बिहार (Bihar) के एक प्रोफेसर और उनके परिवार को ‘सिर तन से जुदा’ करने की धमकी मिली है। स्पीड पोस्ट से भेजे गए एक पत्र में लिखा था, ‘जेहादी सर तन से जुदा करेंगे, कहीं भी किसी वक्त। यही अल्लाह का आदेश है’। पत्र लिखने वाले ने अपना नाम परवेज आलम बताया है। प्रोफेसर ने इसकी शिकायत पुलिस से की है।
बता दें कि इसके पहले राजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात, दिल्ली, कर्नाटक सहित कई राज्यों में अनेकों लोगों को धमकी मिलने की घटनाएँ सामने आ चुकी हैं। ताजा मामला बिहार है। दरभंगा के ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय (LNMU) में रसायन शास्त्र को विभागाध्यक्ष प्रोफेसर प्रेम मोहन मिश्रा को यह चिट्ठी भेजी गई है।
चिट्ठी में लिखा है कि ‘जेहादी सर तन से जुदा करेंगे। प्रेम मोहन मिश्रा और उसके परिवार का भी यही हश्र होगा। कहीं भी किसी वक्त। यही अल्लाह का आदेश है’। पत्र लिखने वाले परवेज आलम नाम के शख्स ने प्रोफेसर के सामने शर्तें भी रखी हैं। चिट्ठी मिलने के बाद मिश्रा ने बुधवार (23 नवंबर 2022) को विश्वविद्यालय थाने में आवेदन देकर शिकायत की।
पत्र लिखने वाले ने विभाग के ही एक कर्मचारी शशि शेखर झा को हटाने की माँग की है। उसने पत्र में झा पर एक मुस्लिम महिला के साथ गाली-गलौज के साथ बात करने का आरोप लगाया है। पत्र मिलने के बाद प्रोफेसर मिश्रा ने पुलिस से अपने और अपने परिवार की सुरक्षा की माँग की है।
पत्र में शशि शेखर झा पर आरोप लगाते हुए लिखा है, “विभाग के शशि शेखर झा प्रयोग प्रदर्शक को कहीं अन्य विभागीय कॉलेज बेगूसराय, जो कम-से-कम 20 किलोमीटर की दूरी पर हो बदली करा दें। वह गाली देते रहते हैं। आपको पता होगा कि उस समय निर्मल चौधरी रसायन विभाग के हेड थे। तब डेंटल कॉलेज के परीक्षा में चोरी का बहाना बनाकर हम छात्रों से किताब जबरन ले लिया।”
चिट्ठी में आगे लिखा है, “परीक्षा समाप्ति होने पर कहा कि हम किताब नहीं जानते हैं। आप लोग ही किताब ले गए होंगे। इस कारण मारपीट होने पर केके झा के बीच बचाव करने पर मामला शांत हो गया। वह किताब विभाग से पुस्तकालय से चोरी कर ली गई। किताब को 17,000 में बेच दिया गया, जिसे हमलोग फिर खरीद लिए। हमलोग परीक्षा देकर आज डाक्टर बन गए हैं, लेकिन शशि शेखर झा को माफ नहीं करेंगे। इस पाप का फल प्रेम मोहन मिश्रा भोगेंगे।”
प्रोफेसर का कहना है कि यह खत किसी जानकार ने ही लिखा है। उन्होंने कहा कि पत्र में कुछ बातें सही हैं, लेकिन ये बहुत पुरानी बातें हैं। तब वे पदस्थापित भी नहीं थे। ऐसे में उन्हें धमकी देना समझ से परे है। पत्र के लिफाफे पर हिंदी में ‘डा. परवेज आलम, किलाघाट’ लिखा हुआ है।