बिहार के पूर्वी चम्पारण स्थित घोड़ासहन में एक निर्माणाधीन पुल ध्वस्त हो गया है। एक सप्ताह के भीतर बिहार में तीसरी ऐसी घटना सामने आई है, जो राज्य में सार्वजनिक इंफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण कार्य में बड़े पैमाने पर हो रहे भ्रष्टाचार पर सवाल खड़े करते हैं। इससे पहले अररिया और सीवान में इसी तरह की घटना हुई थी। मोतिहारी में जो पुल ध्वस्त हुआ है उसे 2 करोड़ रुपए की लागत से बनाया जा रहा था। ये घटना घोड़ासहन प्रखंड के चैनपुर स्टेशन के लिए पहुँच मार्ग पर ये घटना हुई है।
इस पुल की लंबाई लगभग 50 फ़ीट थी। 16 मीटर के इस पुल को बिहार के रूरल वर्क्स डिपार्टमेंट (RWD) द्वारा बनवाया जा रहा था। ये घटना रविवार (23 जून, 2024) को हुई है। अमवा गाँव को अन्य इलाकों से जोड़ने के लिए एक लहर के ऊपर इस पुल का निर्माण किया जा रहा था। RWD के एडिशनल चीफ सेक्रेटरी दीपक कुमार सिंह ने कहा कि पुल के ध्वस्त होने का कारण अब तक नहीं पता चल सका है। उन्होंने इसे गंभीर मसला बताते हुए कहा कि इसकी जाँच के आदेश दे दिए गए हैं।
जिले के वरिष्ठ अधिकारी इस घटना के बाद मौके पर पहुँचे। विभाग को विस्तृत रिपोर्ट का इंतजार है। DM सौरभ जोरवाल ने कहा कि कुछ स्थानीय लोगों ने इस पुल के कुछ पिलरों के निर्माण का विरोध किया था। पुलिस इस कोण से भी जाँच कर रही है। इस पुल के बन जाने के बाद दरौंदा और मगराजगंज प्रखंडों के गाँवों के बीच आवागमन की सुविधा विकसित हो जाती। बिहार में पुलों के ध्वस्त होने के कारण जान की क्षति भले ही नहीं हो रही हो, लेकिन इससे भ्रष्टाचार उजागर हो रहा है।
बिहार में नहीं रुक रहा पुल गिरने का सिलसिला, एक हफ्ते के अंदर गिरा तीसरा पुल। मोतिहारी में करोड़ो की लागत से बन रहा पुल गिरकर हुआ ध्वस्त! देखिए ये रिपोर्ट।#Motihari #Araria #Bridge #Bihar pic.twitter.com/WQ46fGCrhK
— Bihar Tak (@BiharTakChannel) June 23, 2024
इससे पहले सीवान में पटेढी-गरौली गाँवों के बीच बन रहा पुल ध्वस्त हो गया था। बिना आँधी-तूफान के ही ये पुल धड़ाम हो गया था। तब DM मुकुल गुप्ता ने कहा था कि नहर में पानी छोड़े जाने के कारण इसके खम्बे ढह गए थे। 20 फीट लंबा ये पुल 1991 में महराजगंज के तत्कालीन विधायक उमाशंकर सिंह की निधि से बना था। इसी तरह अररिया में 12 करोड़ रुपए की लागत से बन रहा पुल ढह गया था। सिकटी प्रखंड में बकरा नदी पर इसे बनाया जा रहा था।