बॉम्बे हाई कोर्ट ने अवैध रूप से भारत में बीवी-बच्चे के साथ रह रहे एक मुस्लिम प्रवासी से कहा है कि वह शरण लेने के लिए पाकिस्तान जा सकता है। कोर्ट ने उसे भारत में शरण देने से मना कर दिया। कोर्ट ने कहा कि भारत उदार है, इसका फायदा खालिद ना उठाए।
बॉम्बे हाई कोर्ट की रेवती मोहित-डेरे और पृथ्वीराज चव्हान वाली वाली बेंच ने बुधवार(31 जुलाई, 2024) को इस मामले में की सुनवाई की। कोर्ट ने कहा, “आप पाकिस्तान जा सकते हैं, जो पड़ोस में है या फिर आप किसी खाड़ी देश में जा सकते हैं। भारत के उदार रवैये का गलत फायदा ना उठाइए।”
हाई कोर्ट ने यह टिप्पणी एक यमनी प्रवासी को लेकर कही। यह यमनी नागरिक खालिद गोमेई मोहमद हसन भारत में कई वर्षों से बिना वीजा रह रहा था। उसके साथ उसकी एक पत्नी और बेटी भी भारत में रह रही थी। उसका वीजा कई वर्ष पहले खत्म हो चुका था लेकिन वह भारत छोड़ नहीं रहा था।
पुणे पुलिस ने इस संबंध में उसे देश छोड़ने का नोटिस थमाया था, इसके खिलाफ वह बॉम्बे हाई कोर्ट चला गया था। खालिद का कहना था कि उसके पास संयुक्त राष्ट्र द्वारा दिया गय शरणार्थी कार्ड है। उसका कहना था कि यदि उसे भारत से बाहर किया गया तो यह भारतीय संविधान और संयुक्त राष्ट्र के नियमों का उल्लंघन होगा।
खालिद 2014 में पढ़ाई करने के लिए भारत आया था और 2015 में उसकी बीवी भी भारत आ गई थी। उनकी एक बेटी भी है जिसका जन्म भारत में ही हुआ है। उसका वीजा 2017 में खत्म हो गया था। इसके बाद भी वह भारत में रह रहा था। फरवरी, 2024 में उसे पुणे पुलिस ने देश छोड़ने का नोटिस दिया था।
इसके बाद अप्रैल में भी उसे नोटिस दिया गया लेकिन वह यहाँ से नहीं गया। खालिद का कोर्ट से कहना था कि वह ऑस्ट्रेलिया में शरण माँग रहा है, जिसके लिए वह कागज तैयार कर रहा है और जब तक उसे ऑस्ट्रेलिया में शरण न मिले, उसे भारत में रहने दिया जाए।
कोर्ट ने खालिद से कहा कि जब उसके पास UNHCR का दिया कार्ड है तो वह विश्व के 129 देशों में जा सकता है। कोर्ट ने कहा कि वह खालिद को ज्यादा से ज्यादा 15 दिन दे सकता है ताकि जिसके बाद वह भारत छोड़ दे। खालिद ने इस दौरान अपनी बेटी के लिए भारत की नागरिकता माँग ली, इस पर भी कोर्ट ने उसे कोई राहत नहीं दी।