2020 में दिल्ली में हुए हिंदू विरोधी दंगों में मारे गए दिलबर नेगी की हत्या के 11 आरोपियों को दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट ने बरी कर दिया है। दिलबर नेगी की एक मिठाई की दुकान में जलाकर हत्या कर दी गई थी, जहाँ वह काम करते थे।
कोर्ट ने इस मामले में आदेश देते हुए कहा कि इन 11 लोगों की दंगे के अन्य मामलों में उपस्थिति उन्हें दिलबर नेगी की हत्या का आरोपी नहीं बनाती। दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट ने हालाँकि एक आरोपी मोहम्मद शाहनवाज पर हत्या, दंगे और भीड़ इकट्ठा करने के आरोप तय कर दिए।
जिन 11 आरोपितों को कोर्ट ने छोड़ा, उनके नाम हैं: मो. फैजल, आजाद, असरफ अली, राशिद (मोनू), शाहरुख, मो. शोएब (छुटवा), परवेज, राशिद (राजा), मो. ताहिर, सलमान, सोनू सैफी। इस मामले की सुनवाई कर रहे न्यायाधीश पुलस्त्य प्रमाचल ने कहा:
“यहाँ उपस्थित तमाम आरोपितों की पहचान दंगे के कई वीडियो में हुई है लेकिन इनमें से कोई शाहनवाज के साथ उस समय नहीं देखा गया, जब वह गोदाम में आग लगाने जा रहा था। इसीलिए शाहनवाज को छोड़ कर बाकी सभी लोगों को बरी किया जाता है।”
कोर्ट ने कहा कि शाहनवाज के विरुद्ध इस बात के सबूत पाए गए हैं कि वह भीड़ के साथ मिल कर हिन्दू समुदाय के लोगों के घरों और प्रतिष्ठानों को नष्ट करके उनमें आग लगा रहा था और दंगे फैला रहा था। शाहनवाज को मार्च 2020 में गिरफ्तार किया गया था।
दिलबर नेगी की हत्या के 6 आरोपितों को इससे पहले जनवरी 2022 में दिल्ली हाई कोर्ट से जमानत मिल गई थी। दिलबर नेगी मूल रूप से उत्तराखंड के पौड़ी जिले के रहने वाले थे और दिल्ली के बृजपुरी स्थित अनिल स्वीट हाउस में काम करते थे। वह हत्या से मात्र 6 माह पहले ही काम की तलाश में दिल्ली आए थे।
2020 में दिल्ली में हुए हिंदू विरोधी दंगों की जाँच और मीडिया रिपोर्ट में यह भी सामने आया था कि दुकान में आग लगाकर उसमें फेंकने से पहले उनके हाथ-पैर काट दिए गए थे। उनके दो साथी इस दौरान दंगाइयों की भीड़ से बच कर भागने में कामयाब रहे थे।
वर्ष 2020 में हुए दिल्ली दंगों में 53 लोगों की मौत हो गई थी जबकि सैकड़ों लोग घायल हुए थे। दिलबर नेगी के अलावा इस दंगे में इंटेलिजेंस ब्यूरो के अफसर अंकित शर्मा को भी मार कर एक नाले में फेंक दिया गया था।