कलकत्ता हाईकोर्ट ने बुधवार (28 जुलाई) को पश्चिम बंगाल सरकार को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) की रिपोर्ट के जवाब में अपना पूरा हलफनामा दाखिल करने के लिए 31 जुलाई तक का समय दिया। अदालत ने आज सुनवाई के दौरान स्पष्ट किया कि अब और समय नहीं दिया जाएगा। मामले की अगली सुनवाई 2 अगस्त को होनी है।
एक याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुई वकील प्रियंका टिबरेवाल ने पश्चिम बंगाल में चुनाव के बाद हुई हिंसा के मामले में अदालत के सुस्त रवैये पर कड़ी आपत्ति जताई। उन्होंने अदालत में कहा कि मामले की सुनवाई में देरी से पीड़ितों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।
Bench asks : What seems to be the urgency? Why not wait for a week?
— LawBeat (@LawBeatInd) July 28, 2021
After one week, they will be forced to withdraw complaints, that is the urgency: Tibrewal
टिबरेवाल ने तर्क दिया कि कानूनी कार्रवाई में देरी के कारण पीड़ितों को उनकी शिकायतें वापस लेने के लिए धमकाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि राज्य पीड़ितों पर ध्यान दिए बिना कार्रवाई में देरी करने के लिए कई हथकंडे अपना रहा है।
Bench asks : What seems to be the urgency? Why not wait for a week?
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After one week, they will be forced to withdraw complaints, that is the urgency: Tibrewal
टिबरेवाल ने आगे कहा, “अगर मामले में और देरी हुई तो पीड़ित अपनी शिकायतें वापस ले लेंगे। पश्चिम बंगाल में अभी भी हिंसा जारी है।
One of the rape victims has been pressurised to take back complaint. She has been pressurised to take it back: Tibrewal
— LawBeat (@LawBeatInd) July 28, 2021
Court: is there an FIR? How can we take note of your oral remarks?#WestbengalViolence
वकील ने कहा कि इस संबंध में अभी तक कोई एफआईआर दर्ज नहीं की गई है। उन्होंने आरोपों की जाँच के लिए एक स्वतंत्र एसआईटी (विशेष जाँच दल) गठित करने की तत्काल आवश्यकता को भी दोहराया।
One of the rape victims has been pressurised to take back complaint. She has been pressurised to take it back: Tibrewal
— LawBeat (@LawBeatInd) July 28, 2021
Court: is there an FIR? How can we take note of your oral remarks?#WestbengalViolence
टिबरेवाल ने कहा, “यदि आपके लॉर्डशिप को लगता है कि लोगों को मार कर पेड़ पर लटकाने से मामले रुक सकते हैं, तो मुझे कुछ नहीं कहना है।”
Tibrewal: If your lordships think that people can be hung on trees and still the matters can wait, I have nothing to say.#WestBengal
— LawBeat (@LawBeatInd) July 28, 2021
टेबरीवाल द्वारा पश्चिम बंगाल हिंसा पर आपत्ति जताने के बाद एक अन्य याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील महेश जेठमलानी ने तर्क दिया, ”लॉर्डशिप जानते हैं कि ज्यादा समय देने से सबूत गायब हो जाते हैं। इस मामले में पुलिस की मिलीभगत है।”
Police complicit in many cases of West Bengal Post Poll Violence: @JethmalaniM tells Cal HC
— LawBeat (@LawBeatInd) July 28, 2021
उन्होंने कहा कि राज्य को एनएचआरसी रिपोर्ट पर व्यापक प्रतिक्रिया दर्ज करने के लिए पर्याप्त समय दिया गया था। यदि अब राज्य को और समय चाहिए, तो उसे एक उचित कारण दिखाना होगा। NHRC समिति बाद के घटनाक्रम और नए मामलों से बेंच को अवगत कराना चाहती थी। हालाँकि, इसे यह कहते हुए खारिज कर दिया गया था कि यह आज की दलीलों पर नहीं था।
NHRC Committee’s counsel again tells Court that he needs to tell Court about some subsequent developments.
— LawBeat (@LawBeatInd) July 28, 2021
Court says not on the arguments today.
इसके बाद बेंच ने आदेश दिया, “एनएचआरसी की रिपोर्ट पर और जवाब दाखिल करने के लिए हमसे और समय माँगा गया है। इसलिए हमने राज्य को अंतिम अवसर के रूप में 31 जुलाई तक का समय दिया है।
ORDER: More time sought to file further reply to NHRC’s report, even though we had granted time to the state as a last and final opportunity, however we grant another indulgence to the State to do so on or before July 31.#westbengalViolence
— LawBeat (@LawBeatInd) July 28, 2021
पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के बाद सियासी हिंसा के मामले में मृत बीजेपी कार्यकर्ता अभिजीत सरकार की डीएनए रिपोर्ट कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल, जस्टिस आई.पी मुखर्जी, जस्टिस हरीश टंडन, सौमेन सेन और सुब्रत तालुकदार की 5 सदस्यीय पीठ में पेश की गई। उन्होंने राज्य द्वारा एनएचआरसी की रिपोर्ट के जवाब में दायर किए गए हलफनामे और सार्वजनिक रूप से एनएचआरसी समिति के कुछ सदस्यों के बयानों वाली एक पेन-ड्राइव को भी अपने रिकॉर्ड में लिया।