ऐसा प्रतीत होता है कि कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों और उसके कारण होती मौतों के संदर्भ में पश्चिम बंगाल एक विचित्र विरोधाभास की झलक प्रस्तुत कर रहा है। राज्य सरकार ने एक एक्सपर्ट कमेटी का भी गठन किया है जो कोरोना महामारी के कारण होने वाली मौतों का ‘ऑडिट’ करेगी। एक महत्त्वपूर्ण घटनाक्रम में जब 2 अप्रैल को एक एक्सपर्ट कमेटी ने घोषणा की कि वुहान कोरोना वायरस के कारण बंगाल में 7 मौते हो चुकी हैं, राज्य के मुख्य सचिव ने तुरंत एक ‘स्पष्टीकरण’ देते हुए कोरोना से मरने वालों की संख्या को 7 की जगह 3 करार दिया।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार सिन्हा ने कहा था, “एक्सपर्ट कमेटी ने बताया है कि कुल COVID-19 मामलों की संख्या राज्य में 53 है। मैं आपको बताना चाहता हूँ कि इन 53 में से 3 कोरोना निगेटिव टेस्ट हुए और अपने घर जा चुके हैं। इस तरह यह संख्या अब 50 बचती है। इन 50 में से 9 मामलों में दूसरे टेस्ट के नतीजे निगेटिव आए। इस प्रकार कोरोना संक्रमण के कुल मरीज हुए 41, इन 41 में से कुछ को किडनी और हार्ट की समस्या थी। उन में से कुछ की मृत्यु हो गई, एक्टिव नोवेल कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या अभी राज्य में 34 है, राज्य में कोरोना के कारण मरने वालों की संख्या 3 है।”
राज्य में हुई मौतों के विषय में सिंह ने दावा किया, “उन्हें दूसरे मर्ज भी थे इसीलिए वो अस्पताल में भर्ती हुए थे, इसलिए ही हम कह रहे हैं कि बाकी मामले COVID-19 से जुड़े हुए नहीं हैं। जल्दबाजी में उन्हें COVID-19 से होने वाली मौतों से जोड़ देना राज्य में आतंक पैदा कर देगी।”
राज्य में एक एक्सपर्ट कमेटी बनाई जा चुकी है जो इस बात की जाँच करेगी कि जिनकी मृत्यु कोरोना संक्रमित पाए जाने के बाद हुई है क्या वाकई उनकी मौत का कारण कोरोना संक्रमण ही है। पश्चिम बंगाल राज्य सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग ने 3 अप्रैल को एक आदेश निकाला जिसके अनुसार, “कमेटी ऐसे मरीजों की मौत के कारण का पता लगाएगी जो कोरोना संक्रमित थे और इसके लिए गठित एक्सपर्ट कमेटी बीएचटी रिपोर्ट, उपचार हिस्ट्री, लैब टेस्ट्स रिपोर्ट्स, मृत्यु प्रमाणपत्र और अन्य जरूरी दस्तावेजों का परीक्षण करेगी।” मजेदार बात यह है कि राज्य के मुख्य सचिव द्वारा कोरोना से होने वाली मौतों का आँकड़ा 7 से 3 पर लाने के अगले दिन ही इस एक्सपर्ट कमेटी का गठन किया गया।
इसके अतिरिक्त शनिवार रात और रविवार की सुबह के बीच बंगाल के अस्पतालों में 4 और लोगों की ‘सह रुग्णता’ (यानी जिन्हें एक से ज्यादा मर्ज थे) के कारण मृत्यु हो गई। इस तरह अब तक ऐसे 11 लोगों की मौत बंगाल में हो चुकी है जो कोरोना से संक्रमित पाए गए थे, लेकिन कोरोना के चलते हुई मौतों का आधिकारिक आँकड़ा राज्य में अभी तक 3 पर ही अटका हुआ है।
इसके साथ-साथ कुछ और आयाम भी हैं जो बंगाल के लिए बेहद चिंता का कारण हैं। 5 अप्रैल को आईएएनएस ने रिपोर्ट किया कि शिबपुर में स्थानीय लोगों और पुलिस के बीच भिड़ंत हो गई जब एजेसी बोस बॉटनिक गार्डन के पास लोगों ने कब्रिस्तान की तरफ एक शव को पर्सनल प्रोटेक्शन इक्विपमेंट्स पहने कुछ लोगों द्वारा दफनाते देखा। यह देख आतंकित हुए स्थानीय लोगों ने सवाल किए कि शव को पीपीई पहने हुए लोग क्यों दफना रहे?
जल्दी ही बवाल बढ़ गया और पुलिस को स्थिति पर काबू पाने के लिए अधिक संख्या में पुलिस फोर्स वहाँ भेजनी पड़ी। पुलिस ने बताया कि मृत्यु प्रमाणपत्र में मृत्यु का कारण कार्डियक अरेस्ट बताया गया है लेकिन चूँकि मृतक को बुखार और साँस लेने में परेशानी जैसे लक्षण भी थे इसलिए अधिकारियों ने सभी तरह के एहतियात बरतने जरूरी समझे। इसी दौरान चीफ मिनिस्टर ममता बनर्जी ने दावा किया कि 6 अप्रैल 12 बजे तक राज्य में कोरोना संक्रमण के सक्रिय मामलों की संख्या केवल 61 है जिसमें 55 मरीज 7 परिवारों से संबंधित हैं। हालाँकि स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मन्त्रालय के अनुसार राज्य में कोरोना के कुल सक्रिय मामले 67 हैं, जिसमें कोरोना के चलते होने वाली 3 मौतों और 10 स्वस्थ हुए मरीजों की गिनती शामिल नहीं है।