दिल्ली के चाँदनी चौक इलाक़े में पुनर्विकास योजना से जुड़े कार्यों में बाधा बनने वाले दो मंदिरों को वहाँ से हटाना होगा – यह आदेश दिल्ली की हाई कोर्ट का है। दरअसल, दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार के उस प्रस्ताव को ख़ारिज कर दिया, जिसमें धार्मिक ढाँचों के साथ ही पुनर्विकास के काम को जारी रखने यानी मंदिरों को वहीं बने रहने की माँग की गई थी।
ख़बर के अनुसार, जस्टिस एस मुरलीधर और जस्टिस तलवंत सिंह की बेंच ने आम आदमी पार्टी सरकार और विशेष तौर पर गृह विभाग के एडिशनल चीफ़ सेक्रेटरी सत्य गोपाल को निर्देश दिया है कि वे अपनी वैधानिक और संवैधानिक ज़िम्मेदारी का पालन करें। आदेश में यह भी कहा गया है कि वो सुनिश्चित करें कि दिल्ली हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के संबंधित आदेशों का पालन हो। आदेश यह है कि चाँदनी चौक में पुनर्विकास योजना के कार्यों में बाधा बनने वाले हर अतिक्रमण को वहाँ से हटाया जाए।
बता दें कि इन दो मंदिरों में एक हनुमान मंदिर है और दूसरा शिव मंदिर। कोर्ट ने इन दोनों ही मंदिरों को हटाने का आदेश देते हुए कहा कि लॉ एन्फ़ोर्समेंट एजेंसी फ़ैसला लें कि यह कैसे और किस तरीक़े से संभव हो सकेगा। साथ ही कोर्ट ने इन आदेशों की एक तय अवधि के अंदर पूरा करने की ज़िम्मेदारी व्यक्तिगत तौर पर गृह विभाग के एडिशनल चीफ़ सेक्रेटरी सत्य गोपाल को सौंपी है।
जानकारी के अनुसार, भाई मति दास स्मारक के बारे में कोर्ट को यह बताया गया था कि फ़िलहाल अभी तक तो उसकी वजह से कार्य में किसी तरह की बाधा नहीं आई है। इसके बाद, हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार को चाँदनी चौक के आड़े आ रहे पाँच धार्मिक ढाँचों से जुड़े अपने 30 अप्रैल 2015 के आदेश का स्मरण कराया। इन आदेशों के तहत पुनर्विकास के कार्यों में बाधा बनने वाले इन पाँचों धार्मिक ढाँचों को हटाए जाने का फ़ैसला लिया गया था।