दिल्ली हाई कोर्ट ने नाबालिग लड़की के अपहरण और रेप के आरोप से आरिफ खान को बरी कर दिया है। अदालत ने कहा है कि ‘सच्चा प्रेम’ को कार्रवाई की कठोरता से नियंत्रित नहीं किया जा सकता है। जिस लड़की को भगाकर ले जाने का आरिफ पर आरोप था, वह अब उसकी बीवी और दो बच्चों की अम्मा भी है।
बार ऐंड बेच की रिपोर्ट के अनुसार आरिफ के खिलाफ केस को रद्द करते हुए जस्टिस स्वर्णकांत शर्मा ने कहा, “यह दो व्यक्तियों के बीच सच्चा प्यार है। इनमें एक या दोनों नाबालिग हो सकते हैं। इसको कानूनी कार्रवाई के जरिए नियंत्रित नहीं किया जा सकता है।”
यह मामला साल 2015 का है। आरिफ खान के खिलाफ नाबालिग लड़की के घरवालों ने शिकायत दर्ज करवाई थी। उस पर बेटी को अगवा करने और बलात्कार का आरोप लगाया था। इस मामले में आरिफ को 2015 से 2018 तक जेल भी काटनी पड़ी थी।
जब आरिफ को गिरफ्तार किया गया था तो उसके साथ बरामद हुई नाबालिग लड़की पाँच महीने की गर्भवती थी। नाबालिग ने बच्चे का गर्भपात करवाने से मना कर दिया था। उसने इसके पीछे आरिफ से अपने प्रेम को कारण बताया था। इस मामले की सुनवाई के दौरान लड़की के वकील ने दावा किया कि जब आरिफ उसे भगाकर ले गया था, तब वह 18 वर्ष की हो चुकी थी। हालाँकि, दिल्ली पुलिस ने इसका विरोध करते हुए कहा कि स्कूल के रिकॉर्ड के अनुसार वह 18 वर्ष से कम की थी।
दिल्ली हाई कोर्ट के सामने आरिफ खान ने अपने विरुद्ध दर्ज किए गए मामलों को खत्म करने की माँग की थी। कोर्ट ने इसी याचिका की सुनवाई करते हुए उसके खिलाफ दायर मुकदमे को रद्द कर दिया। इस दौरान कोर्ट ने कहा, “न्याय के तराजू पर चीजों को का संतुलन बनाने के लिए हमेशा आप गणितीय नम्बरों का सहारा नहीं ले सकते।” अदालत का कहना था कि इस मामले में कानूनी कठोरता से आरिफ, लड़की जो अब उसकी पत्नी है और उनकी दो बेटियों के भविष्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।