केरल के कन्नूर जिले से लोगों को गुमराह करने वाले मुहम्मद ओवैस को पुलिस ने हिरासत में ले लिया है। मैचिंग स्कल कैप और कटी हुई दाढ़ी के साथ सफेद कपड़े पहनने वाले ओवैस के घर पर बीमार पुरुष और महिलाएँ खास उपचार के लिए आते थे। इस दौरान ओवैस उन्हें पानी में कुरान की आयतें फूँक कर पिलाता था और लोगों को डॉक्टरों से परामर्श नहीं लेने के लिए कहता था।
कन्नूर के रहने वाले 35 वर्षीय मुहम्मद ओवैस 8 सालों से लोगों को गुमराह कर रहा था। वह अपने घर पर आने वाले लोगों को डराता-धमकाता भी था। वह कहता, ”डॉक्टर शैतान हैं। अस्पताल नरक हैं। अगर आप अस्पताल में मर जाते हैं तो जन्नत नहीं मिलेगी। इसलिए आपको कभी भी इलाज के लिए अस्पताल नहीं जाना चाहिए।”
उसने अपना उदाहरण देते हुए कहा, ”गर्भावस्था के दौरान मैं अपनी पत्नी को अस्पताल नहीं ले गया। अपने पहले बच्चे को घर पर ही जन्म दिया। इससे मुझे अपने पथ पर आगे बढ़ने में मदद मिली और मेरे अनुयायी भी सही रास्ता दिखाने के लिए मेरी प्रशंसा कर रहे थे।” वह फोन पर भी पानी में कुरान की आयतें फूँक कर लोगों की इसे पीने की सलाह देता था।
पाखंड का पर्दाफाश किया
कन्नूर शहर में फातिमा नाम की एक 11 वर्षीय लड़की की मौत ने उसके द्वारा किए जा रहे पाखंड का पर्दाफाश किया। दरअसल, फातिमा के पिता अब्दुल सत्तार पर ओवैस का गहरा प्रभाव था। जब उसकी बेटी फातिमा को 26 अक्टूबर को बुखार आया तो उसने इलाज कराने से इनकार कर दिया और उसे ठीक करने के लिए ओवैस द्वारा बताए पाखंड का सहारा लेने लगा। मनोरमा की रिपोर्ट के अनुसार, उसे (फातिमा) रोजे रखने और कुरान की आयतें पढ़ने के लिए मजबूर किया गया था। 31 अक्टूबर को हालत बिगड़ने पर उसे एक निजी अस्पताल ले जाया गया, जहाँ उसने दम तोड़ दिया।
इस घटना के बाद कन्नूर पुलिस ने लड़की के चाचा की शिकायत के आधार पर दोनों पति-पत्नी पर अप्राकृतिक मौत का मामला दर्ज किया था। बाद में पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट से पता चला कि लड़की की मौत फेफड़ों में संक्रमण, बुखार और एनीमिया के कारण हुई थी। पुलिस ने बाद में ओवैस और लड़की के पिता को हिरासत में ले लिया।
पूछताछ में सत्तार ने कबूल किया कि ओवैस ने उसे फातिमा को अस्पताल ले जाने से मना किया था। इस बीच, ओवैस ने पुलिस से कहा कि उसका अब भी यही मानना है कि इलाज के लिए अस्पताल जाने की कोई जरूरत नहीं है। उसने किसी भी प्रकार का अंधविश्वास से इनकार किया है। दोनों आरोपितों पर गैर इरादतन हत्या (भारतीय दंड संहिता की धारा 304) और बच्चे के साथ क्रूरता की सजा (किशोर न्याय अधिनियम की धारा 75) का आरोप लगाया गया है।
कई मौतें, कोई सबूत नहीं
