दिल्ली और उसके आसपास के कथित किसान अपनी माँगों को लेकर ट्रैक्टर एवं अन्य वाहनों के साथ राजधानी दिल्ली पहुँच रहे हैं। इसको देखते हुए दिल्ली बॉर्डर पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए है। पूरे बॉर्डर को सील कर दिया गया है। वहीं, दिल्ली के लाल किला को पर्यटकों के लिए बंद कर दिया गया है। वहीं, दिल्ली के कई मेट्रो स्टेशनों के गेट को भी बंद कर दिया गया है।
दिल्ली के गाजीपुर, सिंघु और टीकरी बॉर्डर पर लोहे और कंक्रीट के बॉर्डर लगाए गए हैं। इसके अलावा कंटीले तार, लोहे की कीलें, कंटेनर और डंपर लगाकर भी रास्ते बंद कर दिए गए हैं। सिंघु बॉर्डर पर हरियाणा से दिल्ली आने वाला ट्रैफिक पूरी तरह से रोका गया है। वहीं दिल्ली-नोएडा सड़क और NH24 पर लंबा जाम लग गया है। दिल्ली-नोएडा को जोड़ने वाले कालिंदी कुंज के रास्ते पर भी लंबा जाम लगा हुआ है।
महामाया फ्लाईओवर से ही वाहनों की कतारें लगी हुई है। दिल्ली के केंद्रीय सचिवालय मेट्रो स्टेशन का गेट 2 शाम तक बंद रहेगा। किसान आंदोलन को लेकर दिल्ली में धारा 144 लगा दी गई है। वहीं, हरियाणा में धारा 144 लागू है। चंडीगढ़ में स्कूलों को बंद कर दिया गया है। इंदिरा गाँधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे ने एक एडवाइजरी जारी कर यात्रियों से ट्रैफिक जाम को ध्यान में रखते हुए अपनी यात्रा की योजना बनाने का आग्रह किया है।
खबर है कि शंभू बॉर्डर पर कथित किसानों ने पुलिस बैरिकेडिंग को तोड़ दिया। यहाँ किसानों और पुलिस के बीच भिड़ंत हो गई है। उन्होंने फ्लाईओवर की रेलिंग को तोड़ दिया। इसके साथ पुलिस पर पथराव भी किया। इसके बाद पुलिस ने एक्शन लिया और आँसू गैस के गोले छोड़े। वहाँ के हालात को देखकर अन्य जगहों पर भी पुलिस ने कमर कस लिया है। खनौरी-जींद बॉर्डर पर पुलिस सतर्क है।
इस बीच किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा, “देश में बड़ी पूँजीवादी कंपनियाँ हैं। उन्होंने एक राजनीतिक पार्टी बना ली है और इस देश पर कब्जा कर लिया है। ऐसे में दिक्कतें आएँगी ही। अगर दिल्ली मार्च कर रहे किसानों के साथ कोई अन्याय हुआ या सरकार ने उनके लिए कोई दिक्कत पैदा की तो ना वो किसान हमसे ज्यादा दूर हैं और ना दिल्ली हमसे ज्यादा दूर है।”
इन किसानों के उत्पाद के कारण दिल्ली-एनसीआर के अपने काम-धंधों पर जाने वाले लाखों लोग प्रभावित हो रहे हैं। वहीं, व्यवसायी वर्ग भी खासा प्रभावित है। कन्फेडरेशन ऑफ बहादुरगढ़ इंडस्ट्रीज की झज्जर जिला ईकाई के सदस्यों ने किसानों से आग्रह किया कि वे अपने व्यवसाय पर न्यूनतम प्रभाव सुनिश्चित करने के लिए औद्योगिक केंद्र बहादुरगढ़ में अपना विरोध प्रदर्शन न करें।
कन्फेडरेशन ऑफ बहादुरगढ़ इंडस्ट्रीज, हरियाणा के अध्यक्ष प्रवीण गर्ग ने कहा, “हम किसानों के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन उन्हें हमारे व्यापार उद्योगों के लिए समस्या नहीं पैदा करनी चाहिए। पिछले दो दिनों से इंटरनेट बंद है, जिसके कारण अनिवार्य ई-चालान/ईवे बिलिंग संभव नहीं हो पा रही है। दूसरे राज्यों में सामग्रियों का परिवहन नहीं हो पा रहा है। यहाँ के लोगों में दहशत है। केवल हमारे जिले में सालाना लगभग 50,000 करोड़ रुपए के राजस्व वाले विनिर्माण होता है। इससे उद्योगों को सीधा नुकसान है।”
#WATCH | On the possible impact of farmers' protest on businesses, Pravin Garg, President, Confederation of Bahadurgarh Industries, Haryana says, "…We are not against the farmers, but they should not disturb our businesses industries. For past two days Internet is shut, due to… pic.twitter.com/LILr55xCGB
— ANI (@ANI) February 13, 2024
बता दें कि करीब दो साल बार एक बार फिर कथित किसान दिल्ली की ओर कूच कर रहे हैं। साल 2020-21 में संयुक्त किसान मोर्चा यानी SKM के तहत 32 किसान संगठन एक बैनर के तले आई आए थे। अब ये टूटकर एसकेएम (पंजाब), एसकेएम (गैर राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा (KMM) बन गई हैं। इस बार के आंदोलन को पिछली बार की तरह सभी किसान संगठनों का समर्थन प्राप्त नहीं है।
इस बार जगजीत सिंह दल्लेवाल का संयुक्त किसान मोर्चा (अराजनैतिक) और किसान मजदूर मोर्चा इस आंदोलन की अगुवाई कर रहे हैं। ये दोनों संगठन पूर्व में SKM का हिस्सा रहे हैं। किसान मजदूर मोर्चा 18 किसानों का समूह है, जिसके संयोजक सरवन सिंह पंढेर हैं। दोनों ही समूहों में राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश और यूपी के किसान शामिल हैं।
वहीं, साल 2020 के किसान आंदोलन का प्रमुख चेहरा रहे किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने इस बार आंदोलन से दूर हैं। चढूनी ने इस बार के किसान को लेकर सवाल खड़े किए हैं और कहा है कि इस आंदोलन से उन नेताओं को अलग रखा गया है, जो पिछले आंदोलन में शामिल थे।
ऑल इंडिया किसान सभा के वाइस प्रेसिडेंट और संयुक्त किसान मोर्चा नेता हनन मोल्ला ने कहा है कि ऑल इंडिया किसान सभा संयुक्त किसान मोर्चा का सबसे बड़ा दल है और वे इस प्रदर्शन में शामिल नहीं है। उन्होंने कहा कि किसान आंदोलन के बाद संयुक्त किसान मोर्चा से कुछ दल अलग हो गए थे और यह प्रोटेस्ट उन्होंने ही बुलाया है।