दिल्ली पुलिस ने दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश पर चल रही जाँच में कोविड-19 दवाओं की अवैध खरीद और वितरण के आरोपों को लेकर आज (मई 14, 2021) युवा कॉन्ग्रेस अध्यक्ष श्रीनिवास बीवी से पूछताछ की। पुलिस पहले ही इस मामले में कुछ AAP और भाजपा नेताओं से पूछताछ कर चुकी है।
दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच की टीम यूथ कांग्रेस अध्यक्ष श्रीनिवास से पूछताछ करने पहुँची है,पूछ रहे हैं ज़रूरतमंद लोगों के लिए राहत सामग्री कहा से लाते है ? pic.twitter.com/uUAHdEoFai
— Aadesh Rawal (@AadeshRawal) May 14, 2021
दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच की एक टीम श्रीनिवास बीवी से पूछताछ करने भारतीय युवा कॉन्ग्रेस के मुख्यालय पहुँची। पूछताछ का मकसद उस राहत सामग्री के स्रोत के बारे में पता लगाना था जिसका संगठन लोगों की मदद के लिए इस्तेमाल कर रहा है।
कॉन्ग्रेस पार्टी ने पूछताछ पर नाराजगी जताई और ‘न्यूट्रल’ पत्रकारों ने कोविड-19 सहायता वितरित करने के लिए किसी की जाँच करने की उपयुक्तता पर सवाल उठाया। यह ध्यान देना आवश्यक है कि इसी मामले में भाजपा नेताओं से भी पूछताछ की गई है। 11 मई को दिल्ली बीजेपी नेता हरीश खुराना ने जानकारी दी थी कि दिल्ली पुलिस ने उनसे भी पूछताछ की थी।
I was also questioned by crime branch today for helping people . I gave statement in the afternoon.
— Harish Khurana (@HarishKhuranna) May 11, 2021
खुराना ने कहा था, “मैंने उन्हें अपना बयान दिया और कहा कि मैंने कभी जमाखोरी नहीं की। मैंने आधिकारिक चैनलों के माध्यम से लोगों की दवाओं तक पहुँच बनाने में मदद की। उन्होंने मुझे उच्च न्यायालय के आदेश की एक प्रति दिखाई, जिसके आधार पर जाँच हो रही है।” उसी दिन, दिल्ली पुलिस अपराध शाखा ने AAP विधायक दिलीप पांडे से भी कोविड की दवाओं के कथित अवैध वितरण आदि के संबंध में पूछताछ की थी।
दिल्ली पुलिस द्वारा पूछताछ दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार की जा रही है, जिसने उन्हें COVID-19 दवाओं के कथित अवैध वितरण में राजनेताओं की संलिप्तता की जाँच करने के लिए कहा। दिल्ली पुलिस भाजपा सांसद गौतम गंभीर को तलब कर सकती है, जो कोरोना वायरस प्रकोप की दूसरी लहर के दौरान लोगों की मदद करने में भी सबसे आगे हैं।
हृदुआ फाउंडेशन के अध्यक्ष डॉ. दीपक सिंह ने दिल्ली उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की थी, जिसमें कथित ‘मेडिकल माफिया-राजनेता गठजोड़’ और राजनेताओं द्वारा COVID दवाओं के अवैध वितरण की सीबीआई जाँच की माँग की गई थी। याचिकाकर्ता ने गंभीर, श्रीनिवास, साथ ही भाजपा नेताओं सुजय विखे, गौतम गंभीर और शिरीष चौधरी, कॉन्ग्रेस नेता प्रियंका गाँधी वाड्रा और कॉन्ग्रेस विधायक मुकेश शर्मा, एनसीपी नेता शरद पवार और रोहित पवार का उल्लेख किया था। इसमें उनके द्वारा वितरित किए गए रेमडेसिविर का उदाहरण दिया गया था। याचिका में राष्ट्रीय सुरक्षा कानून, 1980 के अनुसार कोविड-19 दवाओं की कालाबाजारी में लिप्त होने और विधायकों और सांसदों को अयोग्य ठहराने के लिए ऐसे व्यक्तियों को हिरासत में लेने के लिए भी अपील की गई थी।
अदालत ने 4 मई को एफआईआर और सीबीआई जाँच की याचिका को खारिज कर दिया था, लेकिन दिल्ली पुलिस से इस मुद्दे की जाँच करने के लिए कहा था। अदालत ने पुलिस से कहा था कि राजनेताओं द्वारा कथित तौर पर सीधे रेमडेसिविर की खरीद और उन्हें कोविड-19 मरीजों को वितरित करने के मामलों पर ध्यान दें और यदि कोई अनियमितता मिलती है तो प्राथमिकी दर्ज करे। अदालत ने राज्य को एक सप्ताह के भीतर स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने को कहा और मामले को सुनवाई के लिए 17 मई को सूचीबद्ध किया।