रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध (Russia-Ukraine War) के 10वें दिन शनिवार (5 मार्च) को रूस ने यूक्रेन में लोगों तक मानवीय सहायता पहुँचाने के लिए मारियुपोल (Mariupol) में संघर्ष विराम की घोषणा की। रिपोर्ट के अनुसार, यूक्रेन के मारियुपोल और वोल्नोवाखा (Volnovakha) के निवासियों के लिए मानवीय गलियारे खोले जाएँगे। वहीं, युद्ध से प्रभावित यूक्रेन से लौटे भारतीय मेडिकल छात्र-छात्राओं को राहत देने की कोशिश की गई है।
भारत के राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) ने शुक्रवार (4 मार्च) को एक सर्कुलर जारी कर उन विदेशी मेडिकल विद्यार्थियों को इंटर्नशिप को देश में पूरा करने की अनुमति दी है, जो कोरोना और यूक्रेन युद्ध जैसी परिस्थितियों के कारण अधूरे रह गए हैं। भारत में चिकित्सा शिक्षा और चिकित्सा पेशेवरों की नियामक संस्था NMC ने कहा कि जिन विदेशी मेडिकल छात्र-छात्रओं ने Foreign Medical Graduate Examination (FMGE) की पात्रता पूरी कर ली है, वे इंटर्नशिप पूरा करने के लिए राज्य चिकित्सा परिषदों के माध्यम से आवेदन दे सकते हैं।
एनएमसी ने अपने सर्कुलर में कहा, “कुछ विदेशी मेडिकल ग्रेजुएट ऐसे भी हैं, जिनकी COVID-19 महामारी और युद्ध जैसी नियंत्रण से बाहर वाली विषम परिस्थितियों के कारण इंटर्नशिप अधूरी रह गई है। इन विदेशी मेडिकल ग्रेजुएट्स की पीड़ा और तनाव को ध्यान में रखते हुए भारत में उनके इंटर्नशिप के अधूरे भाग को पूरा करने के लिए उन्हें योग्य माना जाएगा।”
सर्कुलर में आगे कहा गया है, “राज्य चिकित्सा परिषदों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि भारत में पंजीकरण चाहने वाले उम्मीदवार राष्ट्रीय परीक्षा बोर्ड (NBE) द्वारा आयोजित विदेशी चिकित्सा स्नातक परीक्षा (FMGE) उत्तीर्ण हों। यदि उम्मीदवार मानदंडों को पूरा करते हैं तो राज्य चिकित्सा परिषदों द्वारा उन्हें 12 महीने या बाकी बची हुई अवधि के लिए इंटर्नशिप प्रोविजनल रजिस्ट्रेशन दिया जा सकता है।”
एनएमसी ने राज्य चिकित्सा परिषदों से यह भी कहा है कि वे मेडिकल कॉलेजों से एक शपथ-पत्र लें, जिसमें यह सुनिश्चित हो कि विदेशी मेडिकल स्नातकों से इंटर्नशिप के लिए कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा। इसके साथ एनएमसी ने यह भी कहा कि विदेशी छात्र-छात्राओं को वजीफा और अन्य सुविधाएँ सरकारी मेडिकल कॉलेजों में प्रशिक्षित किए जा रहे भारतीय मेडिकल स्नातकों के बराबर दी जानी चाहिए।
बता दें कि यूक्रेन में हालात बदतर होते जा रहे हैं। रूस के हमले में वहाँ मृतकों की संख्या लगातार बढ़ रही है। हालात को देखते हुए यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लादोमिर जेलेंस्की ने NATO से यूक्रेन को नो फ्लाई जोन घोषित करने का आग्रह किया था, लेकिन NATO ने इस पर ध्यान नहीं दिया। नाटो का तर्क है कि इस कदम से परमाणु हथियारों से लैस रूस के साथ यूरोपीय देशों की बड़ी जंग भड़क सकती है। नाटो की इस प्रतिक्रिया पर जेलेंस्की ने कहा कि इनकार करके नाटो ने रूस को यूक्रेन पर और हमले की हरी झंडी दे दी है।