ऑस्ट्रेलिया में रहने वाली एक भारतीय महिला को वीडियो क्रॉन्फ्रेसिंग (VC) के दौरान जज और कोर्ट के खिलाफ अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल करना भारी पड़ गया। आनन-फानन में दिल्ली हाई कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए अदालत की आपराधिक अवमानना का केस शुरू कर दिया है।
ऑस्ट्रेलिया से अनिता कुमारी गुप्ता ने 10 जनवरी को VC के जरिए कोर्ट की सुनवाई के लिए लॉगइन किया था। जब जस्टिस नीना बंसल कृष्णा अनिता के केस के लिए अगली तारीख देते हुए सुनवाई के लिए अगला केस उठाया तो उसने कोर्ट जस्टिस कृष्णा के खिलाफ अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया।
जस्टिस नीना के कोर्ट के आदेश को लेकर अनीता तुरंत बोली, “आइटम नंबर 11 को आइटम नंबर 10 से पहले कैसे लिया जा सकता है ये साली क्या कर रही है? कोर्ट में ये क्या चु$# चल रहा है।”
इस पर जस्टिस कृष्णा की कोर्ट ने अनीता गुप्ता को ‘कारण बताओ नोटिस‘ जारी कर दिया। अदालत ने यह कहते हुए ये आदेश दिया है कि वादी अनीता ने ये अभद्र टिप्पणी तब की थी, जब दोनों पक्षों का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील अंतिम बहस के लिए दी गई तारीख पर राजी हो गए थे।
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा, “न्यायालय की गरिमा को कम करने वाली ऐसी अपमानजनक टिप्पणियों को ध्यान में रखते हुए स्वत: संज्ञान लेते हुए अवमानना का केस किया गया है। तदनुसार वर्तमान में ऑस्ट्रेलिया के सिडनी में रहने वाली वादी/अनीता कुमारी गुप्ता को ‘कारण बताओ नोटिस’ जारी किया जाता है कि क्यों न उन्हें अदालत की अवमानना अधिनियम, 1971 के तहत दंडित किया जाए।”
इसके साथ ही अनीता को 16 अप्रैल, 2024 को अदालत के सामने खुद खुद उपस्थित होने का आदेश दे डाला। इसके साथ ही कोर्ट ने विदेशी क्षेत्रीय पंजीकरण कार्यालय (FRRO) को ये आदेश भी दिया कि अगर गुप्ता सुनवाई के लिए तय तारीख से पहले भारत आती हैं तो उनके पहुँचते ही उनका पासपोर्ट/वीजा जब्त कर लिया जाए। कोर्ट ने आगे कहा कि गुप्ता को इस कोर्ट के निर्देश के बगैर देश छोड़ने की इजाजत नहीं दी जानी चाहिए।
कोर्ट ने ऑस्ट्रेलिया के कैनबरा में भारतीय उच्चायोग को भारत के महावाणिज्य दूतावास, सिडनी, ऑस्ट्रेलिया के जरिए अपने आदेश के बारे में वर्तमान में ऑस्ट्रेलिया के सिडनी में रह रही है अनीता कुमारी गुप्ता को सूचित करने का भी निर्देश दिया। अनीता गुप्ता की तरफ से वकील सुनील मेहता और इशान रॉय चौधरी पेश हुए। कोर्ट उत्तरदाताओं का प्रतिनिधित्व अधिवक्ता संजीव महाजन ने किया था।