लंबे इंतजार के बाद अयोध्या में राम मंदिर निर्माण शुरू हो गया है। यह जानकारी गुरुवार (20 अगस्त, 2020) को श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ने ट्वीट के माध्यम सेे साझा की है।
5 अगस्त को प्रधानमंत्री मोदी ने प्रभु श्रीराम के भव्य मंदिर निर्माण के लिए भूमिपूजन का कार्य संपन्न किया था। जिसके बाद सभी को इस बात की प्रतीक्षा थी कि मंदिर का निर्माण कार्य कब शुरू होगा। जिसका जवाब ट्रस्ट के आधिकारिक ट्वीटर हैंडल से दिया गया है। राम मन्दिर निर्माण के कार्य में लगभग 36-40 महीने का समय लगने का अनुमान है।
The construction of Shri Ram Janmbhoomi Mandir has begun. Engineers from CBRI Roorkee, IIT Madras along with L&T are now testing the soil at the mandir site. The construction work is expected to finish in 36-40 months.
— Shri Ram Janmbhoomi Teerth Kshetra (@ShriRamTeerth) August 20, 2020
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ने कहा, “श्री राम जन्मभूमि मन्दिर के निर्माण हेतु कार्य प्रारंभ हो गया है। CBRI रुड़की और IIT मद्रास के साथ मिलकर निर्माणकर्ता कम्पनी L&T के अभियंता भूमि की मृदा के परीक्षण के कार्य में लगे हुए है। मन्दिर निर्माण के कार्य में लगभग 36-40 महीने का समय लगने का अनुमान है।”
The Mandir will be built by adhering to India’s ancient and traditional construction techniques. It will also be built to sustain earthquakes, storms and other natural calamities. Iron won’t be used in the construction of the Mandir.
— Shri Ram Janmbhoomi Teerth Kshetra (@ShriRamTeerth) August 20, 2020
ट्रस्ट ने बताया, “श्री रामजन्मभूमि मन्दिर का निर्माण भारत की प्राचीन निर्माण पद्धति से किया जा रहा है ताकि वह सहस्त्रों वर्षों तक न केवल खड़ा रहे, अपितु भूकम्प, झंझावात अथवा अन्य किसी प्रकार की आपदा में भी उसे किसी प्रकार की क्षति न हो। मन्दिर के निर्माण में लोहे का प्रयोग नहीं किया जाएगा।”
गौरतलब है कि इससे पहले राम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र ट्रस्ट के जनरल सेक्रेटरी चंपत राय ने भी राममंदिर को लेकर जानकारी साझा की थी। उन्होंने कहा था कि राम मंदिर का निर्माण कुछ इस तरह होगा कि इस पर किसी प्रकार के कोई प्राकृतिक आपदाओं का असर नहीं होगा। हजारों सालों तक इस पर भूकंप जैसे प्राकृतिक आपदाओं का कोई असर नहीं होगा।
उन्होंने आगे कहा था कि मंदिर के लिए जिस उच्च तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा, उससे ये मंदिर 1000 साल तक आँधी तूफान सहने के बाद भी पूरी तरह सुरक्षित होगा। जिस तरह नदियों का पुल बनता है, उसी तरह नींव के पिलर खड़े होंगे। बस अंतर इतना होगा कि नींव में लोहे का प्रयोग नहीं होगा, बीम पत्थर की बनाई जाएगी। उन्होंने यह भी बताया कि राम भक्तों को राम मंदिर के परिसर में खुदाई में मिले पुरातत्वों के भी दर्शन प्राप्त होंगे।
वहीं अयोध्या मंदिर के ट्रस्ट के सदस्य अनिल मिश्रा ने भी राम मंदिर के लेआउट प्लान को लेकर भी जानकारी साझा की थी। जिसके अनुसार सोमनाथ और अक्षरधाम मंदिरों से भी भव्य राम मंदिर बनने की बात कही गई थी।