रायसीना संवाद में पैनल चर्चा के दौरान बिपिन रावत सोशल मीडिया की तरफ़ ध्यान खींचते हुए कहा कि हमें सोशल मीडिया पर नियंत्रण पाने की जरूरत है, क्योंकि सोशल मीडिया के ज़रिए ही आज के समय में सबसे ज़्यादा कट्टरता फैलाई जा रही है।
उनका कहना था कि तरह-तरह की कट्टरता के प्रमाण हमें भारत के कई जगहों पर और जम्मू-कश्मीर में देखने को मिल सकते हैं। आज का युवा झूठी खबरों की वज़ह से, दुष्प्रचार के कारण और कई धार्मिक बातों को गलत बताकर बरगलाए जाने के कारण कट्टरता का शिकार होता जा रहा है, इसलिए हम देखते हैं कि आतंकवाद का हिस्सा सबसे ज्यादा पढ़े-लिखे युवा बन रहे हैं।
आतंकवाद को युद्ध का एक नया रूप बताते हुए आर्मी चीफ़ जनरल बिपिन रावत ने बुधवार को कहा कि हमारे ऊपर आतंकवाद का खतरा ठीक उसी तरह बढ़ रहा है जैसे दसमुखी रावण का सिर (Multi-headed monster) और ये तब तक बढ़ता ही रहेगा जब तक देश इसे ‘स्टेट पॉलिसी’ की तरह इस्तेमाल करते रहेंगे। उनका इशारा पाकिस्तान की तरफ़ था। बिना पाकिस्तान का नाम लेते हुए आर्मी चीफ जनरल ने कहा कि आतंकवाद तब तक बना ही रहेगा जब तक देश इसे अपनी नीतियों का हिस्सा बनाते रहेंगे।
आगे उन्होंने कहा कि आतंकवाद एक नए तरह के युद्ध के रूप में उभरा है। कमज़ोर समुदाय आज के समय में अपने प्रतिनिधि के रूप में आतंकवाद का सहारा ले रहे हैं, ताकि वो दूसरे देशों पर दबाव बना सकें। अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए आतंकवाद की इस प्रक्रिया को उन्होंने कहा कि ये ख़तरा अपने सर उसी तरह पसार रहा है जैसे कोई अनेक सर वाला दानव हो।
अफ़ग़ान शांति प्रक्रिया पर उन्होंने कहा कि तालिबान के साथ बातचीत ज़रूर होनी चाहिए, लेकिन बिना किसी शर्त के। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि पाकिस्तान हमेशा से ही तालिबान को अपने आँगन में जगह देता आया है ऐसे में हमें चिंताशील रहना चाहिए।