सेंटर फॉर इक्विटी स्टडीज (CES) द्वारा स्थापित दो चिल्ड्रेन होम पर जुवेनाइल जस्टिस एक्ट के गंभीर उल्लंघन और अन्य अनियमितताओं के आरोपों की शिकायत मिलने के बाद दिल्ली पुलिस ने महरौली पुलिस स्टेशन में CES के संस्थापक हर्ष मंदर के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। बता दें, हर्ष मंदर वही है, जो यूपीए के जमाने में सोनिया गाँधी की नेशनल एडवाइजरी काउंसिल (NAC) के सदस्य हुआ करते थे। जिनके संपर्क इटली की गुप्तचर सेवा और इतालवी सरकार से जुड़े संगठन से भी रहे हैं।
नेशनल कमीशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट्स (NCPCR) ने 1 अक्टूबर, 2020 को दोनों चिल्ड्रेन होम- उम्मीद अमन घर (लड़कों के लिए) और खुशी रेनबो होम (लड़कियों के लिए) का निरीक्षण किया था। इसके लिए दो टीमें बनाई गई थी, जिसकी अगुवाई खुद NCPCR की चेयरपर्सन प्रियंका कानूनगो ने की थी। दरअसल, NCPCR को ‘उम्मीद अमन घर’ में होने वाले यौन शोषण के बारे में पता चला, जिसका संचालन अमन बिरादरी ट्रस्ट करता है। बता दें कि अमन बिरादरी ट्रस्ट की स्थापना हर्ष मंदर ने की थी।
NCPCR को अपने निरीक्षण के दौरान लड़कों के घर पर उनके साथ हो रहे यौन शोषण का पता चला था। रिपब्लिक टीवी की रिपोर्ट के अनुसार, आयोग ने उल्लेख किया था, ”इन घरों में रहने वाले बच्चों की स्थिति काफी दयनीय है और बच्चों के कल्याण और इन घरों के बुनियादी ढाँचे के रखरखाव के लिए होम्स के प्रबंधन के प्रति लापरवाही और उनके उदासीन रवैए को देखते हुए कमीशन बहुत दुखी है।”
आयोग ने आगे कहा कि बच्चों के यौन शोषण की कई घटना 2012, 2013 और 2016 में लड़कों के घर के भीतर हुए थे। हाल ही आयोग को जानकारी मिली कि यौन शोषण के बारे में जानने के बावजूद भी इसके खिलाफ रिपोर्ट नहीं लिखवाई गई। कथित तौर पर आयोग के निरीक्षण रिपोर्ट में कहा गया है कि चाइल्ड होम के कर्मचारियों द्वारा ऐसे POCSO अपराधों की रिपोर्टिंग न करना, POCSO अधिनियम, 2012 के तहत एक गंभीर अपराध है। साथ ही यह घर में बच्चों के कल्याण और देखभाल को भी खतरे में डालती है।
आयोग को कथित तौर पर निरीक्षण के दौरान यह भी पता चला कि अक्सर विदेशी नागरिकों द्वारा होम का दौरा किया जाता था, जो वहाँ स्वैच्छिक सेवाएँ ’प्रदान करते है। आयोग को यह स्पष्ट नहीं किया है कि इन विदेशी नागरिकों को घरों में स्वैच्छिक सेवाएँ देने और बच्चों के साथ बातचीत करने की अनुमति किस आधार पर दी गई है, जबकि उनकी(विदेशियों) भारत यात्रा किसी अन्य उद्देश्यों के लिए होती है।
जिसके बाद NCPCR ने दिल्ली सरकार के महिला और बाल विकास विभाग को निर्देश दिया था कि वह इस संस्था के खिलाफ उचित कार्रवाई सुनिश्चित करें ताकि नियमों का सख्ती से पालन हो सके। आयोग ने निरीक्षण रिपोर्ट में उल्लेख किया है कि संस्था में बाल संरक्षण नीति की अनुपस्थिति ने बच्चों पर बुरा प्रभाव डाला है। आयोग ने उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए बच्चों को घरों से स्थानांतरित करने की सिफारिश भी की थी।