दिल्ली यूनिवर्सिटी के प्रतिष्ठित हंसराज कॉलेज (Hansraj College) में स्वामी दयानंद सरस्वती गौ संवर्धन एवं अनुसंधान केंद्र स्थापित किया गया है। यहाँ पर न केवल गायों पर अनुसंधान किया जाएगा बल्कि छात्रों को शुद्ध दूध और दही उपलब्ध कराया जाएगा। इसके अलावा कैंपस में हर महीने होने वाले हवन के लिए शुद्ध घी भी मिल जाएगा।
स्वामी दयानंद सरस्वती गौ-संवर्धन एवं अनुसंधान केंद्र नाम से स्थापित इस केंद्र को एक गाय के साथ शुरू किया गया है और प्रिंसिपल डॉ रमा के अनुसार, यदि किया गया शोध उपयोगी और फायदेमंद साबित होता है तो इसे बढ़ाया जाएगा।
इंडियन एक्सप्रेस की खबर के अनुसार उन्होंने आगे कहा, “हमारा कॉलेज एक डीएवी ट्रस्ट कॉलेज है और इसका आधार आर्य समाज है। उस परंपरा के अनुरूप, हम हर महीने के पहले दिन हवन करते हैं, जिसमें सभी शिक्षण, गैर-शिक्षण कर्मचारी और छात्र शामिल हो सकते हैं। उस (हवन) दौरान, हम उन सभी लोगों का अभिनंदन करते हैं जिनका भी उस महीने जन्मदिन होता है। इसके लिए हमें हर महीने बाजार में जाकर पूजा में चढ़ाने के लिए जरूरी चीजें जैसे कि शुद्ध घी खरीदना पड़ता है। लेकिन हम अब इसमें आत्मनिर्भर हो सकते हैं।”
वर्तमान में, ये गौ केंद्र पुरुषों के छात्रावास से लेकर कॉलेज के गेट के पास स्थित है। लेकिन ऐसे और केंद्र बनाए जाने बाकी हैं। प्राचार्य डॉ. रमा का कहना है कि कॉलेज एक गोबर गैस प्लांट पर भी काम कर रहा है, जिसे केंद्र का सहयोग मिल सकता है। इसके अलावा वह गाय के विभिन्न पहलुओं पर शोध कर सकते हैं। एक और विचार यह है कि जब हॉस्टल खुलेगा तो छात्रों के लिए शुद्ध दूध और दही मिल सकेगा।
दिल्ली विश्वविद्यालय के अधिकारियों को फिलहाल जानकारी नहीं है कि डीयू के अन्य कॉलेजों में भी ऐसी कोई पहल की गई है या नहीं। रजिस्टार विकास गुप्ता ने कहा, “मुझे इस विशेष परियोजना के बारे में पता भी नहीं था। यह कॉलेज के स्तर पर एक अच्छी पहल साबित होनी चाहिए।”
वहीं कॉलेज के छात्र कॉलेज परिसर में स्थापित गौरक्षा एवं शोध केंद्र का विरोध कर रहे हैं। सीपीआई (एम) के स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (SFI) की हंसराज कॉलेज इकाई ने आरोप लगाया है कि इस केंद्र की स्थापना महिला छात्रावास के लिए निर्धारित जगह पर की गई है।
SFI ने इस संबंध में बयान भी जारी किया, जिसमें कहा गया, “एसएफआई हंसराज बिना शर्त एक गौशाला के निर्माण की निंदा और विरोध करते हैं। उसी स्थान पर जो एक महिला हॉस्टल के लिए आरक्षित था, जिसका निर्माण कई वर्षों से रुका हुआ है.. हमें यह घृणित लगता है कि हमारा कॉलेज प्रशासन संघर्षरत छात्राओं के बजाय गायों की ‘संरक्षण और पदोन्नति’ को प्राथमिकता देता है। उनके हितों को इस तरह के बेतुके फैसले के लिए दरकिनार किया जा रहा है।”
प्रिंसिपल डॉ. रमा ने SFI के आरोपों का खंडन किया है। उन्होंने कहा कि सबसे पहली बात तो यह है कि यह जगह उनकी योजना के हिसाब से हॉस्टल के लिए बहुत छोटा है। यह हॉस्टल कम से कम 100 छात्राओं के लिए बनेगा। उन्होंने कहा कि वह स्थान हॉस्टल के लिए रिजर्व नहीं है। प्रिंसिपल ने कहा कि वह हॉस्टल के निर्माण के लिए कई औपचारिकताओं से गुजर रहे हैं और कॉलेज के मास्टरप्लान पर फिर से काम कर रहे हैं, जिसे नगर निगम द्वारा अनुमोदित करने की आवश्यकता होगी। वहीं छात्र संघ ने कहा कि ‘गौशाला’ को हटाने और लंबे समय से प्रस्तावित महिला हॉस्टल का निर्माण शुरू करने के लिए जल्द एक आक्रामक अभियान शुरू किया जाएगा।