4 फिल्म एसोसिएशन और 34 फिल्म निर्माताओं ने रिपब्लिक टीवी और टाइम्स नाउ के खिलाफ बॉलीवुड-ड्रग नेक्सस को लेकर किए गए कवरेज के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। वहीं अब इस बात का पता चला है कि मूल याचिका में गैरजिम्मेदाराना और अपमानजनक रिपोर्टिंग को लिए और कई टीवी समाचार चैनलों का नाम शामिल था। जिन्हें कुछ याचिकाकर्ताओं को बिना बताए दाखिल करने से पहले हटा दिया गया था।
ऑपइंडिया ने सॉलिसिस लेक्स, CINTAA (Cine and TV Artists Association) का प्रतिनिधित्व करने वाली कानूनी फर्म और प्रोड्यूसर्स गिल्ड के बीच हुए ईमेल एक्सचेंज के बारे में जानकारी प्राप्त की है। ईमेल के जरिए यह पता चला है कि याचिका में और कई चैनलों के नाम जोड़ने की बात कही गई है, ताकि सिर्फ 2 चैनलों को टारगेट ना किया जा सके।
प्रोड्यूसर्स गिल्ड ऑफ इंडिया के एक पदाधिकारी ने 15 अक्टूबर को सॉलिसिस लेक्स को यह कहते हुए लिखा कि याचिका में कुल 38 याचिकाकर्ता हैं, उन्होंने फैसला किया है कि केवल एक लॉ फर्म लॉजिस्टिक उनके सभी मुद्दों का प्रतिनिधित्व करेगी। अधिकारी ने लिखा कि ऐसे कई और मीडिया घराने हैं, जिन्होंने इंडस्ट्री के खिलाफ बदनामी, मानहानि और अभद्रता की है। साथ ही वे याचिका में और कई नाम जोड़ना चाहते हैं।
ईमेल का जवाब देते हुए सॉलिसिस लेक्स के मैनेजिंग पार्टनर अमीत मेहता ने CINTAA की ओर से लिखा कि याचिका के दायरे में और भी चैनल शामिल होने चाहिए। उन्होंने आगे लिखा कि हो सकता है प्रोड्यूसर्स गिल्ड से दायर याचिका में उनका नाम लिखने में चूक हो गई है। कानूनी फर्म ने निम्नलिखित चैनलों के नाम दायर याचिका में जोड़ने का सुझाव दिया:
- आजतक
- एनडीटीवी
- सीएनएन-आईबीएन
- एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया
- जी न्यूज़
- इंडिया टीवी
- इंडिया टुडे
- ABP न्यूज़
गौरतलब है कि एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया कोई नया चैनल नहीं है, लेकिन कानून फर्म द्वारा इसे सूची में शामिल किया गया था। इन अतिरिक्त चैनलों का नाम जोड़ने के मामले में जस्टिफिकेशन देते हुए ईमेल में कहा गया है, “अन्यथा दो नए चैनलों के खिलाफ दायर याचिका से ऐसा प्रतीत हो रहा मानों लक्षित दर्शकों को ही सिर्फ टारगेट किया जा रहा।”
दिलचस्प बात यह है कि CINTAA का प्रतिनिधित्व करने वाली कानूनी फर्म के मेल में कहा गया है कि मूल योजना के अनुसार, उन्हें याचिका में सभी प्रमुख समाचार चैनलों को शामिल करना था, लेकिन अंतिम याचिका में हुए बदलाव को देखकर वे हैरान हो गए। मेल में कहा, “यह बात सबको स्पष्ट थी कि हम सभी प्रमुख समाचार चैनलों को इसमें (याचिका) शामिल करेंगे। हालाँकि, हम अंतिम याचिका में केवल दो समाचार चैनलों के नाम देखकर हैरान थे।” इसका मतलब है कि रिपब्लिक टीवी और टाइम्स नाउ का उल्लेख केवल याचिका में किया गया था, इसकी जानकारी CINTAA को नहीं थी।
अमित मेहता ने कहा, “हमें या तो इसे वास्तव में सही बनाना है या फिर हम सभी को हटाते हैं और दो रखते हैं।” उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि याचिका में ट्विटर, फेसबुक, यूट्यूब जैसे उत्तरदाताओं को रखना सजावटी पार्टियों के रूप में दिखता है, जिसका कोई मतलब नहीं है।
मेल में आगे कहा गया, “हमें निष्पक्ष होकर आगे बढ़ना चाहिए। हालाँकि, इसमें एक संशोधन की तत्काल आवश्यकता है।” आगे लॉ फर्म यह भी बताती है कि अगर वे मामले में पार्टियों के रूप में उल्लेखित चैनलों को जोड़ना नहीं चाहते हैं, तो CINTAA को याचिकाकर्ताओं के रुप मे इसका कारण जानना चाहिए।