पश्चिम बंगाल में RG Kar मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में एक महिला डॉक्टर के बलात्कार और हत्या की घटना के बाद मंगलवार (27 अगस्त, 2024) को बड़ी संख्या में लोगों ने सड़कों पर निकल कर ‘नबन्ना अभियान’ नामक विरोध प्रदर्शन और मार्च आयोजित किया। पुलिस ने बैरिकेडिंग से लेकर आँसू गैस के गोले दागने और लाठीचार्ज तक का रास्ता अख्तियार किया। इसी बीच एक भगवाधारी प्रदर्शनकारी का वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें वो हाथ में राष्ट्रध्वज तिरंगा लेकर बेख़ौफ़ खड़ा है।
इस दौरान उक्त बुजुर्ग को आँसू गैस के गोले और पानी की बौछारों के बीच निडर होकर तिरंगा लहराते हुए और इशारे करते हुए देखा जा सकता है। उक्त प्रदर्शनकारी तमाम प्रयासों के बावजूद वहाँ से टस से मस नहीं हुआ। लोग इसे मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की दमनकारी सरकार के खिलाफ ललकार का प्रतीक बता रहे हैं। कई लोग बता रहे हैं कि उक्त व्यक्ति संन्यासी है। इससे सन् 1770 में पश्चिम बंगाल में हुए ‘संन्यासी विरोध’ की यादें ताज़ा हो गई हैं। बंकिमचंद्र चटर्जी ने ‘आनंद मठ’ नामक उपन्यास में इसकी पूरी कहानी लिखी है।
Undeterred by Kolkata Police fury, this scene is the ultimate symbol of defiance against the oppressive regime of Mamata Banerjee.#JusticeForAbhaya #RGKarMedicalCollegeHospital #ResignMamata pic.twitter.com/yTgTE7ZEPJ
— BJYM (@BJYM) August 27, 2024
उसी दौरान ‘वन्दे मातरम्’ गीत भी प्रचलित हुआ था। संन्यासी विद्रोह का मुख्य कारण अंग्रेजों का भारत में तीर्थ यात्रा पर प्रतिबंध लगाना बताया जाता है। इसकी वजह से हिंदुओं, नागा साधुओं और शांत संन्यासियों को विद्रोह करना पड़ा था। किसानों, फकीरों ने भी इस विद्रोह में बढ़-चढकर हिस्सा लिया और संन्यासियों की मदद की। इन संन्यासियों में अधिकतर आदि शंकराचार्य के अनुयायी थे। बंगाल में अंग्रेजों की दमकारी नीतियों और शोषण से वहाँ के जमींदार, फकीर, किसान और शिल्पकार काफी परेशान और आक्रोशित थे।
यह है भगवा और तिरंगे की ताकत,
— Social Tamasha (@SocialTamasha) August 27, 2024
जो तानाशाह ममता सरकार के खिलाफ अडिग खड़ा है। pic.twitter.com/IgnUa1z8Yd
इन सबने संन्यासियों के साथ मिलकर अंग्रेजों को नाकों चने चबवा दिए थे। संन्यासी और फकीर वहाँ घूम-घूमकर अमीरों और बड़े सरकारी अफसरों के घरों को लूट लेते थे। वे लूटे हुए पैसों से गरीब लोगों की मदद कर दिया करते थे। संन्यासी विद्रोह का नेतृत्व पंडित भबानी चरण पाठक ने किया था। इस घटना पर फिल्म भी बन रही है। निर्देशक SS राजामौली के पिता और मशहूर लेखकों में शुमार V विजयेंद्र प्रसाद ने ‘1770’ नामक इस की स्क्रिप्ट लिखी है।