“दिल्ली वाले ना बनें, मुंबईकर ही रहें…” – दिवाली से पहले शुक्रवार (10 नवंबर, 2023) प्रदूषण पर सुनवाई के दौरान बॉम्बे हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस डीके उपाध्याय ने ये बड़ी टिप्पणी की है। दरअसल, दिवाली पर पटाखों को बढ़ते प्रदूषण की वजह मानते हुए कोर्ट ने स्वयं संज्ञान लिया है। हालाँकि, कोर्ट ने अपने आदेश में दिवाली पर पटाखे चलाने पर पूरी तरह बैन न लगाकर, उसके समय सीमा को कम कर दिया है। इस आदेश में मुंबई और आसपास के इलाकों में अब दिवाली के दिन सिर्फ दो घंटे ही पटाखे जला सकते हैं।
हाई कोर्ट ने कहा कि दिवाली के दिन सिर्फ रात 8 से 10 बजे तक ही पटाखे जलाए जा सकते हैं। इससे पहले कोर्ट ने 7 से 10 बजे तक 3 घंटे की इजाजत दी थी, पर वायु प्रदूषण को देखते हुए कोर्ट ने नई समय सीमा तय की है। साथ ही बॉम्बे हाई कोर्ट ने एक कमिटी बनाने का आदेश भी दिया है, जिसमें आईआईटी के लोग भी शामिल होंगे। यह टीम एयर पॉल्यूशन पर नजर रखेगी और आने वाले दिनों में एक रिपोर्ट बनाकर कोर्ट को देगी।
“दिल्ली वाले ना बनें, मुंबईकर ही रहें”
बॉम्बे हाई कोर्ट ने दिवाली पर प्रदूषण का स्वयं संज्ञान में लेते हुए कहा कि वह 6 नवंबर, 2023 के अपने आदेश में संशोधन कर रही है। नए आदेश के अनुसार अब पटाखे चलाने का समय रात 8 बजे से 10 बजे तक तय कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि महानगर में कुछ ऐसे क्षेत्र हैं, जहाँ वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) खराब बना हुआ है। हम एक आपात और गंभीर स्थिति में हैं। लगातर कई प्रयास किए गए हैं लेकिन शायद कुछ और करने की जरूरत है।
कोर्ट ने कहा कि 6 नवंबर के आदेश के अन्य सभी निर्देश 19 नवंबर तक लागू रहेंगे। इसके साथ ही हाई कोर्ट ने कहा कि पटाखे जलांने में आई गिरावट तो ठीक है लकिन हमें मुंबईकर ही बने रहना है। दिल्ली की राह पर नहीं चलना है। प्रदूषण पर निगरानी के लिए वैधानिक व्यवस्था बनाने की जरूरत है। कोर्ट ने यह भी कहा कि कोर्ट इसकी एक्सपर्ट नहीं है, इस विषय पर गहराई से अध्ययन की जरूरत है। यह समस्या हर साल आती है।
बॉम्बे हाईकोर्ट ने जारी किए निर्देश
गौरतलब है कि दिवाली पर सिर्फ पटाखों पर ही गाज नहीं गिरी है बल्कि वायु प्रदूषण को रोकने के लिए बॉम्बे हाईकोर्ट ने कई निर्देश जारी किए हैं। निर्माण कार्य के दौरान कंट्रक्शन मैटेरियल के वाहनों को ढँकना अनिवार्य होगा। महाराष्ट्र के 10 शहरों की प्रदूषण की रिपोर्ट महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड पेश करनी होगी। जिसके लिए एक समिति बनानी होगी, जिसमें तीन सदस्य होंगे। यह समिति साप्ताहिक रिपोर्ट तैयार करेगी जो कि बृहन्मुंबई नगर पालिका की रोज की रिपोर्ट पर आधारित होगी, जिसे बॉम्बे हाईकोर्ट के सामने रखा जाएगा।