मुंगेर में माँ दुर्गा भक्तों पर गोलीबारी करने वाले सभी पुलिस अधिकारी बहाल, जानिए क्या कहती है CISF रिपोर्ट

लिपि सिंह (बाएँ), नीतीश कुमार (दाएँ), (साभार: Scroll)

बिहार पुलिस द्वारा दुर्गा प्रतिमा विसर्जन जुलूस पर बर्बरता बरतने के महीनों बाद सभी निलंबित अधिकारियों को वापस सेवा में बहाल कर दिया गया है। दैनिक भास्कर ने अपनी रिपोर्ट में इसकी जानकारी दी। पिछले साल 26 अक्टूबर को बिहार के मुंगेर में दुर्गा प्रतिमा विसर्जन के दौरान लाठीचार्ज और फायरिंग में अनुराग पोद्दार की मौत हो गई थी। कई अन्य लोग घायल हो गए थे। पुलिसिया क्रूरता की इस घटना ने एक अलग ही तस्वीर दिखाई थी।

जब यह घटना हुई थी उस समय लिपि सिं​ह मुंगेर की एसपी हुआ करती थीं। इस घटना के बाद उन्हें चुनाव आयोग ने हटा दिया था। हालाँकि, अब बिहार सरकार ने पोस्टिंग की प्रतीक्षा में रही लिपि सिंह को सहरसा का एसपी बनाया है। इसी तरह, तत्कालीन जिला मजिस्ट्रेट राजेश मीणा को सहकारिता विभाग में रजिस्ट्रार नियुक्त किया गया है। वहीं, पुलिस प्रमुख (कासिम बाजार स्टेशन) शैलेश कुमार को नौगछिया पुलिस स्टेशन में स्थानांतरित कर दिया गया है।

बिहार सरकार ने IAS और IPS अधिकारियों के बड़े पैमाने पर स्थानांतरण का आदेश दिया था। देर रात की अधिसूचना में 13 पुलिस अधीक्षकों (एसपी) के साथ बारह जिलों के मजिस्ट्रेट (डीएम) को बदल दिया गया। वहीं, तत्कालीन पुलिस उप महानिरीक्षक (DIG) मनु महाराज ने एक विशेष जाँच दल (SIT) के गठन का आदेश दिया। प्रभारी डीआईजी शफीउल हक ने बताया कि पुलिस की बर्बरता के वायरल वीडियो की जाँच की जा रही है और आरोपितों के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाएगी।

CISF की रिपोर्ट क्या कहती है?

हालाँकि, पूर्व मुंगेर एसपी लिपि सिंह ने शुरू में गोलीबारी की किसी भी घटना से इनकार किया था, लेकिन CISF ने अपनी आंतरिक रिपोर्ट में यह स्पष्ट कर दिया कि पुलिस और CISF ने भक्तों पर गोलीबारी की थी। रिपोर्ट के अनुसार, दुर्गा विसर्जन जुलूस के दौरान पुलिस और भक्तों के बीच हाथापाई हो गई। CISF की रिपोर्ट में दावा किया गया कि पुलिस ने भीड़ को नियंत्रित करने के लिए भक्तों पर गोलियाँ चलाईं, जिसके बाद CISF के 20 कर्मियों ने 13 राउंड फायरिंग भी की।

मगध आयुक्त की जाँच रिपोर्ट, पीड़ित परिवार को कोई मुआवजा नहीं

चुनाव आयोग ने मामले की जाँच करने और 7 दिनों में एक निष्कर्ष रिपोर्ट सौंपने के लिए मगध रेंज के आयुक्त, असंगमा चुआ आवा को मुंगेर भेजा था। असंगमा ने मुंगेर का दौरा किया और स्थानीय लोगों और सुरक्षा कर्मियों से पूछताछ की। दैनिक भास्कर ने बताया कि जाँच रिपोर्ट चुनाव आयोग को सौंप दी गई है लेकिन अभी तक इसे सार्वजनिक नहीं किया गया है। सूत्रों का हवाला देते हुए, हिंदी दैनिक ने कहा कि मगध रेंज के आयुक्त ने मुंगेर के एसपी लिपि सिंह और डीएम राजेश मीणा पर 1 घंटे देरी से अपराध स्थल पर पहुँचने का आरोप लगाया है।

मृतक अनुराग के पिता अमरनाथ पोद्दार ने जानकारी दी कि उन्हें बिहार सरकार से अभी तक कोई मुआवजा नहीं मिला है। उन्होंने वासुदेवपुर ओपी प्रभारी सुशील कुमार को नामजद अभियुक्त बनाया था। इसके बावजूद पुलिस द्वारा पुत्र का शव दिए जाते समय उनका हस्ताक्षर गलत तरीके से लेकर अज्ञात के विरूद्ध मामला दर्ज कर दिया गया। जिसके विरूद्ध केस दर्ज करवाया है। इसके साथ ही ग्रामीणों और पीड़ित के रिश्तेदारों ने बिहार पुलिस पर आरोपितों को बचाने और मामले को दबाने का आरोप लगाया है।

अनुराग पोद्दार की मौत

मुंगेर गोलीकांड के बाद लिपि सिंह को ‘जनरल डायर‘ का नया नाम मिला था। दुर्गा पूजा समिति से जुड़े लोगों ने उस समय दावा किया था कि लिपि सिंह के सामने ला-ला कर विसर्जन में शामिल लड़कों को पीटा गया था। रात में वीरान सड़क पर माँ की प्रतिमा पड़ी हुई थी। अनुराग पोद्दार के पिता के बयान को आधार बनाते हुए पुलिसकर्मियों के खिलाफ FIR दर्ज की गई थी। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा था कि पुलिस की चलाई गोली से उनके बेटे की हत्या हुई।

विधानसभा चुनाव से पहले दुर्गा पूजा विसर्जन समारोह के दौरान बिहार के मुंगेर शहर में फैली हिंसा में एक भक्त की मौत हो गई। एसपी मुंगेर लिपि सिंह ने भक्तों पर पुलिस द्वारा की गई बर्बरता का बचाव किया था। जिसमें दावा किया गया कि भक्तों ने पथराव कर आगामी हिंसा को भड़काया। बता दें कि पुलिस कर्मियों ने निर्दयता से मुंगेर जिले में दुर्गा जुलूस निकालते भक्तों पर हमला किया था। भक्तों पर लाठी चार्ज किया गया और उन पर गोली चलाई गई, जिसमें एक 18 वर्षीय हिंदू लड़के की मौत हो गई।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया