दी। कहा जा रहा है कि 2 लोग 3 मंजिला ऐतिहासिक परिसर में घुस गए और तोड़फोड़ मचाई। दोनों आरोपितों की अब तक पहचान नहीं हो सकी है।
बाबासाहब भीमराव आंबेडकर के दादर स्थित निवास स्थान में ये घटना मंगलवार (जुलाई 7, 2020) की शाम को हुई। दोनों आरोपितों ने वहाँ रखे सामानों को एक-एक कर उठा कर पटकना शुरू कर दिया। इसके बाद उन्होंने सीसीटीवी कैमरों को तोड़ कर पटक दिया। ग्लास पैनल्स को क्षतिग्रस्त कर डाला गया। गमलों को पटक कर फोड़ने के बाद दोनों वहाँ से भाग निकले। पुलिस उनकी तलाश कर रही है।
रात को जैसे ही इस घटना की ख़बर वायरल हुई, दादर ही नहीं बल्कि मुंबई व उसके आसपास के इलाकों के दलित भी आक्रोशित हो गए और उनमें से कइयों ने बाबासाहब भीमराव आंबेडकर के उक्त घर की ओर कूच कर दिया। आक्रोशित दलितों ने सोशल मीडिया के माध्यम से भी विरोध जताया। दलितों के गुस्से को देखते हुए पुलिस स्थिति पर नजर रख रही है। दलित संगठन भी इस विवाद मे कूद सकते हैं।
बाबासाहब भीमराव आंबेडकर के पोते और दलित नेता डॉक्टर प्रकाश आंबेडकर ने दलितों से अपील की है कि वो शांति बनाए रखें और ‘राजगृह’ की तरफ प्रस्थान न करें। उन्होंने इस घटना की भी पुष्टि की है। महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने इस घटना की निंदा करते हुए पुलिस को निर्देश दिया है कि जल्द से जल्द दोनों ही आरोपितों को पकड़ा जाए और उन्हें सजा दिलाने की प्रक्रिया शुरू की जाए।
बाबसाहब भीमराव आंबेडकर अपने मुंबई प्रवास के दिनों मे अक्सर ‘राजगृह’ में ही रहा करते थे। वो पढ़ने-लिखने के काफ़ी शौकीन थे और उन्होंने ‘राजगृह’ का इस्तेमाल अपनी पुस्तकें और साहित्य को रखने के लिए किया था। कोरोना वायरस के कारण हुए लॉकडाउन के बाद कई दिनों से ‘राजगृह’ को बंद ही रखा गया था। बाबासाहब ने मुंबई से लोकसभा का चुनाव भी लड़ा था लेकिन उन्हें बुरी तरह मात मिली थी।
इससे पहले भी असामाजिक तत्वों द्वारा बाबासाहब आंबेडकर की प्रतिमाओं को तोड़फोड़ किया जाता रहा है। अप्रैल 2019 में देवरिया के गौरी बाजार में दलितों पर मुस्लिम भीड़ ने हमला बोल दिया था। हमले के दौरान मुस्लिम समुदाय ने बस्ती में स्थित बाबासाहब आंबेडकर की प्रतिमा को भी क्षतिग्रस्त कर डाला गया था। हालाँकि, ऐसी घटनाओं पर दलित संगठन सामान्यतः चुप्पी ही साधे रखते हैं।