मध्य प्रदेश के इंदौर से लव जिहाद और धर्मांतरण की खबर सामने आई है। यहाँ, साकिर मोहम्मद नामक व्यक्ति ने खुद को राजकुमार बताते हुए युवती से दोस्ती की और फिर उसका रेप कर उसका अश्लील वीडियो बना लिया। इसके बाद उस पर धर्मांतरण करने का दवाब बनाने लगा। मना करने पर वीडियो वायरल करने की धमकी देता था। स्थानीय थाने में एफआईआर दर्ज न होने पर पीड़िता ने हाईकोर्ट की शरण ली। कोर्ट के आदेश के बाद एफआईआर दर्ज कर कार्रवाई की जा रही है।
दरअसल, यह पूरा मामला साकिर मोहम्मद और शहडोल निवासी पंजाबी महिला के बीच का है। महिला ने याचिकी दायर कर हाईकोर्ट में कहा है कि चार साल पहले हुए एक एक्सीडेंट में उसके पति मौत हो गई थी। इसके बाद वह अकेली रह रही थी। इस दौरान वह काम की तलाश में थी। काम न मिलने पर वह लोन लेने के लिए एक बैंक गई थी। जहाँ, उसकी मुलाकात साकिर मोहम्मद से हुई।
महिला का आरोप है कि बैंक में हुई मुलाकात में साकिर ने खुद को हिंदू बताते हुए अपना नाम राजकुमार बताया था। उसने कहा था कि उसकी पत्नी की मौत हो चुकी है। उसका एक बच्चा है। इसके बाद साकिर पीड़िता को घुमाने के बहाने कहीं ले गया और नशीला पदार्थ खिलाकर उसके साथ रेप कर आपत्तिजनक वीडियो बना लिए।
बाद में वह वीडियो दिखाकर पीड़िता को लगातार ब्लैकमेल करता रहा। यही नहीं, पीड़िता को घर ले जाकर वह उसे बुर्के में रखता था और उसका शारीरिक शोषण करता था। इसके साथ ही मदरसे में ले जाकर उर्दू में लिखे कुछ कागजों में दस्तखत कराकर धर्मांतरण के लिए प्रताड़ित करने लगा।
पीड़िता का कहना है कि जब उसे यह पता चला कि आरोपित की पत्नी जिंदा है और व 9 बच्चों का बाप है तो उसने इसका विरोध किया। जिस पर साकिर ने कहा कि उसके मजहब में एक से अधिक बीवी रखना सबाब (पुण्य) का काम है इससे जन्नत मिलती है। आरोपित की पूरी सच्चाई पीड़िता के सामने आने के बाद वह उसे परेशान करने लगा और बेटी का धर्मांतरण कराने का भी दवाब बनाने लगा।
साकिर मोहम्मद से तंग आकर पीड़िता अपनी बेटी को साथ लेकर इंदौर आ गई और यहाँ विजय नगर थाना क्षेत्र में किराए के मकान में रहने लगी। इसके बाद साकिर यहाँ भी आ धमका और फिर वीडियो वायरल करने की धमकी देने लगा।
पीड़िता का आरोप है कि वह आरोपित से तंग आकर शिकायत कराने के लिए महिला थाने गई थी। लेकिन वहाँ, उससे कहा गया कि शहडोल की हो वहीं जाकर एफआईआर दर्ज करो। महिला ने कई अन्य पुलिस अधिकारियों से बात की लेकिन किसी ने भी एफआईआर दर्ज नहीं की।
पीड़िता, आरोपित द्वारा लगातार परेशान किए जाने से तंग आ चुकी थी। उसने मजबूरन हाईकोर्ट की शरण ली। जहाँ, हुई सुनवाई में हाईकोर्ट ने पुलिस को फटकार लगाते हुए एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने कहा कि पीड़िता द्वारा पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों को शिकायत करने के बाद थाने पर आवेदन देना आवश्यक नहीं है। पीड़िता के बयानों को ही उसकी ओर से लिखित शिकायत माना जाए और कार्रवाई की जाए।