75 वर्षीय साफिया की दिसंबर 2014 में सबसे पहले रहस्यमय परिस्थितियों में मौत हुई थी। उसे साँस लेने में तकलीफ होती थी, जिसके लिए वह एलोपैथिक दवाएँ ले रही थी, लेकिन ओवैस ने ऐसा करने से मना कर दिया था। साफिया के 53 वर्षीय बेटे अशरफ की अगस्त 2016 में मौत हो गई थी। साफिया की बहन 67 वर्षीय नफीसू की अप्रैल 2017 में मौत हो गई थी। 57 वर्षीय अनवर की चौथी रहस्यमय मौत मई 2018 में हुई थी। नफीसू के बेटे सिराज पडिक्कल, एक व्यवसायी और राजनीतिक कार्यकर्ता हैं। चार साल से अधिक समय से वह इन मौतों की जाँच की माँग कर रहे हैं, लेकिन उनकी माँगों पर कोई ध्यान नहीं दिया गया।
सिराज और ओवैस कन्नूर शहर के आजाद रोड में एक ही घर में रह रहे थे, लेकिन उसके पाखंड का विरोध होने के बाद उसने वह जगह छोड़ दी थी। सिराज ने बताया कि गिरने के बाद उसकी माँ का पैर टूट गया था, जिसके बाद उनका एलोपैथी उपचार चल रहा था। 2017 में ओवैस ने उनकी दवाएँ बंद करवा दी, जिससे उनकी हालत बिगड़ने लगी और उनकी मौत हो गई।
इस रैकेट में ओवैस की सास और एक अन्य महिला भी शामिल है
आपको जानकार हैरानी होगी कि ओवैस के साथ पाखंडपूर्ण रैकेट में और भी कई लोग शामिल हैं, जिन्होंने लोगों की जिंदगी को दाँव पर लगाया। यह रैकेट कन्नूर में काफी सक्रिय है। इस रैकेट में ओवैस, उसकी सास और एक अन्य महिला शामिल हैं। वे लोगों को एक सोची-समझी साजिश के तहत अपने कथित उपचार से प्रभावित करते हैं।
वयस्कों ने अब तक COVID-19 के टीके नहीं लगवाए
ओवैस ने नेटवर्किंग का इस्तेमाल करते हुए अपने करीबी रिश्तेदारों को विश्वास में लेने का काम किया। सिराज ने आरोप लगाया, ”उन्होंने हमारे पड़ोस में लगभग 10 परिवारों को गुमराह किया। उनके बच्चों का कभी भी कोई भी इलाज नहीं कराया गया है। वयस्कों ने अब तक COVID-19 के टीके नहीं लगवाए हैं।” कन्नूर शहर के पुलिस आयुक्त आर इलांगो ने कहा कि सिराज इस मामले का मुख्य गवाह हैं, जिससे पुलिस को इसकी तह तक पहुँचने में मदद मिली।
कोडप्परम्बा मस्जिद लोगों को शिक्षित करने के लिए अभियान शुरू करेगी
इस मामले के सामने आने के बाद मजहबी संस्थान भी नींद से जगते दिख रहे हैं। ओवैस के घर के करीब ही स्थित कोडप्परम्बा मस्जिद ने एक बड़ी पहल की है। मस्जिद की ओर से कहा गया है कि लोगों के बीच जागरूकता फैलाने के लिए जल्द ही घर-घर अभियान शुरू किया जाएगा।
सरकार से अपील
स्नेहतीराम शहर के कार्यकर्ताओं का कहना है कि ओवैस और उससे जुड़ी कुछ महिलाओं ने कन्नूर शहर के सैकड़ों लोगों को प्रभावित किया है। सरकार को उन्हें यहाँ से बाहर निकालना होगा। मुहम्मद यूनुस ने कहा, ”सरकार को धोखेबाजों के शिकार लोगों को स्वास्थ्य सुविधाएँ और उचित परामर्श प्रदान करना होगा, अन्यथा लोगों वालों को इसी तरह ठगा जाता रहेगा।”